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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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‘जॉर्ज फ्लॉयड’ पर भारत में हंगामा… ‘मजदूरों और साधुओं’ पर खामोशी क्‍यों?

‘जॉर्ज फ्लॉयड’ पर भारत में हंगामा… ‘मजदूरों और साधुओं’ पर खामोशी क्‍यों?
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नवीन रांगियाल

अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद पूरी दुनिया में पुलिस बर्बरता के खिलाफ आवाज़ उठाई जा रही है। यह सही भी है, क‍िसी व्‍यक्‍त‍ि को इतनी बर्बरता से मार द‍िया जाना एक गहरी च‍िंता का व‍िषय है। जॉर्ज एक अश्वेत व्यक्ति था, जिनको जाली नोट चलाने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

गिरफ्तारी के दौरान एक पुल‍िस अफसर ने उसे ज़मीन पर पटक कर उसकी गर्दन को1 घुटने से दबा दिया था, जबकि जॉर्ज ने गिरफ्तारी का विरोध नहीं किया था। गर्दन दबने की वजह से उसकी मौत हो गई। इसके बाद से ही अमेरिका से लेकर दूसरे देशों में भी इसके खिलाफ विरोध शुरू है।

भारतीय बॉलीवुड सेलेब्‍स ने भी इस मामले में सोशल मीड‍िया पर अपना व‍िरोध दर्ज क‍िया है। कुछ इंस्‍टाग्राम पर तो कई ने ट्व‍िटर पर अपनी राय रखी है। लेक‍िन इसी बीच एक सवाल यह भी उभरकर आया है क‍ि बॉलीवुड कलाकार ऐसे मामलों में  स‍िलेक्‍ट‍िव ब‍िहेव क्‍यों करते हैं।

कुछ ही द‍िनों पहले महाराष्‍ट्र के पालघर में दो साधुओं की न‍िर्मम हत्‍या का व‍िरोध करने के ल‍िए कोई सामने नहीं आया। ठीक इसके बाद देशभर में हो रहे अप्रवासी मजदूरों के पलायन पर भी क‍िसी ने कोई ट्व‍ीट नहीं क‍िया।
जबक‍ि बॉलीवुड के भी कई स्टार ने जॉर्ज फ्लायड वाले मुद्दे पर इंस्टाग्राम स्टोरी से लेकर ट्वीट तक पोस्ट किए हैं। उन्होंने कहा है क‍ि सभी रंग सुंदर होते हैं, सभी का सम्मान करना चाहिए। रंगभेद की कहीं कोई जगह नहीं होना चाह‍िए आद‍ि।

ऐसे में भारत के गंभीर मुद्दों पर बॉलीवुड के स्‍टार्स की चुप्‍पी स‍िलेक्‍ट‍िव नजरिए की ओर इशारा कर रही है। जेएनयू, शाहीन बाग, एनआरसी और द‍िल्‍ली दंगों के मामले में भी कुछ इसी तरह का नजर‍िया न‍िकलकर सामने आया था।
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इन कलाकारों ने अश्वेतों के आंदोलन को समर्थन दिया है। इसी बीच अभिनेता अभय देओल ने भी इस पर सवाल उठाए हैं। उन्‍होंने सेलेब्स और मिडिल क्लास के लोगों को आड़े हाथों लिया है, जो जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर तो अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, लेकिन अपने ही देश की समस्याओं पर खामोश रहते हैं।

दरअसल, अभय देओल ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से एक तस्वीर शेयर की है। जिसमें उन्‍होंने लिखा है,
अप्रवासियों, गरीबों और अल्पसंख्यकों की जिंदगी भी मायने रखती हैं। शायद अब इसका समय भी आ गया है? अब कई सेलेब्स और मिडिल क्लास अमेरिका में नस्लभेद के खिलाफ अपनी राय रख रहे हैं, वो शायद देखना चाहेंगे कि उनके अपने देश में क्या हो रहा है? अमेरिका ने पूरी दुनिया को हिंसा का निर्यात किया है। उन्होंने इसे पहले की अपेक्षा और भी ज्यादा खतरनाक जगह बना दिया है। ऐसा होना ही था'

उन्‍होंने आगे लिखा है,
'मैं ये नहीं कह रहा कि वहां के लोगों के साथ ऐसा होना चाहिए। मैं कह रहा हूं कि इसे एक बड़े स्तर पर देखने की कोशिश होना चाह‍िए। अपने देश में चल रही गंभीर समस्याओं के बारे में बात करके उनका समर्थन करिए। मैं कह रहा हूं कि उनके नेतृत्व का पालन करें, उनके कामों को फॉलो न करें। अपने देश के लिए सही है वो करें। उनके लिए अपनी आवाज उठाए। ब्लैक लाइव्स मूवमेंट इसी के बारे में ही तो है। ये हमारी उनकी नहीं, बल्कि ये पूरी पृथ्वी की लड़ाई है जो इस समय भारी जोखिम में है

पिछले कुछ दिनों में करण जौहर, प्रियंका चोपड़ा, करीना कपूर खान, दिशा पटानी और ईशान खट्टर सहित कई हस्तियों ने जॉर्ज फ्लायड के समर्थन में चल रहे आंदोलन में अपनी सहमत‍ि दी है। लेक‍िन प‍िछले द‍िनों भारत से जुडे कई मुद्दों पर इस तरह की कोई आवाज उठाई गई और न ही कोई राय रखी गई। ऐसे में बॉलीवुड भी भारत के कई मामलों में खेमे में बंटा नजर आता है।

(नोट: इस लेख में व्‍यक्‍त व‍िचार लेखक की न‍िजी अभिव्‍यक्‍त‍ि है। वेबदुन‍िया का इससे कोई संबंध नहीं है।

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