Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

हालात उतने बुरे भी नहीं, आदमी को चाहिए कि वह एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े

हालात उतने बुरे भी नहीं, आदमी को चाहिए कि वह एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े
webdunia

स्वरांगी साने

एक ओर विश्व आर्थिक अस्थिरता से गुज़र रहा है, दूसरी ओर भारत की आर्थिक व्यवस्था में सुधार के दावे हैं और ऐसे में तीसरी ख़बर आ रही है कि पंजाब के बाद हरियाणा के युवा हर संभव कोशिश करते हुए अमेरिका जाने को लालायित हैं।

आख़िर ऐसी क्या वजह है जो उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर कर रही है तो वह है कॉलेज में सीट न मिल पाना और यदि मिल गई तो पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी मिलने की कोई गारंटी न होना। हरियाणा के गांव के गांव युवाओं से खाली हो रहे हैं और वहां पर नौकरी दिलाने का झांसा देने वाले दलालों, बिचौलियों, मध्यस्थों, सहायकों की बाढ़ आ गई है। अटल बिहारी वाजपेयी की पंक्तियां हैं कि ‘आदमी को चाहिए कि वह जूझे, परिस्थितियों से लड़े, एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े’। दूसरा स्वप्न गढ़ने का अर्थ देश से जाना भर तो नहीं होता, कमोबेश उसे पलायन कह सकते हैं, हालात भले ही बहुत अच्छे न हों लेकिन उतने बुरे भी नहीं हैं।

आईएमएफ (IMF) प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने कहा कि इस साल दुनिया की एक तिहाई आबादी को मंदी का शिकार होना पड़ा और सन् 2023 पिछले साल से भी अधिक जटिल होगा। अमेरिका, यूरोप और चीन की अर्थव्यवस्था की गति मंथर पड़ गई और उनकी तुलना में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत के साथ मज़बूत स्थिति में दिखा। जबकि जिन देशों में मंदी जैसा कुछ नहीं था वहां पर भी सैंकड़ों लोगों को इसका झटका लगा। रूस-यूक्रेन का युद्ध ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा, बढ़ती महंगाई, उच्च ब्याज दर और चीन में ओमिक्रॉन वैरियंट के बढ़ते मामले झटकों पर झटके दिए जा रहे हैं।

थोड़ी राहत यह है कि सिलिकॉन वैली जैसे अब केवल कुछ ही देश नहीं रहे जहां स्टार्टअप हब हो बल्कि सिलिकॉन वैली, लंदन जैसे और भी कुछ और वैश्विक स्टार्टअप हॉटस्पॉट बन गए हैं जो आकर्षित कर रहे हैं फिर वे सिंगापुर हों या ऑस्ट्रेलिया ही। संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया के सबसे बड़े तीसरे स्टार्टअप केंद्र के रूप में उभर रहा है। एशिया पैसेफ़िक रीजन (एपीएसी-APAC) ने चीन के बीजिंग और शंघाई के बाद भारत के बेंगलुरु को सन् 2022 का तीसरा बड़ा स्टार्टअप केंद्र माना। इसी के मद्देनज़र वैश्विक स्तर पर दिल्ली का स्थान 13वां, मुंबई का 17वां, पुणे का 90वां तो हैदराबाद का 97वां है। चैन्नई, जयपुर और अहमदाबाद में भी विकल्प तलाशे जा रहे हैं।

अनिश्चितता के इस दौर में स्टार्टअप की भूमिका बाज़ार के और अधिक नए आयाम खोलने की हो जाती है। स्टार्टअप के लिए लगने वाला ईकोसिस्टम और अनोखी शैली-संस्कृति विश्व के अन्य देशों में भी रास्ते तलाश रही है। अमेरिका, ब्रिटेन के बाद इज़राइल और भारत में स्टार्टअप के लिए आकार, जनसंख्या और लागत की दृष्टि से व्यापार की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

कंपनी, साझेदारी या अस्थायी संगठन के रूप में स्टार्टअप शुरू किए जाते हैं। ये कंपनियां ख़ासकर नवाचार पर ज़ोर देती हैं। यूनिकॉर्न क्लब में 13 और भारतीय स्टार्टअप शामिल हो चुके हैं। स्टार्टअप इंडिया की पहल से इसे प्रोत्साहन मिला है। यह अनिश्चितता से यह निश्चितता की ओर बढ़ता कदम है। पलायन करने के बजाय एक पहल इस दिशा में की जा सकती है, कुछ नया, कुछ अनूठा, कुछ अलग सोचकर।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

क्यों है सनस्क्रीन ज़रूरी? क्या होता है SPF और PA++?