भोपाल। मध्यप्रदेश में अध्यापक एक बार फिर सरकार से नाराज हो गए हैं। दरअसल सूबे में आचार संहिता लागू होने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने अध्यापक संवर्ग के शिक्षकों की नए शैक्षणिक संवर्ग में नियुक्त पर रोक लगा दी है।
शिक्षा विभाग के इस फैसले के बाद एक बार फिर दो लाख से अधिक अध्यापकों के नियुक्ति आदेश लटक गए हैं। अब अध्यापकों की नियुक्त प्रकिया अगली सरकार के कार्यकाल में होगी, वहीं नियुक्ति प्रकिया रुकने के बाद एक बार फिर अध्यापकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
वेबदुनिया से बातचीत में आजाद अध्यापक संघ की अध्यक्ष शिल्पी सिवान ने पूरी प्रकिया को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठा दिए हैं। शिल्पी का आरोप है कि सरकार ने जान-बूझकर आदेश जारी करने में देरी की। वहीं आचार संहिता के कारण नियुक्ति प्रकिया रोके जाने पर सिवान का कहना है जब नियुक्ति प्रकिया 30 सितंबर तक पूरी की जानी थी तो आदेश पहले क्यों नहीं जारी किए गए?
शिल्पी ने कहा कि सरकार की पूरे मामले पर मंशा शुरू से ही साफ नहीं थी। सरकार जानबूझकर इस मामले को लंबे समय तक टालती रही। फिर चुनाव करीब आने पर वोट बैंक के लिए सरकार ने आदेश जारी तो कर दिए, लेकिन मंशा साफ न होने से समय रहते आदेश जारी नहीं किए गए। वहीं अब चुनाव के समय ये पूरा मामला फिर से तूल पकड़ सकता है।
नियुक्ति के रुकने के बाद अध्यापक एक बार फिर मुखर हो गए हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि अध्यापकों के आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने अध्यापकों के शिक्षक संवर्ग में नियुक्ति की घोषणा तो कर दी, लेकिन 25 अगस्त से शुरू हुई ये प्रकिया जो 30 सितंबर तक पूरी होनी थी, क्या अफसरों की लेटलतीफी की वजह से नहीं पूरी हो पाई। ऐसे में अब देखना होगा कि लंबे समय से संविलियन की मांग करने वाले अध्यापकों की नाराजगी कहीं चुनावी साल में भाजपा पर भारी न पड़ जाए।