झाबुआ। कांग्रेस द्वारा शनिवार रात जारी प्रत्याशियों की सूची में मध्यप्रदेश के झाबुआ में विधानसभा सीटों के वितरण में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कांतिलाल भूरिया के समर्थकों को महत्व दिया गया है।
वहीं गुटीय राजनीति के चलते कई लोगों के टिकट भी कट गए हैं। कांग्रेस के इस झगड़े में भूरिया ने अपने परिवार और चहेतों को टिकट दिलाने में बाजी मारी ली जिसके तहत भूरिया ने एक तीर से दो निशाने साधे। एक तो अगर उनके परिजनों की इन चुनावों में जीत हो जाती है, तो वे राजनीतिक रूप से झाबुआ, आलीराजपुर और रतलाम में काफी मजबूत आदिवासी नेता हो जाएंगे, दूसरे वहीं आने वाले लोकसभा चुनाव में वे अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर सकते हैं।
भूरिया ने 29 नवंबर को झाबुआ में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा का सफल आयोजन करवाकर यह संदेश दे दिया था कि रतलाम, झाबुआ और आलीराजपुर जिलों में उनका कांग्रेस में कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है। भूरिया ने आलीराजपुर विधानसभा में महेश पटेल, मुकेश पटेल के झगड़े के चलते टिकट रुकवा दिया है, वहीं जोबट विधानसभा सीट से कमलनाथ गुट की पूर्व विधायिका और पूर्व मंत्री रहीं सुलोचना रावत का टिकट कटवाकर अपनी भतीजी और झाबुआ जिला पंचायत की अध्यक्ष कलावती भूरिया को टिकट दिलाने में सफलता प्राप्त की है।
इसी तरह से भूरिया ने झाबुआ विधानसभा सीट पर अपने डॉक्टर पुत्र विक्रांत भूरिया को टिकट दिलाते हुए सिंधिया गुट के जेवियर मेडा का टिकट कटवा दिया, वहीं थांदला विधानसभा पर उसके समर्थक वीरसिंग भूरिया को टिकट दिलाया है, जबकि पेटलावद विधानसभा पर कांग्रेस ने अभी टिकट के लिए उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। कांग्रेस यहां पर भाजपा के उम्मीदवार का इंतजार कर रही है।
भूरिया ने टिकट वितरण में तो बाजी मार ली है, लेकिन अब चुनाव प्रचार और बूथ लेवल पर पार्टी कार्यकर्ताओं की जुगाड़ और असंतुष्ट जोबट से सुलोचना रावत और झाबुआ से जेवियर मेडा को मनाने का दोहरा दायित्व भी उन पर आ गया है जिसके चलते भूरिया पसोपेश में पड़ सकते हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा ने भी झाबुआ और पेटलावद सीटों से अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं जिसके चलते भाजपा में भी खींचतान शुरू हो गई है।
आलीराजपुर में सोडवा क्षेत्र के भाजपा नेता वकील सिंह ठकराल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर पार्टी से बगावत कर दी है, वहीं थांदला सीट पर भी कलसिंह भाभर का पार्टी के अंदर विरोध शुरू हो गया है। ऐसे में झाबुआ और पेटलावद में सीटों को लेकर भाजपा उलझी हुई है। अगर भाजपा ने समय रहते सही निर्णय नहीं लिया तो स्व. सांसद दिलीपसिंह भूरिया के द्वारा की गई सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है और भाजपा यहां पर खंड-खंड होकर हाशिए पर जा सकती है। (वार्ता)