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बागियों पर भाजपा की सख्ती, 53 बागियों को पार्टी से निकाला

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गुरुवार, 15 नवंबर 2018 (09:16 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नामवापसी की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी पार्टी लाइन को नहीं मानने वाले भाजपा 53 नेताओं को प्रदेश संगठन ने छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया। इनमें सरताजसिंह और रामकृष्ण कुसमारिया भी शामिल है।
 
भाजपा के सूत्रों ने बताया कि बुधवार को नामवापसी का अंतिम दिन था। पार्टी ऐसे नेताओं को पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ने के लिए मना रही थी, जिन्होंने किसी अन्य दल के टिकट पर या निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकनपत्र दाखिल किया है। लगभग एक दर्जन नेताओं ने नाम वापस ले लिया, लेकिन पांच दर्जन नेता नहीं माने।
 
बुधवार देर रात प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह की मौजूदगी में हुई वरिष्ठ नेताओं की बैठक में बगावती तेवर दिखाने वाले ऐसे सभी नेताओं को छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया। इनमें मुख्य रूप से दमोह और पथरिया से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में डटे रहने वाले पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया, गुना जिले के बामोरा से पूर्व मंत्री के एल अग्रवाल शामिल हैं।
 
वहीं कांग्रेस ने झाबुआ जिले में जेवियर मेड़ा और एक अन्य नेता को निष्कासित किया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि शेष स्थानों पर बागी प्रत्याशी मान गए हैं या फिर वे निर्दलीय नहीं होकर अन्य दलों के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए वे स्वत: ही पार्टी से निष्कासित हो गए हैं।
 
राज्य में सभी 230 सीटों के लिए नामांकनपत्र दाखिले का कार्य 02 नवंबर को शुरू हुआ था और नौ नवंबर तक 4157 प्रत्याशियों की ओर से नामांकनपत्र दाखिल किए गए। नाम वापसी के अंतिम दिन बुधवार को 556 प्रत्याशियों ने नाम वापस लिए और अब लगभग 2900 प्रत्याशी मैदान में हैं। शेष लगभग सात सौ प्रत्याशियों के नामांकनपत्र जांच के दौरान तकनीकी खामियों के कारण निरस्त कर दिए गए थे।
 
राज्य में अब भाजपा और कांग्रेस समेत विभिन्न दलों का चुनाव प्रचार अभियान तेज पकड़ रहा है। सभी 230 सीटों पर एक ही चरण में 28 नवंबर को मतदान होगा और 11 दिसंबर को नतीजे आएंगे। भाजपा ने सभी 230 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि कांग्रेस ने जतारा सीट लोकतांत्रिक जनता दल को गठबंधन के तहत छोड़कर शेष 229 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं।
 
भाजपा लगातार चौथी बार सरकार बनाने की कोशिश में है, तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में फिर से सत्ता हासिल करने के प्रयास में जुटी है। (वार्ता) 
 

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