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एनके सिंह : पाठकों के संपादक

एनके सिंह : पाठकों के संपादक
, बुधवार, 8 अक्टूबर 2014 (13:17 IST)
चालीस साल से अधिक लंबी यात्रा पत्रकारिता में तय कर चुके नरेन्द्र कुमार सिंह (एनके सिंह) हमेशा समाज से जुड़े रहे हैं। व्यावसायिक पत्रकारिता के इस दौर में भी उनकी पत्रकारिता में सामाजिक सरोकार स्पष्ट झलकते हैं। दैनिक भास्कर, पीपुल्स समाचार, हिन्दुस्तान टाइम्स और इंडियन एक्सप्रेस के संपादक रह चुके एनके सिंह टेलीविजन चैनल्स के लिए भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

सौम्य व्यवहार के धनी सिंह फिलवक्त स्वतंत्र रहकर रचनात्मक लेखन और सामाजिक कार्यों को बढ़ा रहे हैं। अंग्रेजी और हिन्दी प‍‍त्रकारिता में अपनी नई लकीर खींच चुके एनके सिंह पाठकों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे हैं। उन्होंने हमेशा अखबार को पाठकों से जोड़ने की दिशा में काम किया। वर्ष 1976 में सिंह ने 'नईदुनिया' के संपादकीय पेज से अपने करियर की विधिवत शुरुआत की। नीरस और बेकार समझे जाने वाले 'संपादक के नाम पत्र' कॉलम की जिम्मेदारी एनके सिंह को दी गई।

अपनी समझबूझ से उन्होंने इस कॉलम का बेहतर इस्तेमाल किया। 'संपादक के नाम पत्र' धीरे-धीरे इतना लो‍कप्रिय हो गया कि प्रति‍दिन औसत 265 पाठकों के पत्र आने लगे। उन्हें कई अवसरों पर अखबार का एक पूरा पन्ना ही पाठकों के पत्रों के लिए समर्पित करना पड़ता था। पाठकों के बीच इस कॉलम की लोकप्रियता का यह आलम था कि कई शहरों और कस्बों में स्वयंस्फूर्त पत्र लेखक मंच बन गए।

 
वर्ष 2000 में एनके सिंह दैनिक भास्कर के भोपाल संस्करण के संपादक बने। उनके संपादकीय कौशल से प्रभावित होकर दैनिक भास्कर समूह ने राजस्थान में अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए सिंह को स्टेट हेड बनाकर भेज दिया। दैनिक भास्कर में सिंह का कार्यकाल अखबार को प्रोफेशनलिज्म की ओर ले जाने और संपादकीय कामकाज में सुगठित सिस्टम बनाने के लिए किया जाता है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य एनके सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे पत्रकारिता में इसलिए आए, क्योंकि वे सरकारी नौकरी नहीं करना चाहते थे।

महज 16 साल की उम्र में उनका पहला लेख कलकत्ता की पत्रिका 'फ्रंटियर' में प्रकाशित हुआ। 19 साल के होते-होते उनके लेख सेमिनार और इलस्ट्रटेड ‍वीकली ऑफ इंडिया जैसी लब्ध प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में छपने लगे।

बिहार के एक छोटे से गांव में जन्मे सिंह ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए भी काम किया है। बीबीसी ने भोपाल गैस कांड पर 1985 में डॉक्यूमेंट्री तैयार की थी। सिंह ने इसके लिए स्क्रिप्ट लिखी थी। यह डॉक्यूमेंट्री खूब चर्चित रही।
ब्रिटेन के ही ग्रनाडा टीवी की ओर से भोपाल गैस कांड पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री के लिए भी उन्होंने सलाहकार के रूप में काम किया। इस डॉक्यूमेंट्री को न्यूयॉर्क फिल्म फेस्टिवल में खोजी पत्रकारिता के लिए दो स्वर्ण पदक मिले।
(मीडिया विमर्श में पंकज कुमार)

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