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'अब मैं भी पत्रकार' में कितने पत्रकार?

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मंगलवार, 25 अप्रैल 2017 (17:00 IST)
सूचना, समय और बदलाव प्रगति के सूचक है। प्रगति जीवित रहने की संज्ञा है। सूचना वह शस्त्र है जो समय के साथ हो रहे बदलावों को परिभाषित करती है। उन्नति के इस दौर में टीवी, रेडियो, और अखबार सूचना के मुख्य धारा से कब दूर चले गए और कब इंटरनेट ने उनके अस्तित्व को कम कर अपनी धाक जमा ली पता ही नही चला। 
 
इंटरनेट.....इस अद्‍भुत तकनीक का आविष्कार टिम बरनर्स ली ने किया था। टिम ने 1980 में यूरोप के न्यूक्लियर रिसर्च संस्था CERN में कंप्यूटर साइंटिस्ट के रूप में कार्य शुरू किया। CERN संस्था में कार्य करते समय, 25 साल के टिम के दिमाग में अलग-अलग कंप्यूटर पर एकत्रित डाटा को सर्वर के ज़रिए आपस में जोड़ने का विचार आया। इसी विचार को टिम ने 1989 में वर्ल्ड वाइड वेब के रूप में हक़ीक़त में बदल दिया। वर्ल्ड वाइड वेब तकनीक के क्षेत्र में एक मास्टर स्ट्रोक है। एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक जिसके जरिए हर वह व्यक्ति जिसके हाथ में इंटरनेट कनैक्शन है वह सूचना का आदान-प्रदान कभी भी, काही से भी कर सकता है। 
 
जब टिम बरनर्स ली ने 1989 में अपनी सहूलियत के लिए इस तकनीक का आविष्कार किया था, तब शायद ही उन्होने यह सोचा होगा कि उनका यह आविष्कार सूचना के क्षेत्र में इस कदर क्रांति ला देगा। पर हाँ, वो शायद इस बात से भली-भांति परिचित थे कि माध्यम भले ही परिवर्तित होते रहे पर इंसान की अभिव्यक्त करने की इच्छा हमेशा स्थायी बनी रहेगी।
 
आज विश्व में 50 प्रतिशत से अधिक लोग यानी तकरीबन 3675 मिलियन लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं। यह संख्या वर्ष 1995 में महज़ 16 मिलियन थी। सिर्फ भारत में ही 243 मिलियन लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं। इसमें से 125 मिलियन लोग facebook और 40 मिलियन लोग twitter जैसे सोशल मीडिया साइट्स पर एक्टिव हैं। अगर सर्वे कि मानें तो 2020 तक ये आंकड़े 500 मिलियन तक पहुंचने की संभावना है। 
 
निःसन्देह, इंटरनेट ने हर व्यक्ति, हर व्यापार और हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। पर जिस क्षेत्र को इंटरनेट ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है वह क्षेत्र पत्रकारिता है। किसी भी मुद्दे पर बहस करनी हो, प्रतिक्रिया देनी हो, आक्रोश जताना हो या फिर किसी भी सूचना को वायरल करना हो। आज इन सभी के लिए सिर्फ दो वस्तुओं कि ज़रूरत है, एक मोबाइल और दूसरा इंटरनेट कनेक्शन। अगर हम विश्व की बात न करके सिर्फ भारत की बात करे तो भारत में 200 मिलियन लोगों के पास घर हो ना हो पर मोबाइल जरूर है। लोग पढ़ना-लिखना ना जानते हो, पर इंटरनेट पर सोशल मीडिया हैंडल करना उन्हे बखूबी आता है। आज इंटरनेट की पहोच तकरीबन हर इंसान तक है। थोड़ी-बहुत जो कमी थी उसे जियो ने पूरी कर दिया। 
 
आज हर मोबाइल वाला इंसान इंजीनियर, डॉक्टर हो न हो पर वो खुद को पत्रकार अवश्य मानता है। एक ऐसा पत्रकार जो अपने विचार व्यक्त करने को स्वतंत्र है। एक ऐसा पत्रकार जो अपने विचार व्यक्त करने को तो स्वतंत्र है पर उस स्वतंत्र विचार की ज़िम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। इंटरनेट पर वायरल fake news इस अभाव की ओर स्पष्ट संकेत करती हैं। इंटरनेट पर कितनी अच्छी और सच्ची पत्रकारिता हो सकती है यह एक लंबे बहस का विषय है, लेकिन इंटरनेट पर शेयर की गई इन्फॉर्मेशन की सत्यता को जांचना और उसकी ज़िम्मेदारी लेना हर नागरिक का फर्ज़ बनता है। 
 
सूचना अगर प्रगति का सूचक है, तो विनाश का शस्त्र भी है। हम इस सच्चाई को जितनी जल्दी अपने जीवन में अमल करेंगे, उन्नति की रहे उतनी ही सरल होती जाएगी। 
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