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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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बच्चे के लिए खरीद रहे हैं पैकेट वाले बेबी फूड्स तो लेबल पर पढ़ लें ये चीजें

पैकेट वाले बेबी फूड्स खरीदने से पहले इन तथ्यों की जानकारी है ज़रूरी

baby food products

WD Feature Desk

baby food products

आजकल बाज़ार में 6 महीने के बच्चों के लिए भी तरह-तरह के बेबी फूड मौजूद हैं। बाजार में मिलने वाले इन बेबी फूड्स की पैकेजिंग आकर्षक होती है और इनमें बच्चों के लिए ज़रूरी पोषक तत्व होने का दावा किया जाता है। बच्चे दाल-चावल, खिचड़ी और दलिया को बेशक मना कर दें, लेकिन इन पैकेट फूड्स को तुरंत चट कर जाते है। इसकी मुख्य वजह है स्वाद। बच्चों को पैकेट में मिलने वाले फूड्स स्वादिष्ट लगते हैं, जिसकी वजह से वह इसे खा लेते हैं।

लेकिन हो सकते है पैकेट में दिखने वाला सुंदर और स्वाद में टेस्टी बेबी फूड आपके बच्चे की सेहत के लिए ठीक न हो। बेबी फूड्स को आकर्षक दिखाने के उनमें आर्टिफिशियल कलर्स, चीनी और मैदे का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में अगर बेबी फूड के लेबल को सही तरीके से पढ़ लिया जाए, तो आपको समझ आ जाएगा कि बच्चे के क्या सही है और क्या नहीं। आज इस आर्टिकल में हम आपको उन चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको बेबी फूड पैकेट पर पढ़नी चाहिए।ALSO READ: शिशु की नाजुक स्किन को लेकर पीढ़ियों से सुनी जा रही ये बातें मिथक हैं या सच्चाई

फूड लेबल क्या हैं?
फूड लेबल या पोषण लेबल उत्पाद की पैकेजिंग पर छपी जानकारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कंज्यूमर को प्रोडक्ट के बारे में उपयोगी जानकारी प्रदान करता है। लगभग सभी एफएमसीजी उत्पादों पर लेबल होना आवश्यक है, लेकिन जानकारी और प्रारूप प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।

 
पैकेजिंग के सामने, किनारे या पीछे खाद्य लेबल पर निम्नलिखित जानकारी दी जाती है।
  • भोजन का प्रकार
  • निर्माताओं और विपणन का विवरण और पता
  • पोषण जानकारी
  • उत्पाद का वजन और माप
  • निर्माण की तारीख
  • उपभोग के लिए वैधता
  • उपयोग और भंडारण के लिए दिशा-निर्देश
  • कोई भी पोषण और स्वास्थ्य संबंधी दावा
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, फूड लेवल आपको विटामिन, वसा, कैलोरी इत्यादि के बारे में जानकारी देता है। ताकि कोई भी प्रोडक्ट को खरीदे तो उसके अंदर किन चीजों का इस्तेमाल किया गया है, इसकी जानकारी उपभोक्ता को हो सके। उदाहरण के लिए, यदि आप टमाटर केचप खरीदना चाह रहे हैं, तो आप सही विकल्प चुनने के लिए खाद्य लेबल पर खाद्य सामग्री की सूची, जैसे चीनी सामग्री और कैलोरी की तुलना कर सकते हैं।

1. सर्विंग और कैलोरी
बेबी फूड लेबल पर सर्विंग और सूचीबद्ध कैलोरी कितनी है इसको पढ़ना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, यदि आलू के चिप्स का एक छोटे पैकेट को पढ़ते हैं, तो उस पर प्रति सर्विंग 10 से 100 ग्राम कैलोरी लिखी हो सकती है। पैकेट पर यह भी लिखा हो सकता है कि एक व्यक्ति को उस चिप्स के एक दिन में सिर्फ 10 ग्राम ही खाने चाहिए। अगर आप इससे ज्यादा खाते हैं, तो बीमारी हो सकती है। बेबी फूड लेबल पर परोसने का जो हिसाब दिया गया है, उसी को चुनें।

2. प्रोसेस्ड शुगर
कई खाद्य पदार्थों में नेचुरल शुगर के अलावा प्रोसेस्ड शुगर भी मौजूद होती है। अपने बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में सुनिश्चित होने के लिए अतिरिक्त चीनी की मौजूदगी और मात्रा जानना बहुत जरूरी है। पैकेट को पढ़ने के बाद आपको ऐसा लगता है कि इसमें 2 ग्राम से ज्यादा प्रोसेस्ड शुगर का इस्तेमाल किया गया है, तो ऐसे बेबी फूड प्रोडक्ट खरीदने से बचें।

3. फैट
फैट ऊर्जा प्रदान करते हैं। एक लेबल में, कुल फैट भोजन की एक सर्विंग में फैट की मात्रा को दर्शाता है। फैट को ट्रांस फैट (स्वास्थ्य के लिए खराब), संतृप्त वसा (स्वास्थ्य के लिए खराब), और असंतृप्त वसा (स्वास्थ्य के लिए अच्छा) के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। अगर आपके बेबी फूड लेबल पर ट्रांस फैट लिखा हुआ, तो उसे बच्चों को देने से बचें।

4. सोडियम
सोडियम नमक में पाया जाने वाला एक तत्व है। यह शरीर में तरल पदार्थ के संतुलन में मदद करता है, लेकिन इसकी अधिकता उच्च रक्तचाप का कारण बन सकती है। चूंकि खाद्य पदार्थों में भी प्राकृतिक रूप से सोडियम होता है, इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों की तलाश करें जिनमें सोडियम की मात्रा कम हो।

5. प्रोटीन
प्रोटीन मांसपेशियों और अंगों के निर्माण से लेकर प्रतिरक्षा प्रणाली को बरकरार रखने का काम है। प्रोटीन शरीर के लिए बहुत ज़रूरी होता है इसकी अपने बेबी के लिए प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का चयन करें।

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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