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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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14 जनवरी को मकर संक्रांति, पढ़ें व्रत की पौराणिक विधि

14 जनवरी को मकर संक्रांति, पढ़ें व्रत की पौराणिक विधि
हिन्दू धर्म के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर-संक्रांति कहलाता है। मकर-संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। इस दिन व्रत और दान (विशेषकर तिल के दान का) का काफी महत्व होता है। सूर्य ज्ञान, आध्यात्म और प्रकाश का प्रतीक है। 
 
प्रति वर्ष की तरह वर्ष 2018 में मकर संक्राति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जा रहा है। 
 
यह सूर्य भगवान का त्योहार है इस दिन पर सूर्य दक्षिण की यात्रा समाप्त करते हैं और उत्तर दिशा की तरफ बढ़ते हैं। 
 
मकर संक्रांति व्रत विधि 
 
भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायन या दक्षिणायन के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। इस व्रत में संक्रांति के पहले दिन एक बार भोजन करना चाहिए। संक्रांति के दिन तेल तथा तिल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव की स्तुति करनी चाहिए। 
 
इस दिन तीर्थों में या गंगा स्नान और दान करने से पुण्य प्राप्ति होती है। ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। संक्रांति के पुण्य अवसर पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण अवश्य प्रदान करना चाहिए। 
 
संक्रांति पूजा समय
 
संक्रांति के दिन पुण्य काल में दान, स्नान व श्राद्ध करना शुभ माना जाता है। इस साल यह शुभ मुहूर्त 14 जनवरी, 2018 को दोपहर 2 बजे से लेकर शाम 05 बजकर 41 मिनट तक का है। 
 
मकर संक्रांति पूजा मंत्र 
 
मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव की निम्न मंत्रों से पूजा करनी चाहिए: 
 
ॐ सूर्याय नम:
ॐ आदित्याय नम: 
ॐ सप्तार्चिषे नम: 
 
अन्य मंत्र हैं- ऋगमंडलाय नम:, ॐ सवित्रे नम:, ॐ वरुणाय नम:, ॐ सप्तसप्त्ये नम:, ॐ मार्तण्डाय नम:,ॐ विष्णवे नम: 
 
मकर संक्रांति सूर्य मंत्र : मकर संक्रांति के दिन इस विशेष सूर्य मंत्र का जाप किया जाना चाहिए : ॐ हरेम् हरेम् ह्रौमं साह सूर्य्याय नमः

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