Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

02 अक्टूबर गांधी जयंती पर विशेष : वर्तमान संदर्भ, युवा एवं गांधी दर्शन

02 अक्टूबर गांधी जयंती पर विशेष : वर्तमान संदर्भ, युवा एवं गांधी दर्शन
webdunia

सुशील कुमार शर्मा

, मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024 (16:30 IST)
Gandhi Jayanti 2024 : मैं अपनी पुत्री को अंग्रेजी का पाठ पढ़ा रहा था किन्तु उसका मन नहीं लग रहा था। मैंने उबाऊ वातावरण को बदलने के लिए उस से कहा अच्छा एक पहेली बताओ 'एक धोती, हाथ में लकड़ी, आंखों पर चश्मा' मेरी पहेली के पूरा होने से पहले ही वह बोल पढ़ी 'गांधीजी' सरलता की पराकाष्ठा का व्यक्तित्व एवं जीवन वर्तमान के सामाजिक, राजनैतिक, एवं अंतरराष्ट्रीय परिपेक्ष्य में उतना ही प्रासंगिक है जितना 100 साल पहले था।
 
हम विकास के पथ पर कितने भी आगे क्यों न बढ़ जाएं किन्तु गांधी के सिद्धांतों एवं उनके दर्शन को नकारना असंभव है। जब भी भारतीय समाज की बात होती है गांधी के दर्शन के बिना अधूरी रहती है। वर्तमान संदर्भों में जब गांधीजी के सिद्धांतों की प्रासंगिकता की बात होती है तो आज चाहे भारत का फैशनेबल युवा हो या किताबी ज्ञान के महारथी आई टी प्रोफेशनल या ग्रामीण बेरोजगार युवा हो सभी के गांधी जी प्रिय पात्र हैं। ये सभी गांधी जी को अपने से जोड़े बगैर नहीं रह सकते हैं।
 
महात्मा गांधी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक एवं अनुकरणीय हैं जितने अपने वक्त में थे। गांधीजी का बचपन, उनके सामाजिक एवं राजनैतिक विचार, सर्वोदय, सत्याग्रह, खादी, ग्रामोद्योग, महिला शिक्षा, अस्पृश्यता, स्वाबलंबन एवं अन्य सामाजिक चेतना के विषय आज के युवाओं के शोध एवं शिक्षण के प्रमुख क्षेत्र हैं।
 
भारतीय युवा हमेशा से गांधी जी के चिंतन का केंद्र बिंदु रहा है। वर्तमान युवा पाश्चात्य प्रभावों से संचालित है। उसकी सोच निरकुंश है। वह अपने ऊपर किसी का हस्तक्षेप नहीं चाहता है। ऐसी परस्थितियों में गांधी के विचारों की सर्वाधिक जरूरत आज के युवाओं को है।

गांधीजी हमेशा युवाओं से रचनात्मक सहयोग की अपेक्षा रखते थे। गांधीजी ने उस पीढ़ी के युवाओं को भय रहित कर अंग्रेजों के दमन का सामना करने का अद्भुत साहस दिया था। वे हमेशा युवा ऊर्जा को सही दिशा देने की बात करते थे। आंदोलन के समय वे युवाओं को हमेशा सतर्क करते रहते थे। 
 
सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय उन्होंने कहा था 'हमारा आंदोलन हिंसा का अग्रदूत न बन जाए इसके लिए मैं हर दंड सहने के लिए तैयार हूं, यहां तक की मैं मृत्यु का वरण करने को भी तैयार हूं' उस समय के युवाओं से उनकी अपेक्षा थी कि वो अपनी ऊर्जा और उत्साह को स्वतंत्रता प्राप्ति में सार्थक योगदान की ओर मोड़ें।
 
गांधीजी ने हमेशा से युवाओं को वंचित समूहों के उत्थान के लिए प्रेरित किया हैं। वो व्यक्तिगत घृणा के हमेशा विरोधी रहे हैं उनका कथन था 'शैतान से प्यार करते हुए शैतानी से घृणा करनी होगी' उन्होंने हमेशा युवाओ को आत्म प्रशंसा से बचने को कहा है। उनका कथन है 'जनता की विचारहीन प्रशंसा हमें अहंकार की बीमारी से ग्रसित कर देती है'
 
वर्तमान आई टी प्रोफेशनल के लिए गांधीजी मैनेजमेंट गुरु हैं। वो हमेशा आर्थिक मजबूती के पक्षधर रहे हैं। गांधीजी ने हमेशा पूंजीवादी व समाजवादी विचारधारा का विरोध किया है। उनका मानना था की देश की अर्थव्यवस्था कुछ पूंजीपतियों के पास गिरवी नहीं होनी चाहिए। उनकी अर्थव्यवस्था के केंद्र बिंदु गांव थे। उनके अनुसार जब तक गांव के युवाओ को गांव में ही रोजगार नहीं मिलता है, तब तक उनमें असंतोष एवं विक्षोभ रहेगा। ग्रामीण बेरोजगारों का शहर की ओर पलायन जो कि भारत की ज्वलंत समस्या है का निराकरण सिर्फ कुटीर उद्योग लगा कर ही किया जा सकता है।
 
भारतीय साहित्य की युवा पीढ़ी हमेशा से गांधी दर्शन से प्रभावित रही है। उस समय के साहित्य पर गांधी दर्शन का स्पष्ट प्रभाव था, मैथलीशरण गुप्त की भारत भारती, प्रेमचंद की रंगभूमि, माखनलाल चतुर्वेदी की पुष्प की अभिलाषा, रामधारी सिंह दिनकर की मेरे नगपति मेरे विशाल, सुभद्रा कुमारी चौहान की झांसी की रानी, आदि साहित्यिक रचनाएं गांधी दर्शन से ही प्रेरित रही हैं।
 
मनुष्य प्रजाति की उत्पति से लेकर आज तक की सारी मानवता व्यक्तिगत, सामाजिक, जातीय, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति के लिए प्रयास रत रही है। गांधीजी का मानना था की समाज में शांति की स्थापना तभी संभव है जब व्यक्ति भावनात्मक समानता एवं आत्मसंतोष को प्राप्त कर लेगा। गांधीजी के अनुसार शांति की प्राप्ति प्रत्येक युवा का भावनात्मक एवं क्रियात्मक लक्ष्य होना चाहिए तभी उसकी ऊर्जा, गतिशीलता एवं उत्साह राष्ट्रीय हित में समर्पित होंगे।
 
गांधीजी युवाओं को सामाजिक परिवर्तन का सबसे बड़ा औजार मानते थे। वो हमेशा चाहते थे की सामाजिक परिवर्तनों, सामाजिक कुरीतियों, सती प्रथा, बाल विवाह, अश्यपृश्यता, जाति व्यवस्था के उन्मूलन के विरूद्ध युवा आवाज उठाएं। उनका मानना था की शोषण मुक्त, स्वावलंबी एवं परस्पर पोषक समाज के निर्माण में युवाओं की अहम भूमिका है एवं भविष्य में भी होगी।
 
वर्तमान युवा प्रजातांत्रिक मूल्यों एवं तथ्यपरक सिद्धांतों को मानता है। कक्षा में मैंने अपने युवा विद्यार्थियों से चर्चा के दौरान प्रश्न किया की गांधीजी के स्वतंत्रता प्राप्ति के योगदान से इतर आपको उनका कौनसा गुण प्रभावित करता है? सभी का औसत एक ही जबाब था उनकी अहिंसा और सत्य निष्ठा। गांधी जी हमेशा आत्मनिरीक्षण के पक्षधर रहें हैं।

गांधीजी के सिद्धांत भी लोकतंत्र एवं सत्य की कसौटी पर कसे खरे सिद्धांत हैं। गांधीजी जी की असहमति, उनका बोला गया सत्य आज के युवा को बेचैन कर देता है। उनकी आस्थाएं अडिग हैं उन्होंने हर विश्वास को बड़ी जांच परख कर व्रत की तरह धारण किया था। उन्होंने युवाओ के लिए स्वराज को सबसे बड़ा आत्मानुशासन, सत्याग्रह को सबसे बड़ा व्रत, अहिंसा को सबसे बड़ा अस्त्र एवं शिक्षा को सबसे बड़ी नैतिकता माना है।
 
मैंने अपने छात्र जो की आई टी प्रोफेशनल एवं मेडिकल क्षेत्र में पढ़ रहे है या अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उनसे बातचीत के दौरान प्रश्न किया की आपके दैनिक जीवन में गांधी के दर्शन की क्या प्रासंगिकता हैं ? 
 
उनका कहना था की आज प्रतिस्पर्धात्मक कार्यक्षेत्रों में मानसिक दबाव बहुत है, जब भी काम या पढ़ाई का बोझ उन्हें मानसिक या शारीरिक रूप से शिथिल करता है तो वे लोग गांधीजी की जीवनी 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' पढ़ते हैं जिससे उनके अंदर आत्मबल एवं ऊर्जा का संचार होता है।
 
आज भारत में युवाओं के सामने ऐसे आदर्श व्यक्तित्वों की कमी हैं, जिसे वो अपना रोल मॉडल बना सकें। गांधीजी हर पीढ़ी के युवाओं के रोल मॉडल रहें है एवं होने चाहिए। आज हमारा समाज सांस्कृतिक एवं राजनैतिक परिवर्तनों से गुजर रहा है। इन सामाजिक परिवर्तनों को सही दिशा देने में गांधीजी के सिद्धांत एवं उनका दर्शन हमारे युवाओं के लिए मार्गदर्शक होने चाहिए।

आज हमारे युवाओं को मौका है की वे गांधीजी को अपना आदर्श बना कर सामाजिक परिवर्तन एवं राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। हमारे युवा उनके दर्शन को अपना कर अपने व्यक्तित्व एवं राष्ट्र के विकास में पूर्ण ऊर्जा एवं उत्साह से समर्पित हों, आज उनके लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।)

 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

वाल्मीकि और गोरखा समुदाय के साथ ही पाकिस्तानी रिफ्यूजियों ने भी पहली बार डाला वोट