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Sharad Pawar : महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से राजनीतिक विरासत के अस्तित्व पर सवाल?

Sharad Pawar : महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से राजनीतिक विरासत के अस्तित्व पर सवाल?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मुंबई , शनिवार, 23 नवंबर 2024 (21:08 IST)
Maharashtra Election 2024 News : शरद पवार (Sharad Pawar) ने महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में उनके नेतृत्व वाले राकांपा धड़े को शानदार जीत दिलाई थी, लेकिन इसके 5 महीने बाद ही पूर्व मुख्यमंत्री को विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में शनिवार को उनके 5 दशक लंबे राजनीतिक जीवन में सबसे बुरे झटकों में से एक का सामना करना पड़ा। शरद पवार (83) के नेतृत्व वाले गुट की हार ने उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं तथा ऐसे हालात में उनके सामने अपने धड़े को एकजुट रख पाने की भी चुनौती होगी।ALSO READ: महाराष्ट्र में क्यों घटा पवार का पावर, क्या शिंदे हैं शिवसेना के असली वारिस?
 
जुलाई 2023 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में विभाजन का नेतृत्व करने वाले उपमुख्यमंत्री अजित पवार अपने चाचा की राजनीतिक विरासत के सच्चे उत्तराधिकारी के रूप में उभरे हैं। महाराष्ट्र चुनावों के रुझान और परिणाम भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति की प्रचंड जीत का संकेत दे रहे हैं जिसका राकांपा हिस्सा है।ALSO READ: कैलाश विजयवर्गीय बोले- देवेंद्र फडणवीस बनें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
 
नवीनतम रुझानों और परिणामों से पता चला है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने 33 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की है और 8 क्षेत्रों में आगे चल रही है। इसके विपरीत शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने सिर्फ 6 सीटें जीती हैं और 4 अन्य पर आगे चल रही है।
 
अजित के नेतृत्व वाली राकांपा ने महाराष्ट्र विधानसभा के 288 निर्वाचन क्षेत्रों में से 59 सीटों पर और राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने 86 सीटों पर चुनाव लड़ा था। शिवसेना (उबाठा), कांग्रेस और राकांपा (शरदचंद्र पवार) की महाविकास आघाडी, भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति के प्रदर्शन के सामने टिक नहीं सकी।ALSO READ: शाह ने महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की ऐतिहासिक जीत पर जताया आभार
 
पूर्व में राज्य का नेतृत्व कर चुके शरद पवार एमवीए के मुख्य वास्तुकार हैं जिसने इसी साल हुए आम चुनावों में महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटों में से 30 पर जीत हासिल की थी। विधानसभा चुनावों में मिली हार निश्चित रूप से उन्हें आहत करने वाली है।
 
यह हार शरद पवार के लिए विशेष रूप से व्यक्तिगत है, क्योंकि उनके पोते युगेंद्र पवार अपने गृह क्षेत्र बारामती से मौजूदा विधायक अजित पवार से 1 लाख से ज्यादा मतों से हार गए हैं। 5 महीने पहले शरद पवार की बेटी और बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा चुनाव में अजित की पत्नी सुनेत्रा को आसानी से हराकर सीट बरकरार रखी थी।ALSO READ: बंडी संजय कुमार बोले, महाराष्ट्र की जनता ने Modi पर जताया भरोसा, India गठबंधन बिखर जाएगा
 
अपने 57 साल के राजनीतिक जीवन में शरद पवार ने विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी बारामती का प्रतिनिधित्व किया है और वर्तमान में वे राज्यसभा के सदस्य हैं। विधानसभा चुनावों से पहले उन्होंने संकेत दिया था कि अगले वर्ष उनका वर्तमान कार्यकाल समाप्त होने के बाद वे अपने संसदीय जीवन को अलविदा कह देंगे।
 
विधानसभा चुनावों में राकांपा (शरदचंद्र पवार) का खराब प्रदर्शन लोकसभा चुनावों के विपरीत है, जब उसने 10 सीटों पर चुनाव लड़कर 8 पर जीत हासिल की थी। शरद पवार लोकसभा चुनाव के बाद भी संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने राज्य का व्यापक दौरा किया और समरजीत घाटगे तथा हर्षवर्धन पाटिल जैसे भाजपा नेताओं को पार्टी में शामिल किया।ALSO READ: महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की प्रचंड जीत के 5 बड़े कारण, भाजपा का अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
 
वर्ष 2019 में जब राकांपा के कई बड़े नेता भाजपा में शामिल हो गए तो पवार 54 विधानसभा सीटें जीतने में कामयाब रहे। सतारा में भारी बारिश में उनके चुनावी भाषण ने हलचल मचा दी और उस चुनाव की एक चर्चित छवि बन गई।
 
पार्टी में 2023 में विभाजन हुआ था जिसमें उनके भतीजे अजित पवार सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना गठबंधन में शामिल हो गए थे। इस विभाजन के बाद हुए हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजे देख ऐसा लगता है कि वरिष्ठ पवार की मतदाताओं से 'सभी गद्दारों' को निर्णायक अंतर से हराने की अपील को ज्यादा तवज्जो नहीं मिली।
 
विभाजन के बाद अजित पवार और वरिष्ठ राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया कि उन्होंने कोई विश्वासघात नहीं किया है, क्योंकि शरद पवार स्वयं भाजपा नीत गठबंधन में शामिल होना चाहते थे, लेकिन अंतिम समय में पीछे हट गए थे। शरद पवार ने इस आरोप का कभी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। लेकिन अजित पवार की बगावत के बाद वे अड़े रहे। जब उनसे पूछा गया कि उनकी पार्टी का चेहरा कौन होगा तो पवार ने हाथ उठाकर जवाब दिया, 'शरद पवार'।ALSO READ: महाराष्ट्र चुनाव में जीत के बाद मोहित कम्बोज ने देवेंद्र फडणवीस को उठाया गोद में
 
उल्लेखनीय है कि वे उन शुरुआती विपक्षी नेताओं में से एक थे जिन्होंने लोकसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की ताकत का मुकाबला करने के लिए सभी विपक्षी दलों की एकजुटता की मांग की थी। लोकसभा में भाजपा की सीटों की संख्या कम करने में इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) की सफलता के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि पवार परिणामों को दोहराने में सक्षम होंगे और यहां तक ​​कि महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता से बेदखल भी कर देंगे।
 
शरद पवार महाराष्ट्र के प्रथम मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण के मार्गदर्शन में 1967 में 27 वर्ष की आयु में बारामती से विधायक चुने गए। कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को गिराकर और जनता पार्टी के साथ गठबंधन करके वे 1978 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। उनकी सरकार ज़्यादा दिन नहीं चली और 1986 में वे कांग्रेस में वापस आ गए।
 
वे 4 बार मुख्यमंत्री और 2 बार केन्द्रीय मंत्री रहे तथा रक्षा और कृषि जैसे प्रमुख विभागों का कार्यभार संभाला। मुख्यमंत्री के रूप में पवार को 1994 में राज्य की पहली महिला नीति लागू करने का श्रेय दिया जाता है जिसने महिलाओं को समान उत्तराधिकार अधिकार दिए।
 
उन्होंने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर कांग्रेस से अलग होने के बाद 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की स्थापना की। लेकिन उसी वर्ष विधानसभा चुनाव के बाद राकांपा और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बना ली और पवार पर दलबदल के आरोप लगे। कांग्रेस-राकांपा गठबंधन ने राज्य में 15 वर्षों तक शासन किया जिसे 2014 में भाजपा ने सत्ता से बाहर कर दिया।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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