Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

सहदेव को महाभारत युद्ध के पहले ही पता चल गया था उसका परिणाम, 5 रहस्य

सहदेव को महाभारत युद्ध के पहले ही पता चल गया था उसका परिणाम, 5 रहस्य

अनिरुद्ध जोशी

, शनिवार, 25 अप्रैल 2020 (13:17 IST)
कुंती के 4 पुत्र कर्ण, युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम थे जबकि पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के 2 दो पुत्र नकुल और सहदेव थे। आओ जानते हैं सहदेव के संबंध में 5 रहस्यमी बातें।
 
 
1. अश्विनकुमार के पुत्र : पांच पांडवों से से दो नकुल और सहदेव दोनों ही माद्री-अश्‍विन कुमार के पुत्र थे। लेकिन उनको पाण्डु पुत्र माना जाता है क्योंकि माद्री पाण्डु की पत्नी थीं। पाण्डु को शाप था कि वह जब भी अपनी पत्नी कुंति या माद्री के साथ सहवास करेंगे तुरंत ही मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। इसीलिए कुंति को प्राप्त मंत्र शक्ति के बल पर 4 पुत्र उत्पन्न हुए और वही मंत्र विद्या उन्होंने माद्री को बताई जिसने उनको दो पुत्र हुए। इस तरह दोनों को 6 पुत्र मिले जिसमें एक कर्ण भी थे।
 
मद्रदेश के राजा शल्य नकुल-सहदेव के सगे मामा थे। शल्य श्रीराम के कुल से थे। शल्यु कौरवों की ओर से लड़े थे।
 
2. जन्म के समय हुई आकाशवाणी : जब नकुल और सहदेव का जन्म हुआ तब आकाशवाणी हुई की, 'शक्ति और रूप में ये जुड़वा बंधु स्वयं जुड़वा अश्विनों से भी बढ़कर होंगे।' दोनों को ही अश्विनीकुमारों के औरस और पाण्डु के क्षेत्रज पुत्र कहते थे। 
 
3. चिकित्सक : यह भी अपने पिता और भाई की तरह पशुपालन शास्त्र और चिकित्सा में दक्ष थे और अज्ञातवास के समय विराट के यहां इन्होंने भी पशुओं की देखरेख का काम किया था। ये गाय चराने का कार्य भी करते थे।

 
4. महाभारत युद्ध : महाभारत युद्ध में सहदेव के अश्‍व के रथ के अश्व तितर के रंग के थे और उनके रथ पर हंस का ध्वज लहराता था। माना जाता है कि मृत्यु के समय उनकी उम्र 105 वर्ष की थी। सहदेव अच्छे रथ यौद्धा माने जाते हैं। इन्होंने शकुनि और उसके पुत्रों का वध कर दिया था। 
 
5. त्रिकालदर्शी थे सहदेव : सहदेव ने द्रोणाचार्य से ही धर्म, शास्त्र, चिक्तिसा के अलावा ज्योतिष विद्या सीखी थी। सहदेव भविष्य में होने वाली हर घटना को पहले से ही जान लेते थे। वे जानते थे कि महाभारत होने वाली है और कौन किसको मारेगा और कौन विजयी होगा। लेकिन भगवान कृष्ण ने उसे शाप दिया था कि अगर वह इस बारे में लोगों को बताएगा तो उसकी मृत्य हो जाएगी।
 
 
सहदेव के धर्मपिता पाण्डु बहुत ही ज्ञानी थे। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनके पांचों बेटे उनके मृत शरीर को खाएं ताकि उन्होंने जो ज्ञान अर्जित किया है वह उनके पुत्रों में चला जाए! सिर्फ सहदेव ने ही हिम्मत दिखाकर पिता की इच्छा का पालन किया। उन्होंने पिता के मस्तिष्क के तीन हिस्से खाए। पहले टुकड़े को खाते ही सहदेव को इतिहास का ज्ञान हुआ, दूसरे टुकड़े को खाने से वर्तमान का और तीसरे टुकड़े को खाते ही वे भविष्य को देखने लगे। इस तरह वे त्रिकालज्ञ बन गए।
 
6. सहदेव की कुल चार पत्नियां थीं : द्रौपदी, विजया, भानुमति और जरासंध की कन्या। द्रौपदी से श्रुतकर्मा, विजया से सुहोत्र पुत्र की प्राप्ति हुई। इसके अलावा इके दो पुत्र और थे जिसमें से एक का नाम सोमक था। सहदेव के नाम नाम से तीन ग्रंथ प्राप्त होते हैं- व्याधिसंधविमर्दन, अग्निस्त्रोत, शकुन परीक्षा।
 
7. सहदेव का राज्य : पांडवों ने अलग-अलग दिशाओं में जाकर अपने अपने राज्य का विस्तार किया था। सहदेव ने त्रैपुर एवं पौरवेश्‍वर राजाओं को परास्त कर दक्षिण भारत के समुद्र तटवर्ती राजाओं को परास्त्र किया था। उन्होंने शूर्पाक, तालाकट, दण्डक, समुद्रद्वीपवासी, म्लेच्छ, निषाद, पुरुषाद, कर्णप्रावरण, नरराक्षसयोनि, कालमुख, कोलगिरि, सुरभिपट्टण, ताम्रद्वीप, रामकपर्वत और तिमिंगल आदि राजाओं के राज्य को अपने अधीन कर लिया था।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

उत्तर रामायण : वाल्मीकि आश्रम में सीता ने बदल लिया था अपना नाम