Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

हनुमानजी ने तोड़ दिया था अर्जुन का घमंड

अनिरुद्ध जोशी
मंगलवार, 8 सितम्बर 2020 (15:30 IST)
आनंद रामायण में वर्णन है कि एक बार अर्जुन का हनुमानजी से मिलन हो जाता है। अर्जुन घमंड से हनुमानजी को कहता है कि मैं आपके समय होता तो पत्थर का रामसेतु बनवाने के बजाय अकेले ही अपने धनुष से ही मजबूत सेतु बना देता। आपके प्रभु श्रीराम ने ऐसा क्यों नहीं किया क्या वे सक्षम नहीं थे?
 
 
इस पर हनुमानजी ने कहा- वहां बाणों का सेतु कोई काम नहीं कर पाता। हमारा यदि एक भी वानर चढ़ता तो बाणों का सेतु छिन्न-भिन्न हो जाता। अर्जुन ने कहा- नहीं, देखो ये सामने सरोवर है, मैं उस पर बाणों का एक सेतु बनाता हूं। आप इस पर चढ़कर सरोवर को आसानी से पार कर लेंगे। यदि आपके चलने से सेतु टूट जाएगा तो मैं अग्नि में प्रवेश कर जाऊंगा और यदि नहीं टूटता है तो आपको अग्नि में प्रवेश करना पड़ेगा।
 
हनुमानजी ने कहा- मुझे स्वीकार है। मेरे यह तीन कदम ही छेल गया तो मैं हार स्वीकार कर लूंगा। हनुमान राम का स्मरण करते हुए उस बाणों के सेतु पर चढ़ गए। पहला पग रखते ही सेतु सारा का सारा डगमगाने लगा, दूसरा पैर रखते ही चरमराया और तीसरा पैर रखते ही सरोवर के जल में खून ही खून हो गया। तभी श्रीहनुमानजी सेतु से नीचे उतर आए और अर्जुन से कहा कि अग्नि तैयार करो। अग्नि प्रज्‍वलित हुई और जैसे ही हनुमान अग्नि में कूदने चले वैसे ही भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हो गए और बोले ठहरो! तभी अर्जुन और हनुमान ने उन्हें प्रणाम किया।
 
भगवान ने सारा प्रसंग जानने के बाद कहा- हे हनुमान! आपका तीसरा पग सेतु पर पड़ा, उस समय मैं कछुआ बनकर सेतु के नीचे लेटा हुआ था। आपकी शक्ति से आपके पैर रखते ही मेरे कछुआ रूप से रक्त निकल गया। यह सेतु टूट तो पहले ही पग में जाता यदि में कछुआ रूप में नहीं होता तो।
 
यह सुनकर हनुमान को काफी कष्‍ट हुआ और उन्होंने क्षमा मांगी। मैं तो बड़ा अपराधी निकला आपकी पीठ पर मैंने पैर रख दिया। मेरा ये अपराध कैसे दूर होगा भगवन्?  यह सारी घटना देखकर अर्जुन को भी बड़ा पछतावा हुआ और उन्होंने भी हनुमानजी और प्रभु श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी।
 
तब श्रीकृष्ण ने हनुमानजी से कहा, ये सब मेरी इच्छा से हुआ है। आप मन दुख मत करो और मेरी इच्‍छा है कि आप अर्जुन के रथ की ध्वजा पर स्थान ग्रहण करो। इसलिए द्वापर में श्रीहनुमान महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ के ऊपर ध्वजा लिए बैठे रहते हैं। यही कारण था कि अर्जुन का रथ सभी बाधाओं से सुरक्षित रहा।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

25 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

25 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

આગળનો લેખ
Show comments