Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

क्या समलैंगिक थे महाभारत के दो सेनापति हंस और डिंभक?

abhimanyu mahabharat
, मंगलवार, 25 अप्रैल 2023 (07:02 IST)
समलैंगिकों को विवाह करने की अनुमति देने के लिए भारत के सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसी बीच आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने महाभारत में जरासंध और श्रीकृष्ण के बीच हुए युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि जरासंध के सेनापति हंस और डिंभक को समलैंगिक बातया था। हालांकि विद्वान लोग इस पर अपनी राय अलग अलग रखते हैं।
 
भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा कंस का वध करने के बाद कहत हैं कि कि श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंस के श्वसुर जरासंध ने 18 बार मथुरा पर चढ़ाई की। 17 बार वह असफल रहा। अंतिम चढ़ाई में उसने एक विदेशी शक्तिशाली शासक कालयवन को भी मथुरा पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया। हालांकि यदि जरासंध के सेनापति हंस और दिंभक को भ्रम में नहीं रखा जाता तो यादवों को शायद कभी जीत हासिल नहीं होती।
 
महाभारत के सभापर्व के अध्याय 14 के अनुसार जरासंध के दो सेनापति हंस और दिंभक थे। दोनों में इस कदर मित्रता थी कि दोनों एक दूसरे के बगैर जी नहीं सकते थे। दोनों ही बहुत ही वीर शक्तिशाली और किसी भी शस्त्र से नहीं मारे जा सकने वाले योद्धा था। जरासंध की सेना के इन वीरों ने जरासंध की ओर से लड़कर यादवों की सेना के छक्के छुड़ा दिए थे।
 
इन दोनों सेनापतियों को मारने के लिए बाद में श्रीकृष्ण ने एक रणनीति बनाई। इस रणनीति का प्रयोग 17वें युद्ध में किया गया। श्री श्रीकृष्ण ने युद्ध के दौरान यह अफवाह फैला दी कि हंस युद्ध में मारा दिया गया है। यह सुनकर डिंभक ने यमुना नदी में कूदकर अपनी जान दे दी। बाद में जब हंस को यह पता चला तो उसने भी यमुना में कूदकर अपनी जान दे दी। 
 
हता हंस इति प्रोक्तमथ केनापि भारत। तत्छुत्वा डिंभको राजन् यमुनाम्भस्यमज्जत।।
बिना हंसेन लोकेस्मिन नाहं जीवितुमुत्सहे। इत्येतां मतिमास्थाय दिंभको निधनं गतः।।- (सभापर्व अध्याय 14, श्लोक 41)
webdunia
दोनों सेनापतियों की मृत्यु का समाचार सुनकर जरासंघ हताश और निराश हो गया और वह अपनी सेना को लेकर लौट गया।
 
हालांकि कुछ विद्वानों का मानना है कि दोनों समलैंगिक थे इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है। हलांकि दोनों के इस कदर करीब होने को लेकर कहा जाता है कि उनमें दोस्ती से कहीं ज्यादा कुछ था।
 
हरिवंश पुराण के भविष्य पर्व के अध्याय 287 में इन दोनों का जिक्र है। कथा के अनुसार राज ब्रह्मदत्त ने शिवजी की आराधना करके दो पुत्र प्राप्त किए हंस और डिंभक। दोनों भाई थे। यह भी कहा जाता है कि बलरामजी का युद्ध हंस के साथ हुआ और उसका वध होते देखा तो सैनिकों ने शोर मचाना शुरु कर दिया कि हंस मारा गया। यह समाचार जब डिंभक को मिला तो उसने यमुना में कूदकर आत्महत्या कर ली। हरिवंश पुराण सहित कई अन्य ग्रंथों में इन दोनों को भाई कहा गया है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

24 अप्रैल 2023: आज कैसा रहेगा दिन सेहत, करियर, धन के मामले में, पढ़ें सोमवार का राशिफल