इंदौर। जनविकास सोसाइटी, पालदा इंदौर की 16 झुग्गी बस्तियों के युवाओं के लिए डिजिटल साक्षरता पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया है। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्तर के साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ प्रो. गौरव रावल व इंदौर के नारकोटिक्स विंग से निरीक्षक पदम सिंह कायत, उप-निरीक्षक अजय कुमार शर्मा थे।
प्रो. रावल ने सोशल मीडिया का उपयोग सावधानी से करने और नए साइबर अपराधों से अवगत होने के बारे में अपना ज्ञान साझा किया था। अजय कुमार शर्मा ने ड्रग्स और दुर्व्यवहार पर भी बात की थी जो समाज के कमजोर क्षेत्रों में उत्पन्न हो रहे हैं। इसमें इंदौर की विभिन्न झुग्गी बस्तियों से लगभग 160 युवाओं ने भाग लिया।
जनविकास सोसाइटी इंदौर के निदेशक फादर शिनोज जोसेफ ने सभी अतिथियों का स्वागत पौधा देकर किया। उन्होंने अपने प्रेसेंटेशन के माध्यम से जनविकास सोसाइटी इंदौर द्वारा पिछले 20 वर्षों से किए जा रहे कार्यों के ब्योरा देते हुए बताया कि इंटरनेट के माध्यम से हो रहे अपराध को डिजिटल लिटरेसी के द्वारा युवाओं में जागरूकता पैदा करने के लिए हमने यह कार्यशाला आयोजित की है।
प्रो. रावल ने साइबर अपराध और देश में हर दिन हो रहे वित्तीय धोखाधड़ी के संक्षिप्त परिचय के साथ कार्यशाला की शुरुआत की। उन्होंने युवाओं को सोशल मीडिया के लापरवाह उपयोग के प्रति आगाह किया और उन्हें सोशल मीडिया का उपयोग करते निजी जानकारी न शेयर करने पर बल दिया। उन्होंने साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे के बारे में युवाओ को जागरूक करने के लिए हाल ही में रिपोर्ट किए गए अपराधों का व्यावहारिक उदाहरण दिया।
प्रो. रावल ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर युवाओं को सुरक्षा और गोपनीयता के पहलुओं के बारे में बताया गया। उन्होंने साइबर अपराध में नवीनतम तरीको जैसे साइबर-स्टॉकिंग, साइबर-बुलिंग और पहचान की चोरी पर भी व्यापक रूप से चर्चा की। उन्होंने छात्रों को आईटी अधिनियम 2008 की विभिन्न धाराओं जैसे 66-E, 65-B व धारा 67 और आईपीसी की धारा 354-D व 509 के प्रावधानों के बारे में भी बताया। प्रो. श्री गौरव रावल ने ऑनलाइन गेम की लत से होने वाली मानसिक बीमारियों से अवगत से अवगत कराया।
प्रो. रावल ने युवाओं को साइबर अपराध की घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए और ऐसे अपराधों की प्रभावी रूप से रिपोर्ट करने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रेपोर्टिंग पोर्टल www.cybercrime.gov.in व गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 से भी अवगत कराया।
उपनिरीक्षक अजय कुमार शर्मा ने प्रजेंटेशन व वीडियो द्वारा नशे से दूर रहने एवं नशे से मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर होने वाले कुप्रभावों की जानकारी दी और बताया यदि कोई नशे का आदी व्यक्ति स्वेच्छा से नशे से दूर रहने के लिए अपना इलाज करना चाहता है तो इंदौर के स्थानीय नशा मुक्ति केंद्रों पर उनके लिए कम से कम खर्चे पर इलाज करवाने की व्यवस्था इंदौर नरकोटिक्स विंग द्वारा कारवाई जा सकती है। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।