भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फ्लेगशिप योजना 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' की राज्यस्तरीय कार्यशाला का आज भोपाल में महिला एवं बाल विकास द्वारा किया गया। कार्यशाला में भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के उप सचिव अशोक यादव भी मौजूद थे। यादव ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश के शिशु लिंगानुपात में सुधार की स्थिति बेहतर है।
मप्र महिला एवं बाल विकास के प्रमुख सचिव जेएन कांसोटिया ने कहा कि बालिका भेदभाव की मानसिकता बड़ी चुनौती है, इस कारण योजना के तीव्र परिणाम नहीं मिलेंगे लेकिन हमें प्रयासरत होना पड़ेगा और ज्यादा से ज्यादा जनसमुदाय को इससे जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि हर जिला अपना कैलेंडर बनाए। इसमें रैली, साइकिल यात्रा को शामिल कर इस मुद्दे पर जनआंदोलन चलाएं।
महिला एवं बाल विकास के आयुक्त डॉ. अशोक भार्गव ने कहा कि 21वीं सदी में 18वीं सदी की मानसिकता गहन मानवीय संकट की आहट है। समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक माहौल एवं वातावरण निर्मित करने के लिए समुदाय की सक्रिय भागीदारी प्रोत्साहित करने की महती आवश्यकता है।
डॉ. भार्गव ने कहा कि प्रत्येक जिले में महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज करने वाली बेटियों को 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का ब्रांड एम्बेसडर बनाना चाहिए। हर साल नए ब्रांड बनाना चाहिए। इन बालिकाओं को विशेष अवसर पर सार्वजनिक रूप से सम्मानित करना चाहिए।
इस योजना के संयुक्त संचालक सुरेश तोमर ने बताया कि प्रदेश के भिंड, मुरैना, दतिया और ग्वालियर जिलों में समेकित बाल विकास योजना के एम.आई.एस आंकड़ों के आाधार पर शिशु लिंगानुपात में लगातार सुधार हो रहा है। कार्यशाला में संचालक, महिला सशक्तिकरण, महिला एवं बाल विकास विभाग, छोटे सिंह, भारत सरकार के योजना सलाहकार शिशिकांत यादव एवं अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।