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मध्यप्रदेश के मालवा में गुजरात इफेक्ट, पाटीदारों ने दिखाई ताकत

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-मुस्तफा हुसैन, नीमच से
जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, उससे तो लगता है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश का पाटीदार समाज सत्तारूढ़ भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। सरदार पटेल की जयंती पर नीमच और मंदसौर में पाटीदार समाज के लोगों ने जिस तरह से एकजुटता दिखाई वह भगवा पार्टी के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। गुजरात की तर्ज पर ही मध्यप्रदेश में भी धीरे-धीरे पाटीदार समाज एकजुट हो रहा है। 
 
सरदार पटेल की जयंती पर पूरे अंचल से एकत्रि‍त हुए पाटीदार समाज ने जमकर दम दिखाया। इससे पहले सरदार पटेल की जयंती पर कभी इतनी बड़ी संख्या में पाटीदार इकट्‍ठे नहीं हुए। इससे साफ है कि समाज अब राजनीतिक दलों को दम दिखाना चाहता है। 
 
मालवा पाटीदारों का गढ़ है। पूरे प्रदेश में सर्वाधिक पाटीदार मालवा में ही रहते है और नीमच, मंदसौर जिले में तो गांव के गांव भरे पड़े हैं। गौर करने वाली बात यह भी है कि मालवा को भाजपा का भी गढ़ माना जाता है। 
 
पाटीदार समाज के सूत्रों की मानें तो मालवा में करीब चालीस लाख पाटीदार बसते हैं और प्रदेश में करीब सत्तर लाख पाटीदार समाज के लोग है और पूरे प्रदेश की 220 विधानसभा सीटों में 65 सीटें ऐसी हैं, जिन पर पाटीदार समाज के वोट ताकत में हैं। 
 
एक खास बात और यह कि मंदसौर में हुए गोलीकांड में 6 पाटीदारों की मौत और उसके बाद पुलिस ने इस आंदोलन के बाद जिस तरह पाटीदार समाज के लोगों के खिलाफ मुकदमे बनाए गए, उससे समाज में काफी गुस्सा था। उस समय कुल 300 लोगों के खिलाफ मामले बने थे, जिनमें पाटीदार समाज के लोगों की संख्‍या 70 प्रतिशत के लगभग थी।
 
इसके घटना के बाद ही बाद पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पहली बार मालवा में आए और उन्होंने मंदसौर के पिपलिया और शाजापुर में दो बड़ी रैलियां की थीं। रैलियों में उन्होंने साफ तौर पर पाटीदारों को जाग जाने का आह्वान किया था। 
 
सरदार पटेल की जयंती पर नीमच में करीब एक हज़ार दुपहिया और चार पहिया वाहनों के साथ सैकड़ों पाटीदारों ने रैली निकाली। ये पाटीदार नीमच के 90 गांवों से आए थे। ठीक इसी तरह का शक्ति प्रदर्शन मंदसौर में हुआ। मंदसौर में तो इस बार चार दिनों तक रैलियों का आयोजन हुआ। वहां सरदार पटेल की चार मूर्तियों का अनावरण किया गया, जिनमें दो मूर्तियां पिपलिया पंथ और जेतपुरा में लगाई गई हैं, जहां के पाटीदार किसान आंदोलन में मारे गए थे। इन आयोजनों में सैकड़ों पाटीदार जुटे।
 
पाटीदार समाज के प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र पाटीदार ने भी नीमच और मंदसौर के कार्यक्रमों में शिरकत की। जब उनसे पूछा कि इतनी बड़ी संख्या में पाटीदारों का निकलना क्या बताता है तो उनका जवाब था कि यह उत्तेजना किसान आंदोलन में शहीद हुए पाटीदारों के कारण है और इस आंदोलन के बाद पाटीदार समाज में आक्रोश है। अब समाज ने बड़ी राजनीतिक शक्ति बनने की ठान ली है क्योंकि वोटो की ताकत तो समाज के पास है ही।
 
यहां एक बात और गौर करने लायक है कि मालवा संघ परिवार की नर्सरी है। यहां पाटीदार समाज बड़ी संख्या में भाजपा का हिमायती वोट बैंक रहा है, लेकिन अब इस समाज की भाषा बदली-बदली है। यदि पाटीदार अपना रुख बदलते है तो भाजपा के लिए एक बड़ी चिंता का कारण हो सकता है। इस बात को पाटीदार समाज नीमच के जिला अध्यक्ष महेश पाटीदार ने भी साफ़ कर दिया।
 
उन्होंने खास बातचीत में कहा की हम सरदार पटेल की जयंती पर रैलियों के माध्यम से समाज को इकट्‍ठा कर रहे हैं ताकि राजनीतिक दलों को संकेत दिया जा सके कि वे हमारी भावनाओं का ध्यान रखे। 

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