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स्वाधीनता संघर्ष और जनजातीय चेतना के प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

स्वाधीनता संघर्ष और जनजातीय चेतना के प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

विकास सिंह

, गुरुवार, 14 नवंबर 2024 (17:42 IST)
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि "अबुआ दिशोम-अबुआ राज" अपना देश और अपनी माटी के महत्व का उद्घोष करने वाले और उलगुलान क्रांति से स्वत्व, स्वाभिमान और स्वराज की चेतना जगाने वाले भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर आज हम सब उनको सादर नमन करते है। भगवान बिरसा मुंडा ने जनजातीय संस्कृति, स्वाभिमान और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए लंबा संघर्ष किया और जनजातीय गौरव का प्रतीक बन गये। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उनके अभूतपूर्व योगदान को स्मरण करने के लिए भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर पर प्रति वर्ष "जनजातीय गौरव दिवस" के आयोजन की परंपरा आरंभ की।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जल, जंगल, जमीन के रक्षक बिरसा मुंडा ने वर्ष 1893-94 में अंग्रेजों द्वारा वन अधिनियम बनाकर जंगलों पर कब्जा करने का विरोध किया, शोषण के खिलाफ आवाज उठाई और स्वतंत्रता के लिये उलगुलान क्रांति शुरू की। उन्होंने जनजातियों के स्वाभिमान को जगाया और उन्हें यह विश्वास दिलाया कि यह हमारी धरती है और हम ही इसके रक्षक हैं। अपनी धरती और माटी की रक्षा के लिये जनजातियों ने बिरसा मुंडा के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला। यह क्रांति इतनी प्रभावी थी कि आखिरकार अंग्रेजों ने छोटा नागपुर टेनेंसी कानून पारित किया और जनजातियों को उनका अधिकार प्राप्त हुआ।

गौरवमयी अतीत का प्रकटीकरण-मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य जनजातीय समाज का गौरवमयी अतीत समाज के सामने लाना और उनकी संस्कृति तथा परंपराओं का संरक्षण है। राष्ट्र रक्षा के लिये उनके द्वारा किये गये बलिदान का प्रकटीकरण हो और इससे समाज अवगत हो, वे अपनी संस्कृति और परंपराओं का महत्व समझें तथा उनमें स्वत्व का बोध हो। समाज, संस्कृति और राष्ट्र को समर्पित भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर आज शहडोल और धार जिले में राज्यस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। मुझे प्रसन्नता है कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअली जुड़कर हमारा मार्गदर्शन करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने जनजातीय गौरव दिवस के आयोजन की शुरुआत के साथ जनजातियों के गौरव की पुनर्स्थापना की नींव रखी है। उनका लक्ष्य है अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति का विकास करना तथा विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना। जनजातीय समाज के कल्याण के लिये संकल्पित प्रधानमंत्री श्री मोदी के संकल्प की सिद्धि के लिये मध्यप्रदेश सरकार विभिन्न स्तरों पर कार्य कर रही है।

जनजातीय वर्ग का समग्र विकास ध्येय-मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गत वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर जनजाति न्याय महाअभियान (पीएम जन-मन) योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य जनजातीय समुदायों को आत्मनिर्भर बनाना और उनका शैक्षणिक, आर्थिक, स्वस्थ और सामाजिक विकास करना है। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि इस योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश की विशेष उपलब्धि रही है। पीएम जन-मन योजना में प्रदेश के 24 जिलों के 118 गांवों में निवासरत बैगा, भारिया एवं सहरिया विशेष पिछड़ी जनजातीय समूह के 11 लाख 35 हजार से अधिक भाई-बहनों को सहायता, रोज़गार और कौशल प्रशिक्षण देकर इन्हें विकास की नई राह से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। इसमें 7 हजार 300 करोड़ रुपये की लागत से नये स्वास्थ्य केंद्र, छात्रावास, बहुउद्देशीय केंद्र, सड़क, पुल और आवास सहित अन्य निर्माण कार्य किये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उदाहरण देते हुए कहा कि पीएम जन-मन योजना में सिवनी जिले का झिंजरई गांव एक आदर्श ग्राम के रूप में विकसित हो चुका है। इस गांव में राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन शत-प्रतिशत हुआ। यही नहीं, छिंदवाड़ा और डिंडौरी जिले में 7 और कटनी में 6 विशेष पिछ़ड़े जनजातीय बहुल गांव आदर्श ग्राम के रूप में विकसित किए जा रहे हैं। शौर्य और पराक्रम जनजातियों का मौलिक स्वभाव है। उनकी इस विशेषता को देखते हुए प्रदेश के विशेष पिछड़ी जनजातीय समूह के लिये शौर्य संकल्प योजना के अंतर्गत पीवीटीजी बटालियन गठित की जायेगी। जनजातीय विद्यार्थियों की शिक्षा और भविष्य निर्माण के लिये उन्हें प्री-मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक, विदेश अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति, सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना और परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण का लाभ दिया जा रहा है।

बजट वृद्धि-मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनजातीय वर्ग के समग्र विकास और कल्याण के लिये हमने इस वित्त वर्ष में 40 हजार 804 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो पिछले बजट की तुलना में 23.4 प्रतिशत अधिक है। तेंदूपत्ता संग्राहकों का मानदेय 3 हजार रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रुपये किया गया। इससे 35 लाख संग्राहक लाभान्वित हुए हैं। प्रदेश में जनजातीय विकास की अधोसंरचनाओं के निर्माण के लिये विशेष तकनीकी समूह तैयार करने का निर्णय लिया गया। रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना में अधिकतम 3900 रुपये प्रति हेक्टेयर की अतिरिक्त सहायता राशि स्वीकृत की गई। प्रदेश में जनजातियों को जल, जंगल, जमीन और श्रमिकों के अधिकारों की जानकारी तथा इनके संरक्षण और सांस्कृतिक परंपराओं की सुरक्षा के लिये पेसा अधिनियम लागू किया गया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय समुदाय के समग्र विकास और उनके जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में विशेष पहल करते हुए 2 अक्टूबर, 2024 को धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान आरंभ किया। इस अभियान का उद्देश्य प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में जनजातीय आबादी के लिए समान अवसरों का सृजन, सामाजिक-आर्थिक स्तर का विकास, बुनियादी ढांचे का सुधार और स्वास्थ्य, शिक्षा तथा आजीविका के क्षेत्र में ठोस प्रगति करना है। हमारा लक्ष्य प्रदेश के 267 विकासखंडों में स्थित 11 हजार 377 जनजातीय बहुल गांव का सर्वांगीण विकास करना है। यही नहीं, इस योजना में केंद्र सरकार द्वारा देशभर में 100 जनजातीय ग्रामीण हाट बाजार तैयार करने की योजना है। प्रदेश के 19 जिलों में जनजातीय ग्रामीण हाट बाजार की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। इसमें जनजातियों की पुरातन कला, संस्कृति के प्रतीक, शिल्पकारी, चित्रकारी, खिलौने, मिट्टी व बांस से तैयार उत्पाद आदि का प्रदर्शन किया जायेगा। इससे पारंपरिक कला संस्कृति समृद्ध होने के साथ जनजातीय वर्ग का आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण होगा।

मध्यप्रदेश, मोदी के संकल्प को करेगा साकार- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मुझे इस बात से संतोष है कि भगवान बिरसा मुंडा ने जनजातीय समाज के स्वाभिमान और उत्थान के लिये जो स्वप्न देखा था, वह आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आकार ले रहा है। जनजातीय कल्याण के लिये प्रधानमंत्री जी के संकल्प को पूर्णत: साकार करेगा। उनकी नीतियों को मध्यप्रदेश ने धरातल पर उतारने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज का दिन हमें यह स्मरण दिलाता है कि जनजातीय समाज ने राष्ट्र और संस्कृति के लिए हर क्षेत्र और प्रत्येक कालखंड में बलिदान दिया है। भारत की अस्मिता और संस्कृति की रक्षा में बलिदान हुए जनजातीय भाई-बंधुओं की लंबी श्रृंखला है। जनजातीय समाज ने भारत पर होने वाले प्रत्येक आक्रमण का सामना किया है, जिसे यूनानी हमलावर सिकंदर के आक्रमण से लेकर अंग्रेजी काल तक देखा जा सकता है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज यदि भारत एक बार फिर अपने गौरव की ओर लौट रहा है तो उसमें महत्वपूर्ण भूमिका जनजातीय समाज के बलिदानियों की भी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आहवान किया कि आइए बलिदानों के प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर हम जनजातीय समाज के कल्याण, विकास और प्रगति का संकल्प लें। जल, जंगल, जमीन, स्वत्व और स्वाभिमान के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले महान योद्धा भगवान बिरसा मुंडा को कोटिशः नमन और प्रदेशवासियों को जनजातीय गौरव दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...।
 

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