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जानिए क्या है Gender Identity Disorder?, जिसके चलते मध्यप्रदेश में पहली बार महिला आरक्षक बनेगी पुरुष

मध्यप्रदेश में पहली बार महिला कॉस्टेबल को जेंडर चेंज कराने की मिली अनुमति

विकास सिंह
बुधवार, 1 दिसंबर 2021 (17:40 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग में कार्यरत महिला आरक्षक को जेंडर (Sex Change) परिवर्तन कराने  की अनुमति सरकार के ओर से मिल गई है। महिला आरक्षक को बचपन से जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर (Gender Identity Disorder) की समस्या थी और मनोचिकित्सक़ों ने इसकी पुष्टि भी की है। महिला आरक्षक अमिता (परिवर्तित नाम) अपनी ड्यूटी के दौरान पुरुषों की भाँति सभी सरकारी कार्य कर रही थी। 
 
जेंडर परिवर्तन कराने के लिए महिला आरक्षक ने विधिवत आवेदन,शपथ पत्र और भारत सरकार के राजपत्र में जेंडर परिवर्तन कराने की अधिसूचना प्रकाशित करा कर आवेदन पुलिस मुख्यालय को प्रेषित किया। पुलिस मुख्यालय ने आवेदन को गृह विभाग को भेजा था। इसके बाद आज गृह विभाग ने आरक्षक अमिता (परिवर्तित नाम) को सेक्स चेंज (sex change) की अनुमति दे दी है। गौरतलब है कि यह मध्यप्रदेश का पहला मामला जिसमें सरकार ने सेक्स चेंज क़ी अनुमति दी गई है।
 
 
क्या बोले गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा?- महिला आरक्षण के जेंडर परिवर्तन पर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि जेंडर परिवर्तन व्यक्ति का स्वयं का अधिकार है और इसकी को देखते हुए यह फैसला किया गया है। गृहमंत्री ने कहा कि महिला आरक्षक के जेंडर परिवर्तन के आवेदन पर मंजूरी देने के लिए मनोचिकित्सकों की अनुमति ली गई। 

जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर क्या है?-इस पूरे मामले पर मनोचिकित्क डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं पहले तो यह समझना चाहिए कि जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं है। ऐसे केसों में जिस जेंडर में व्यक्ति का जन्म हुआ होता है वह कई बार चाहने वाले जेंडर से अलग होता है। ऐसे में उस जेंडर के लिए कैसा फील करते है यह महत्वपूर्ण होता है।

उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति का बायोलॉजिकल जेंडर एक महिला का है लेकिन मन से वह उस जेंडर के साथ सामान्य नहीं है। ऐसे में उसे लगता है कि उसे लड़का होना चाहिए, लड़कों के कपड़े पहनाना चाहिए और जो सेक्सुअल इच्छा होती है वह विपरीत लिंग की तरफ होती है। सामान्य तौर पर ऐसे व्यक्ति मन ही मन काफी अंतर्द्वंद से जूझ रहे होता है। ऐसे केसों में बहुत सारे लोग संकोच के कारण सामने नहीं आते है और वह डिप्रेशन से भी जूझते है। मनोचिकित्सक सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहते है कि यह फैसला कई लोगों के लिए नजीर बनेगा।
 
 

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