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UGC के आरक्षण को लेकर नए मसौदे पर सियासी जंग,कमलनाथ ने कहा सामने आया भाजपा का आरक्षण विरोधी चेहरा

विशेष प्रतिनिधि
सोमवार, 29 जनवरी 2024 (15:53 IST)
भोपाल। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के आरक्षण को लेकर नये मसौदा ने अब सियासी रूप ले  लिया है। कांग्रेस ने इसे भाजपा का आरक्षण विरोधी चेहरा बताते हुए इसे आरक्षण समाप्त करने के एक कोशिश बता दिया है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यूजीसी  के मसौदे पर कहा कि “भारतीय जनता पार्टी का आरक्षण विरोधी चेहरा अब खुलकर सामने आता जा रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने जिस तरह से विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को समाप्त करने के लिए ड्राफ्ट तैयार किया है, वह अत्यंत खतरनाक प्रवृत्ति है। इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि अगर उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से योग्य उम्मीदवार नहीं मिलते तो आरक्षित सीटों को अनारक्षित कर दिया जाए। यह आरक्षण समाप्त करने की स्पष्ट साजिश है”।

कमलनाथ ने आरक्षण को लेकर भाजपा को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि  यह पहली बार नहीं हो रहा जब भारतीय जनता पार्टी समाज के कमजोर तबके से आरक्षण छीनना चाहती है। इससे पहले मध्य प्रदेश में मेरी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण दिया था जिसे भाजपा की सरकार ने षड्यंत्रपूर्वक समाप्त हो जाने दिया। मोदी सरकार इसीलिए जातिगत जनगणना के आंकड़े  सार्वजनिक नहीं कर रही है कि समाज के वंचित वर्ग को उसका अधिकार न देना पड़े। लेकिन कांग्रेस पार्टी भाजपा के मंसूबे सफल नहीं होने देगी और हर स्तर पर दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग और सर्व समाज की लड़ाई लड़ती रहेगी”।

UGC ने दी सफाई- दरअसल मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक यूजीसी के नए दिशानिर्देशों में सुझाव दिया गया है कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रिक्तियां इन श्रेणियों के पर्याप्त उम्मीदवार नहीं आने की स्थिति में अनारक्षित घोषित की जा सकती हैं। इस पर विवाद बढ़ने के बढ़ने  के बाद यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षित श्रेणी के पद का आरक्षण रद्द नहीं किया गया है और ऐसा कोई आरक्षण समाप्त नहीं किया जाने वाला है। उन्होंने कहा  कि यह स्पष्ट किया जाता है कि अतीत में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षित श्रेणी के पदों का कोई आरक्षण समाप्त नहीं हुआ है और ऐसे कोई आरक्षण समाप्त नहीं होने जा रहा है, सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आरक्षित श्रेणी के सभी पूर्व में रिक्त पद (बैकलॉग) ठोस प्रयासों से भरे जाएं।
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