भोपाल। मध्यप्रदेश में लगातार मासूम के साथ बढ़ते रेप के बीच अब भाजपा के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने गंभीर सवाल खड़े किए है। गोपाल भार्गव ने सोशल मीडिया पर मासूमों के साथ रेप और उनकी हत्या पर चिंता जताते हुए सवाल उठाते हुए लिखा कि क्या हम रावण दहन के अधिकारी है। वहीं गोपाल भार्गव की बात का समर्थन कर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने समर्थन कर सियासी माहौल गर्मा दिया है।
सोशल मीडिया पर पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने लिखा कि “नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है, गांव से लेकर शहर तक जगह जगह देवी जी सहित कन्याओं का पूजन हो रहा है। पांच दिन बाद दशहरा आयेगा देश भर में गांव से लेकर शहरों तक लोग रावण का पुतला दहन करेंगे। आजकल जहाँ अखबारों में एक तरफ दुर्गा पूजन और कन्या पूजन की खबरे छपती हैं उसी पेज के दूसरी तरफ 3 वर्ष और 5 वर्ष की अबोध बालिकाओं के साथ दुष्कृत्य तथा उनकी हत्या करने की खबरे भी निरंतर पढ़ने और देखने मे आती हैं। मैंने यह भी गौर किया है कि दुनियां के किसी भी देश में मुझे ऐसे समाचार पढ़ने या देखने नहीं मिले। नवरात्रि के महापर्व में हमे अब यह विचार करना होगा कि क्या हम लंकाधिपति रावण का पुतला जलाने की पात्रता रखते हैं ? और क्या हम इसके अधिकारी हैं ?
उन्होंने आगे लिखा कि “विजयादशमी को हम बुराई पर अच्छाई की विजय का त्यौहार मानते हैं। रावण ने सीता माता का हरण किया लेकिन सीता जी की असहाय स्थिति में भी उनका स्पर्श करने का प्रयास नहीं किया । तुलसीदास जी रामचरित मानस के सुंदर कांड में लिखते हैं-""तेहि अवसर रावनु तहं आवा।संग नारि बहु किएं बनावा ""अर्थात- रावण जब सीता माता के दर्शन करने जाता था तब लोक लाज के कारण अपनी पत्नी और परिवार को भी साथ ले जाता था। सभी प्रकार की रामायणों में उल्लेख है कि रावण से बड़ा महाज्ञानी, महा तपस्वी , महान साधक और शिवभक्त भू लोक में नहीं हुआ जिसने अपने शीश काट काटकर भगवान के श्री चरणों मे अर्पित किए ऐसे में आजकल ऐसे लोगों के द्वारा जिन्हें न किसी विद्या का ज्ञान है, जिन्हें शिव स्तुति की एक लाइन और रुद्राष्टक, शिवतांडव स्तोत्र का एक श्लोक तक नहीं आता, जिनका चरित्र उनका मुहल्ला ही नहीं बल्कि पूरा गांव जानता है, उनके रावण दहन करने का क्या औचित्य है?? यह तो सिर्फ बच्चों के मनोरंजन के लिए आतिशबाजी दिखाने का मनोरंजन बनकर रह गया है। हम सबसे पहले इस बात का प्रण ले कि हमें अपने मन के अंदर और अपनी इंद्रियों में बैठे उस रावण को मारना होगा जो तीन और पांच वर्ष तक की अबोध बच्चियों के साथ दुष्कृत्य करने को प्रेरित करता है। एक और बात गौर करने लायक है कि जबसे ऐसे दुष्कृत्य करने वालों को मृत्युदंड और कड़ी सजाओं के कानून बने हैं तब से ऐसी घटनाएं और अधिक देखने मे आ रहीं हैं। नवरात्रि में हम सभी भारतीयों को यह आत्ममंथन का विषय है।
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने किया समर्थन- भाजपा के सीनियर नेता गोपाल भार्गव की सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट के बाद प्रदेश का सियासी पारा गर्मा गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने गोपाल भार्गव का समर्थन करते हुए लिखा कि ''गोपाल भार्गव जी, आपको साधुवाद देना चाहता हूं कि आपने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मध्य प्रदेश में बेटियों के साथ हो रहे अपराधों को स्वीकार किया है। यह मुद्दा भाजपा या कांग्रेस का नहीं है, बल्कि हमारे प्रदेश की बेटियों की सुरक्षा का है, जो हम सभी की जिम्मेदारी है। हमें मिलकर ही हमारी बेटियों के लिए एक सुरक्षित भविष्य बनाना होगा. पटवारी ने लगे हाथ अपने लिए समर्थन भी मांग लिया. हालांकि भार्गव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद इस मुद्दे पर किसी भी तरह की कोई बयान नहीं दिया है”।
भाजपा के सीनियर नेता गोपाल भार्गव की इस पोस्ट के कई सियासी मायने तलाशे जा रहे है। पिछले दिनों सागर में हुई रीजनल इन्वेस्टर्स कॉन्क्लेव में भी गोपाल भार्गव की नाराजगी काफी चर्चा में रही है। दरअसल कॉन्क्लेव में जब मंच पर सीनियर नेता गोपाल भार्गव को एक साइड में बैठाया गया तो वह कार्यक्रम शुरु होने के थोड़ी देर बाद मंच से उठकर चले गए थे। ऐसा तब हुआ था जब खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंच पर मौजूद थे। वहीं सागर रीजनल कॉन्क्लेव के दौरान उनकी एक सोशल मीडिया पोस्ट भी खूब चर्चा में रही थी।