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ASI ने भोजशाला सर्वेक्षण की रिपोर्ट मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को सौंपी

ASI ने भोजशाला सर्वेक्षण की रिपोर्ट मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को सौंपी

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, सोमवार, 15 जुलाई 2024 (13:33 IST)
ASI submitted report of Bhojshala survey: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने सोमवार को धार स्थित विवादित भोजशाला-कमाल-मौला मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अपनी रिपोर्ट मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ को सौंप दी। एएसआई के अधिवक्ता हिमांशु जोशी ने 2000 से अधिक पन्नों की रिपोर्ट उच्च न्यायालय के पंजीयक को सौंपी।
 
3 माह चला सर्वेक्षण : जोशी ने बताया कि मैंने रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय इस मामले पर 22 जुलाई को सुनवाई करेगा। 4 जुलाई को उच्च न्यायालय ने एएसआई को आदेश दिया था कि वह विवादित 11वीं सदी के स्मारक के परिसर में लगभग तीन महीने तक किए सर्वेक्षण की पूरी रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करे। इस स्मारक को लेकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विवाद है। 
 
भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है। यह परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है। ALSO READ: Bhojshala Survey : भोजशाला सर्वेक्षण का 93वां दिन, हिंदू नेता ने किया मूर्तियां मिलने का दावा
 
22 मार्च से शुरू हुआ सर्वेक्षण : ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक संगठन की अर्जी पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को एएसआई को भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो हाल ही में खत्म हुआ।
 
उच्च न्यायालय ने एएसआई को सर्वेक्षण पूरा करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया। बाद में एएसआई ने रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए और समय मांगा। एएसआई ने 22 मार्च को विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो हाल ही में समाप्त हुआ। ALSO READ: Dhar: एएसआई सर्वेक्षण के दौरान भोजशाला में हिन्दुओं ने की पूजा अर्चना
 
भोजशाला को लेकर विवाद शुरू होने के बाद एएसआई ने 7 अप्रैल 2003 को एक आदेश जारी किया था। इस आदेश के अनुसार पिछले 21 साल से चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है। ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ ने अपनी याचिका में इस व्यवस्था को चुनौती दी है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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