Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

मप्र विधानसभा चुनाव में अब तक का सर्वाधिक 76.22 फीसदी मतदान

मप्र विधानसभा चुनाव में अब तक का सर्वाधिक 76.22 फीसदी मतदान
भोपाल , शनिवार, 18 नवंबर 2023 (18:58 IST)
Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में 76.22 प्रतिशत मतदान हुआ, जो राज्य के इतिहास में सबसे अधिक है। शुक्रवार को सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों के लिए एक ही चरण में मतदान हुआ।
 
वर्ष 1956 में मध्य प्रदेश की स्थापना के बाद से प्रदेश के इतिहास में इस बार का मतदान प्रतिशत सबसे अधिक है। इस बार 2018 के विधानसभा चुनावों के 75.63 प्रतिशत से भी 0.59 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ है। अधिकारियों ने बताया कि पूर्वी मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में सबसे अधिक 85.68 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि पश्चिमी क्षेत्र के आदिवासी बहुल अलीराजपुर में सबसे कम 60.10 प्रतिशत मतदान हुआ।
 
छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के साथ सीमा साझा करने वाले पश्चिमी क्षेत्र में नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में 85.23 प्रतिशत के साथ दूसरा सबसे बड़ा मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया, जो दर्शाता है कि गोलियों पर मतपत्रों की जीत हुई क्योंकि माओवादियों ने लोगों को मतदान करने से हतोत्साहित किया और चुनाव प्रक्रिया में बाधाएं डालीं।
 
आंकड़े बताते हैं कि राज्य में पिछले कुछ चुनावों में मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है। 2003 में यह 67.25 प्रतिशत, 2008 में 69.78 प्रतिशत, 2013 में 72.13 प्रतिशत और 2018 में 75.63 प्रतिशत था।
 
वर्ष 2003 के बाद से भाजपा ने तीन बार विधानसभा चुनाव जीता, जबकि कांग्रेस केवल एक बार ही विजयी हो सकी। 2003 के चुनावों में भाजपा को 42.50 प्रतिशत वोट, कांग्रेस को 31.70 प्रतिशत और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और अन्य को 10.61 प्रतिशत वोट मिले। उस समय भाजपा ने 173, कांग्रेस ने 38 और बसपा ने 2 सीटें जीती थीं।
 
इसके बाद के विधानसभा चुनावों (2008) में, भाजपा को 38.09 प्रतिशत, कांग्रेस को 32.85, बसपा और अन्य को 9.08 प्रतिशत वोट मिले। उस समय भाजपा ने 143, कांग्रेस ने 71 और बाकी सीटें बसपा और अन्य ने जीती थीं।
 
वर्ष 2013 में भाजपा को 45.19 फीसदी, कांग्रेस को 36.79 और बसपा व अन्य को 6.42 फीसदी वोट मिले थे। नतीजे में भाजपा को 165 सीटों पर, कांग्रेस को 58 सीटों पर और बाकी सीटों पर बसपा और अन्य को जीत मिली।
 
2018 में, भाजपा को 41.02 प्रतिशत वोट, कांग्रेस को 40.89 प्रतिशत और बसपा और अन्य को 10.83 प्रतिशत वोट मिले। कांग्रेस से अधिक वोट शेयर पाने के बाद भी, भाजपा, कांग्रेस के 114 सीटों के मुकाबले केवल 109 सीटें जीत सकी, जबकि बाकी सीटें बसपा, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों के पास चली गईं। पिछली बार कांग्रेस मामूली अंतर से शीर्ष पर रही थी और उसने कमलनाथ के नेतृत्व में बसपा, सपा और निर्दलीयों की मदद से सरकार बनाई थी।
 
हालांकि, मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके प्रति करीबी विधायकों के विद्रोह के बाद सरकार गिर गई, जिससे शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की वापसी का रास्ता साफ हो गया। भाजपा में शामिल होने और उपचुनाव जीतने के बाद सिंधिया के वफादारों को चौहान के मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभाग दिए गए। सिंधिया को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया।
 
शुक्रवार को हुए चुनावों में, भाजपा के मुख्यमंत्री चौहान और उनके पूर्ववर्ती और राज्य कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ सहित 2,533 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में बंद हो गई। राज्य में कुल 64,626 मतदान केंद्र बनाए गए थे। (भाषा) 
 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

पायलट को इस बार नहीं मिलेगा 'सीएम चेहरे' का फायदा, BJP उम्मीदवार का दावा