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मध्यप्रदेश की सियासत के 5 दिग्गज जिनके सियासी भविष्य़ का फैसला करेंगे लोकसभा चुनाव के परिणाम

मध्यप्रदेश की सियासत के 5 दिग्गज जिनके सियासी भविष्य़ का फैसला करेंगे लोकसभा चुनाव के परिणाम

विकास सिंह

, मंगलवार, 28 मई 2024 (13:45 IST)
लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून को आएंगे। लोकसभा चुनाव के परिणाम जहां एक ओर देश की सियासत की दिशा और दशा तय करेंगे, वहीं इन लोकसभा चुनाव के परिणाम का सीधा असर मध्यप्रदेश की सियासत पर पड़ेगा। मध्यप्रदेश की सियासत के पांच बड़े दिग्गज जिनकी सियासी किस्मत का फैसला भी लोकसभा चुनाव के परिणाम करेंगे।

मध्यप्रदेश की सियासत कई दशकों से जिन पांच बड़े चेहरों के आसपास घूम रही है उनमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नाम शामिल है। इनमें कमलनाथ को छोड़कर जहां चार बड़े चेहरे खुद लोकसभा चुनाव लड़ रहे है वहीं कमलनाथ की पूरी सियासी प्रतिष्ठा उनके बेटे नकुलनाथ के साथ छिंदवाड़ा में दांव पर लगी है।

शिवराज सिंह चौहान-18 साल मध्यप्रदेश की कमान संभालने वाले शिवराज सिंह चौहान विदिशा लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में है। विदिशा में पूरा चुनावी मुकाबला एकतरफा नजर आया है और जिस तरह से विदिशा में वोटिंग हुई है उससे शिवराज सिंह चौहान काफी आगे नजर आ रहे है और अब नजर केवल जीत के अंतर पर है। विदिशा लोकसभा चुनाव परिणाम में जीत-हार का अंतर बहुत हद तक शिवराज का राजनीतिक भविष्य तय करेगा। हलांकि शिवराज चुनाव परिणाम आने से पहले कहते है कि वह भाजपा के कार्यकर्ता और वह शानदार वोट से जीतकर सांसद बनने जा रहे है। शिवराज कहते हैं कि  एक कार्यकर्ता की भूमिका उनकी हमेशा रहेगी।

हलांकि सियासी गलियारों में शिवराज सिंह चौहान को राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी भूमिका मिलने की अटकलें लगातार लगाई जा रही है। अगर केंद्र में मोदी सरकार की वापसी होती है तो वह मोदी मंत्रिमंडल में बड़ा मंत्रालय संभाल सकते है इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान को राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में बड़ी भूमिका भी सौंपी जा सकती है। गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून में समाप्त होने जा रहा है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया-गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में मिली हार से सबक लेते हुए सिंधिया जिस तरह पूरे चुनाव में अपने संसदीय क्षेत्र में डटे रहे और अमित शाह से लेकर योगी आदित्यनाथ तक उनके लिए वोट मांगे उससे सिंधिया की जीत तय मानी जा रही है। हलांकि यहां भी नजर जीत-हार के मार्जिन पर टिकी है।

सिंधिया वर्तमान में मोदी सरकार में अहम जिम्मेदारी संभाल रहे है और क्या वह मोदी 3.0 सरकार में भी नजर आएंगे, यह भी बड़ा सवाल है। अटकलें इस बात की लगाई जा रही है कि भाजपा हाईकमान सिंधिया को मध्यप्रदेश में भी कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकता है। लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश संगठन में  बदलाव होना तय है, ऐसे में सिंधिया पर भी सबकी नजरें टिकी है।

वीडी शर्मा-मध्यप्रदेश भाजपा की कमान संभाल रहे वीडी शर्मा खजुराहो लोकसभा सीट से उम्मीदवार है और लोकसभा चुनाव में खजुराहो में जिस तरह से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार का पर्चा खारिज हुआ उससे वीडी शर्मा को चुनावी वॉकओवर मिल गया है। खजुराहो में अब नजर केवल जीत के अंतर पर टिकी है।

लोकसभा चुनाव के बाद मध्यप्रदेश भाजपा को नया अध्यक्ष मिलना तय है और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खाते में विधानसभा चुनाव में भाजपा की रिकॉर्ड जीत का श्रेय दर्ज है। ऐसे में वीडी शर्मा  को मोदी 3.0 सरकार में अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। वीडी शर्मा ने जिस तरह से मध्यप्रदेश में भाजपा को बूथ स्तर पर मजबूत किया है उससे उन्हें केंद्रीय स्तर पर संगठन भी भी बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।

दिग्विजय सिंह-मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में है। दिग्विजय सिंह चुनाव के दौरान कह चुके है कि यह उनका आखिरी चुनाव है और इसके बाद वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। राजगढ में दिग्विजय सिंह ने जिस तरह से चुनाव लड़ा उससे अब चुनाव परिणाम पर सबकी नजरें टिकी हुई है। राजगढ़ में दिग्विजय सिंह का मुकाबला भाजपा के वर्तमान सांसद रोडमल नागर से है। ऐसे में अब राजगढ़ लोकसभा चुनाव के परिणाम दिग्विजय सिंह के सियासी भविष्य तय करेंगे।

हलांकि दिग्विजय सिंह वर्तमान में राज्यसभा सांसद है, ऐसे में लोकसभा चुनाव के परिणाम का फौरी तौर उनके सियासी कद पर कोई असर नहीं डालेंगे लेकिन दिग्विजय सिंह की भविष्य की राजनीति बहुत कुछ लोकसभा चुनाव के परिणाम तय करेंगे।

कमलनाथ-मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद तो लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे है लेकिन उनकी पूरी प्रतिष्ठा बेटे नकुलनाथ के उम्मीदवारी के कारण चुनावी परिणाम पर टिकी हुई है। छिंदवाड़ा में  लोकसभा चुनाव के प्रचार अभिया के दौरानर कमलनाथ ने बेटे नकुलनाथ के लिए वोट मांगते हुए कहा कि यह उनका आखिरी चुनाव है और उन्होंने अब तक छिंदवाड़ा के लिए जो कुछ भी किया है उसके लिए वह जनता के सामने आए है।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जिस तरह के कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की अटकलें चली और छिंदवाड़ा से दिल्ली तक हाईवोल्टेज सियासी ड्रामा देखने को मिला और उसके बाद लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से भाजपा ने एक के बाद कमलनाथ के करीबियों को तोड़ा उससे छिंदवाड़ा में कमलनाथ की पूरी सियासी प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। अगर कमलनाथ लोकसभा चुनाव में अपने गढ़ को बचाने में सफल हो जाता है तो कांग्रेस के अंदरूनी राजनीति में उनका सियासी कद बढ़ना तय माना जा रहा है।

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