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लोकसभा सीट 2019 : सरगुजा में 15 साल से छाया भाजपा का जादू

लोकसभा सीट 2019 : सरगुजा में 15 साल से छाया भाजपा का जादू
, शुक्रवार, 22 मार्च 2019 (19:36 IST)
अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में सरगुजा लोकसभा सीट पर पिछले 15 साल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का जादू छाया हुआ लेकिन इस बार कांग्रेस उसके 3 बार की जीत के तिलिस्म को तोड़ने में कृत-संकल्पित नजर आ रहा है।
 
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सरगुजा, अंबिकापुर कांग्रेस के कद्दावर नेता टीएस सिंहदेव का गढ़ है। गत नवंबर में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था और क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटें जीत लीं। कांग्रेस की इस जीत में सिंहदेव का चुनावी व्यूह-प्रबंधन और रणनीति कारगर रही। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सफलता के मद्देनजर अब आसन्न लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की पेशानी पर बल नजर आने लगे हैं।
 
भौगोलिक नक्शे में सरगुजा संभागीय और जिला मुख्यालय अंबिकापुर है। यहां के पूरे भू-भाग को ही सरगुजा कहा जाता है। सरगुजा लोकसभा सीट के रूप में अस्तित्व आने के प्रारंभिक समय से 20 साल तक यहां कांग्रेस का कब्जा रहा है। वर्ष 1951 में पहला आम चुनाव हुआ। इस चुनाव में कांग्रेस के सीएस सिंहदेव और बाबूनाथ सिंह दोनों ही सांसद निर्वाचित हुए। इसके बाद 1957 के लोकसभा चुनाव में भी यही पुनरावृत्ति हुई।
 
वर्ष 1962, 1967 और 1971 में हुए आम चुनावों में कांग्रेस ने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा। कांग्रेस को 1977 में आपातकाल विरोधी लहर का खामियाजा भुगतना पड़ा और यह सीट उसके हाथ से निकल गई। जनता पार्टी के लरंग साय ने यह चुनाव जीता। इसके बाद से यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच शह और मात का सिलसिला चला।
 
वर्ष 1980 में कांग्रेस ने सरगुजा सीट हथिया ली और 1984 में भी अपना कब्जा बरकरार रखा। लरंग साय ने 1989 में एक बार फिर जीत हासिल कर यह सीट भाजपा की झोली में डाली। कांग्रेस ने 1991 में लरंग साय के खिलाफ खेलसाय सिंह को चुनाव में उतारा। खेलसाय सिंह इस चुनाव में विजयी रहे। उन्होंने 1996 के चुनाव में जीत दोहराई।
 
वर्ष 1998 में भी ये दोनों प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने थे और लरंग साय चुनाव जीते लेकिन 1999 में खेलसाय ने उन्हें परास्त कर दिया। वर्ष 2004 में भाजपा ने फिर बाजी पलट दी और उसके बाद 2009 और 2014 के चुनाव में लगातार जीत की हैट्रिक बनाई। भाजपा के कमलभान सिंह मराबी सरगुजा से मौजूदा सांसद हैं।
 
इस बार के चुनाव में सरगुजा सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा में कांग्रेस आगे रही और उसने अपने पुराने धुरंधर खेलसाय सिंह पर ही दांव लगाया है, दूसरी तरफ भाजपा ने छत्तीसगढ़ की पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री रेणुका सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
 
वर्ष 2003 से 2008 के बीच सरगुजा जिले के प्रेमनगर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रहीं रेणुका सिंह को 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खेलसाय सिंह ने पराजित किया था। अबकी बार दोनों प्रतिद्वंद्वी सरगुजा लोकसभा सीट पर चुनाव मैदान में आमने-सामने हैं।
 
आदिवासी बाहुल्य सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 8 सीटें हैं जिनमें प्रेमनगर, भटगांव, प्रतापपुर (सु.), रामानुजगंज (सु.), सामरी (सु.), लुंड्रा (सु.), अंबिकापुर और सीतापुर (सु.) शामिल हैं। वर्तमान में इन सभी आठों सीट पर कांग्रेस का कब्जा है।
 
'छत्तीसगढ़ का तिब्बत' कहा जाने वाला मैनपाट सरगुजा जिले में ही है, जहां बहुत से तिब्बती लोग निवास करते हैं। मैनपाट से ही रिहन्द एवं मांड नदी का उद्गम हुआ है। जलवायु और मौसम के दृष्टिकोण से मैनपाट को 'छत्तीसगढ़ का शिमला' भी कहा जाता है। ऐतिहासिक एवं धार्मिक तथ्यों से जुड़ा सरगुजा क्षेत्र पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
 
सरगुजा जिला मुख्यालय अंबिकापुर के कुछ दूर उदयपुर स्थित रामगढ़ प्रमुख पर्यटन स्थल है। माना जाता है कि भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता ने अपने वनवास काल का कुछ समय रामगढ़ की पहाड़ियों पर बिताया था। रामगढ़ की पहाड़ियों में ही विश्व की प्राचीन नाट्यशाला है। महाकवि कालीदास ने अपनी कालजयी कृति 'मेघदूत' की रचना यहीं की थी। (वार्ता)

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