इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के रूप में पार्टी के वरिष्ठ नेता शंकर लालवानी के नाम की रविवार देर शाम घोषणा के बाद इस सीट की चुनावी राजनीति की डगर पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का 30 साल लंबा सफर औपचारिक रूप से समाप्त माना जा रहा है।
महाजन का हालांकि कहना है कि वे अब भी चुनावी परिदृश्य में ही हैं, लेकिन उनकी भूमिका बदल गई है। महाजन ने कहा कि मैं तो पिछले कई दिन से इंदौर क्षेत्र में भाजपा की चुनावी बैठकों में शामिल हो रही हूं। मैं अब भी चुनावी परिदृश्य में ही हूं और आगे भी रहूंगी। हालांकि अब मेरी भूमिका बदल गई है।
'ताई' (मराठी में बड़ी बहन के लिए संबोधन) के नाम से मशहूर भाजपा नेता ने लालवानी को शुभकामनाएं देते हुए उन्हें 'विकास और सामाजिक कल्याण पर आधारित राजनीति करने वाला नेता' बताया। इसके साथ ही दावा किया कि वे इंदौर सीट पर भाजपा के 30 साल पुराने वर्चस्व को कायम रखेंगे।
बहरहाल इंदौर से लालवानी के नाम के ऐलान के साथ ही पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि लालकृष्ण आडवाणी (91) और मुरली मनोहर जोशी (85) सरीखे भाजपा के वरिष्ठम नेताओं की तरह महाजन (76) भी मौजूदा चुनावी समर में बतौर उम्मीदवार दिखाई नहीं देंगी।
महाजन इंदौर सीट से वर्ष 1989 से 2014 के बीच लगातार 8 बार चुनाव जीत चुकी हैं, लेकिन 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने के भाजपा के निर्णय को लेकर मीडिया में खबरें आने के बाद उन्होंने 5 अप्रैल को घोषणा की थी कि वे बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी।
वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा के चुनावों में महाजन ने इंदौर क्षेत्र में अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार सत्यनारायण पटेल को चार लाख 66 हजार 901 मतों के विशाल अंतर से हराया था। तब वे एक ही सीट और एक ही पार्टी से लगातार आठ बार लोकसभा पहुंचने वाली देश की पहली महिला सांसद बन गई थीं। मूलतः महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाली महाजन वर्ष 1965 में विवाह के बाद अपने ससुराल इंदौर में बस गई थीं। वे वर्ष 1989 में इंदौर लोकसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ी थीं। तब उन्होंने अपने तत्कालीन मुख्य प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रकाशचंद्र सेठी को मात देकर सियासी आलोचकों को चौंका दिया था।
भाजपा संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी दिए जाने के बाद उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के दौरान वर्ष 1999-2004 की अवधि में मानव संसाधन विकास, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विभागों का मंत्री भी बनाया गया था। वे संसद की कई समितियों की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। वर्ष 1989 में इंदौर से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीतने से पूर्व वे वर्ष 1984-85 में इंदौर नगर निगम की उप महापौर भी रहीं।