नई दिल्ली। आचार संहिता उल्लंघन मामले में चुनाव आयोग में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने चुनाव आचार संहिता की शिकायतों के निपटारे से जुड़ी बैठकों से चुनाव आयुक्त अशोक लवासा द्वारा खुद को अलग करने संबंधी मीडिया रिपोर्टों को ‘नाखुशगवार’ बताते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान इस तरह की रिपोर्ट से बचा जाना चाहिए था।
अरोड़ा का कहना है कि जब आयोग सातवें एवं अंतिम चरण के मतदान की तैयारी में जुटा है और उसने अब तक सभी चरण शांतिपूर्ण एवं पारदर्शी तरीके से सम्पन्न किया है तो मीडिया के एक हिस्से में आयोग के आंतरिक कामकाज लेकर विवाद खड़ा करना अवांछित है।
उन्होंने कहा कि उसके सभी सदस्य बिल्कुल एक जैसे नहीं होते तथा अतीत में भी उनकी राय कई मामलों में अलग-अलग रही है और होनी भी चाहिए लेकिन हम आयोग के नियमों और दिशा निर्देशों के दायरे में ही फैसले लेते हैं।
खबरों के मुताबिक प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट देने पर असहमति जताने वाले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने अपना विरोध खुलकर जाहिर कर दिया है।
उन्होंने हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त को एक पत्र लिखकर कहा है कि जब तक उनके असहमति वाले मत को ऑन रिकॉर्ड नहीं किया जाएगा तब तक वह आयोग की किसी मीटिंग में शामिल नहीं होंगे।
कांग्रेस ने आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट देने पर असहमति जताने वाले चुनाव आयोग के सदस्य अशोक लवासा के आयोग की बैठकों में शामिल नहीं होने से जुड़ी खबरों को लेकर शनिवार को मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इस सरकार में संस्थाओं की गरिमा धूमिल हुई है।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक खबर शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'चुनाव आयोग है या चूक आयोग। लोकतंत्र के लिए एक और काला दिन। चुनाव आयोग के सदस्य ने बैठकों में शामिल होने से इनकार किया। जब चुनाव मोदी-शाह जोड़ी को क्लीनचिट देने में व्यस्त था तब लवासा ने कई मौकों पर असहमति जताई।'