Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

नेताओं की बगावत से अमित शाह प्रदेश संगठन से नाराज, स्वतंत्रदेव सिंह को सौंपी डैमेज कंट्रोल की कमान

विकास सिंह
भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान में बीजेपी पर अपने ही नेताओं की बगावत और नाराजगी भारी पड़ती दिखाई दे रही है। पहले चरण में जिन छह सीटों पर मतदान होना है, उनमें बालाघाट, सीधी, शहड़ोल और छिंदवाड़ा में पार्टी के ही बागी नेता अब पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं।

बालाघाट में टिकट नहीं मिलने से पार्टी के वर्तमान सांसद बोधसिंह भगत ने बगावत करते हुए चुनाव के लिए अपना नामांकन भर दिया है तो शहडोल में वर्तमान सांसद ज्ञान सिंह नाराज होकर घर बैठकर ऐलान कर दिया है कि वो पार्टी उम्मीदवार का प्रचार नहीं करेंगे। इसके साथ ही सीधी में पूर्व सांसद और बड़े नेता गोविंद मिश्रा ने टिकट नहीं मिलने से पार्टी ही छोड़ दी।

इसके साथ ही सीधी में स्थानीय बीजेपी विधायक और पार्टी के नेताओं की वर्तमान सांसद और उम्मीदवार रीति पाठक से नाराजगी चुनाव के समय भी मंचों पर सार्वजनिक तौर पर दिखाई दे रही है। कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार नत्थन शाह को टिकट दिए जाने के विरोध में पूर्व विधायक ने ही मोर्चा खोल दिया है। अब जब पहले चरण के चुनाव में बीस दिन से भी कम समय बचा है ऐसे समय में भी असंतुष्ट नेताओं के पार्टी के सामने ही खुलकर मोर्चा खोलने पर अब पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व गंभीर हो गया है।

इन नेताओं को मनाने में नाकाम रहने पर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन पर कड़ी नाराजगी जताई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने नाराज नेताओं को मनाने का काम अब प्रदेश चुनाव प्रभारी स्वतंत्रदेव सिंह को सौंपा है। इन नेताओं की नाराजगी के चलते पार्टी को हो रहे डैमेज कंट्रोल को रोकने के लिए अब स्वतंत्रदेव सिंह जिलों में पहुंचकर पार्टी को रहे नुकसान को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।

पिछले दिनों स्वतंत्रदेव सिंह का बालाघाट और शहडोल पहुंचाना इसी मान-मनौव्वल की एक कड़ी माना जा रहा है। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और संगठन मंत्री सुहास भगत भी नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी नेतृत्व की कोशिश है कि असंतुष्ट नेताओं को मनाकर पार्टी को होने वाले संभावित भीतरघात के खतरे से भी बचाया जाए। पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को अपने ही नेताओं की बगावत भारी पड़ गई थी और बीजेपी सूबे में सत्ता हासिल करने से चूक गई थी।

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Modi-Jinping Meeting : 5 साल बाद PM Modi-जिनपिंग मुलाकात, क्या LAC पर बन गई बात

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

नकली जज, नकली फैसले, 5 साल चली फर्जी कोर्ट, हड़पी 100 एकड़ जमीन, हे प्रभु, हे जगन्‍नाथ ये क्‍या हुआ?

लोगों को मिलेगी महंगाई से राहत, सरकार बेचेगी भारत ब्रांड के तहत सस्ती दाल

सभी देखें

नवीनतम

Karhal by election: मुलायम परिवार के 2 सदस्यों के बीच जोर आजमाइश, BJP ने भी घोषित किए प्रत्याशी

Traffic Infratech Expo : नितिन गडकरी ने सड़क सुरक्षा और AI के इस्तेमाल पर दिया जोर

कबाड़ से केंद्र सरकार बनी मालामाल, 12 लाख फाइलों को बेच कमाए 100 करोड़ रुपए

Yuvraj Singh की कैंसर से जुड़ी संस्था के पोस्टर पर क्यों शुरू हुआ बवाल, संतरा कहे जाने पर छिड़ा विवाद

उत्तराखंड स्थापना दिवस इस बार ‘रजतोत्सव’ के रूप में मनेगा

આગળનો લેખ
Show comments