Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

नेताओं की बगावत से अमित शाह प्रदेश संगठन से नाराज, स्वतंत्रदेव सिंह को सौंपी डैमेज कंट्रोल की कमान

नेताओं की बगावत से अमित शाह प्रदेश संगठन से नाराज, स्वतंत्रदेव सिंह को सौंपी डैमेज कंट्रोल की कमान

विकास सिंह

भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान में बीजेपी पर अपने ही नेताओं की बगावत और नाराजगी भारी पड़ती दिखाई दे रही है। पहले चरण में जिन छह सीटों पर मतदान होना है, उनमें बालाघाट, सीधी, शहड़ोल और छिंदवाड़ा में पार्टी के ही बागी नेता अब पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं।

बालाघाट में टिकट नहीं मिलने से पार्टी के वर्तमान सांसद बोधसिंह भगत ने बगावत करते हुए चुनाव के लिए अपना नामांकन भर दिया है तो शहडोल में वर्तमान सांसद ज्ञान सिंह नाराज होकर घर बैठकर ऐलान कर दिया है कि वो पार्टी उम्मीदवार का प्रचार नहीं करेंगे। इसके साथ ही सीधी में पूर्व सांसद और बड़े नेता गोविंद मिश्रा ने टिकट नहीं मिलने से पार्टी ही छोड़ दी।

इसके साथ ही सीधी में स्थानीय बीजेपी विधायक और पार्टी के नेताओं की वर्तमान सांसद और उम्मीदवार रीति पाठक से नाराजगी चुनाव के समय भी मंचों पर सार्वजनिक तौर पर दिखाई दे रही है। कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार नत्थन शाह को टिकट दिए जाने के विरोध में पूर्व विधायक ने ही मोर्चा खोल दिया है। अब जब पहले चरण के चुनाव में बीस दिन से भी कम समय बचा है ऐसे समय में भी असंतुष्ट नेताओं के पार्टी के सामने ही खुलकर मोर्चा खोलने पर अब पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व गंभीर हो गया है।

इन नेताओं को मनाने में नाकाम रहने पर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन पर कड़ी नाराजगी जताई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने नाराज नेताओं को मनाने का काम अब प्रदेश चुनाव प्रभारी स्वतंत्रदेव सिंह को सौंपा है। इन नेताओं की नाराजगी के चलते पार्टी को हो रहे डैमेज कंट्रोल को रोकने के लिए अब स्वतंत्रदेव सिंह जिलों में पहुंचकर पार्टी को रहे नुकसान को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।

पिछले दिनों स्वतंत्रदेव सिंह का बालाघाट और शहडोल पहुंचाना इसी मान-मनौव्वल की एक कड़ी माना जा रहा है। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और संगठन मंत्री सुहास भगत भी नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी नेतृत्व की कोशिश है कि असंतुष्ट नेताओं को मनाकर पार्टी को होने वाले संभावित भीतरघात के खतरे से भी बचाया जाए। पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को अपने ही नेताओं की बगावत भारी पड़ गई थी और बीजेपी सूबे में सत्ता हासिल करने से चूक गई थी।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

मोदी ने इस तरह बढ़ाया फर्स्ट टाइम वोटर्स का उत्साह, कहा- पहले मतदान, फिर जलपान