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इंदौर के चार अहम किरदारों के चक्रव्यूह में फंसा बीजेपी का लोकसभा टिकट

इंदौर के चार अहम किरदारों के चक्रव्यूह में फंसा बीजेपी का लोकसभा टिकट

विकास सिंह

भोपाल , शुक्रवार, 29 मार्च 2019 (12:23 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में बीजेपी के लोकसभा चुनाव के लिए टिकट तय करने में केंद्रीय नेतृत्व को पसीना छूट रहा है। बीजेपी अपने गढ़ भोपाल, इंदौर और विदिशा में अभी तक टिकटों पर कोई अंतिम निर्णय नहीं ले सकी है। भोपाल में जहां कांग्रेस की तरफ से दिग्विजय के नाम का एलान होने के बाद पार्टी किसे टिकट दे, इसको लेकर पेशोपेश में फंसी हुई है तो इंदौर में पार्टी के चार नेताओं के बीच अहम की लड़ाई के चलते टिकट फंस गया है।
 
पार्टी में टिकट को लेकर पार्टी के चार बड़े चेहरों में खींचतान मची हुई है। वर्तमान सांसद सुमित्रा महाजन 76 साल की उम्र में एक बार फिर चुनावी मैदान उतरने के लिए ताल ठोंक रही हैं मगर एज फैक्टर उनके टिकट में आड़े आ रहा है। पार्टी ने अब तक लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की जो भी सूची जारी की हैं उसमें 75 साल से अधिक उम्र वाले किसी भी नेता को टिकट नहीं दिया है, वहीं ताई के बयानों ने भी साफ संकेत दे दिया है कि पार्टी को उनका टिकट काटना इतना आसान काम नहीं होगा।
 
सुमित्रा ताई कह चुकी हैं कि सही व्यक्ति को ही वो इंदौर की चाबी सौंपेंगी। एक ओर ताई चुनाव लड़ने पर अड़ी हुई हैं तो पार्टी के ही वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सत्तन ने एलान कर रखा है कि अगर पार्टी सुमित्रा ताई को फिर टिकट देती है तो वो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। सत्तन ने ताई की जगह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय या महापौर मालिनी गौड़ को टिकट देने की मांग केंद्रीय नेतृत्व से की है।
 
वहीं, कैलाश विजयवर्गीय भी कह चुके हैं कि अगर पार्टी कहेगी तो वो चुनाव लड़ने को तैयार हैं। कैलाश का नाम इंदौर से टिकट के दावेदारों में सबसे आगे है। इंदौर की सियासत में ताई और भाई की अदावत किसी से छिपी नहीं है, ऐसे में कैलाश विजयवर्गीय के नाम पर ताई तैयार हों ये कहना मुश्किल होगा। वहीं इन समीकरणों के बीच वर्तमान महापौर मालिनी गौड़ का नाम टिकट के दावेदारों में सबसे आगे आ रहा है।
 
प्रदेश अध्यक्ष राकेशसिंह के उस बयान ने सियासी सरगर्मी और बढ़ा दी है जिसमें उन्होंने कहा कि सुमित्रा महाजन की पंसद से ही इंदौर में टिकट का निर्णय होगा। इंदौर की सियासत के जानकार कहते हैं कि ताई के अड़ने के बाद भी अगर पार्टी उनको टिकट नहीं देती हैं तो वो मालिनी गौड़ के नाम पर अपनी सहमति दे सकती हैं।

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