Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

लोकसभा चुनाव के महासंग्राम में दिखेगा परिवारवाद की राजनीति का नया चेहरा

लोकसभा चुनाव के महासंग्राम में दिखेगा परिवारवाद की राजनीति का नया चेहरा

विकास सिंह

, शनिवार, 16 मार्च 2019 (19:07 IST)
भोपाल। लोकसभा चुनाव में इस बार मध्यप्रदेश में परिवारवाद की पॉलिटिक्स का नया चेहरा दिखाई देगा। टिकट बंटवारे से पहले इस बार सूबे की सियासत में इस वक्त परिवारवाद पॉलिटिक्स की गूंज खुलकर सुनाई दे रही है। बात चाहे बीजेपी की हो या कांग्रेस की, दोनों ही दलों में नेताओं के बीच अपने बेटे और बेटियों को टिकट दिलाने की होड़-सी लगी हुई दिखाई दे रही है।
 
परिवारवाद को देखकर दोनों ही दलों में जमीनी कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल है। जमीनी कार्यकर्ता अब सवाल उठाने लगे हैं कि क्या सियासत में केवल दरी बिछाने और कुर्सियां लगाने का काम करने के लिए आए हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लजिमी है कि इन कार्यकर्ताओं की हक लड़ाई कौन लड़ेगा या परिवारवाद के सहारे नेता पुत्र और पुत्रियों की पॉलिटिक्स में एंट्री होती रहेगी।
 
वरिष्ठ पत्रकार और राजनितिक विश्लेषक दिनेश गुप्ता कहते हैं कि बाते चाहे बीजेपी की हो या कांग्रेस की, दोनों ही पार्टियों में परिवारवाद साफ दिखाई देता है और इसमें फर्क नहीं किया जा सकता है।
 
दिनेश गुप्ता कहते हैं कि कांग्रेस का परिवारवाद गांधी परिवार तक सीमित है और बीजेपी एक रणनीति के तहत कांग्रेस पर परिवारवाद को लेकर निशाना साधती है, वहीं बीजेपी खुद अपने परिवारवाद को बचाव यह कहकर करती है कि ये उनका कार्यकर्ता है।
 
दिनेश गुप्ता कहते हैं कि परिवारवाद के नाम पर नेता पुत्रों को टिकट तो मिल जाता, लेकिन इनकी अग्निपरीक्षा चुनावी मैदान में होती है। वे कहते हैं कि लोकतंत्र में नेता वे हैं जिन्हें जनता स्वीकार करती है।

बीजेपी में परिवारवाद के दावेदार : राजनीति में परिवारवाद के नाम पर कांग्रेस का विरोध करने वाली बीजेपी में इस बार लोकसभा चुनाव में नेता खुलकर अपने बेटे और बेटियों के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं।
 
शुक्रवार को प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में पार्टी के कई नेताओं ने अपने बेटे और बेटियों के लिए टिकट की दावेदारी रखी। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने बेटे अभिषेक भार्गव के लिए टिकट की दावेदारी करतेहुए कहा कि अभिषेक 14 साल से पार्टी के लिए काम कर रहा है अगर वह चुनाव नहीं लड़ेगा तो क्या भीख मांगेगा।
 
इसके साथ ही पूर्व कैबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन अपनी बेटी मौसम सिंह के लिए बालाघाट से, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा अपने भाई गिरिजाशंकर शर्मा के लिए होशंगाबाद से, पूर्व मंत्री हरीशंकर खटीक ने अपनी पत्नी के लिए टिकट की दावेदारी रखी। अगर पू्र्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह के भी लोकसभा चुनाव लड़ने की भी चर्चा है।
 
कांग्रेस में परिवारवाद का नया ‘चेहरा’ : लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से परिवारवाद का जो सबसे बड़ा नाम सामने आया वह मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ का, नकुलनाथ का छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। इसके साथ ही कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया का नाम भी ग्वालियर औप गुना लोकसभा सीट से दावेदारों में है।
 
खंडवा में कमलनाथ कैबिनेट में मंत्री सचिन यादव के भाई अरुण यादव का भी लोकसभा टिकट तय माना जा रहा है। इसके साथ ही खजुराहों से कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नाती राजा ने पत्नी कविता सिंह, देवास में मंत्री सज्जन सिंह वर्मा अपने बेटे पवन वर्मा, बालाघाट से विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवेर भाई पवन कांवरे को लोकसभा का टिकट दिलाना चाह रही हैं। इन सभी बड़े नेताओं ने टिकट के लिए एड़ी चोटी का जोर भी लगा दिया है। कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी की पत्नी रेणुका पटवारी नाम भी इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस के दावेदारों में गिना जाता है।

विधानसभा चुनाव में दिखा था परिवारवाद : मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में परिवारवाद जमकर दिखाई दिया था। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पर्टियों के नेता अपने बेटे-बेटियों और रिश्तेदारों को टिकट दिलाने में सफल हुए थे। बीजेपी में जहां पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर, शिवराज कैबिनेट में मंत्री गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार, सागर सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे सुधीर यादव परिवारवाद के नाम पर टिकट पाने वाले बड़े चेहरे थे।
 
कांग्रेस में पूर्व सांसद अरुण यादव के भाई सचिन यादव, दिग्विजयसिंह के बेटे जयवर्धन सिहं, कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया चुनाव मैदान में कूदे थे। इनमें कुछ जीतकर विधानसभा में भी पहुंच गए।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

चीन के 'धोखे' के बाद मसूद अजहर पर कोई समझौता नहीं करेगा भारत