सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर कांग्रेस से अलग होकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री रहे शरद पवार, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा और तारिक अनवर ने 25 मई 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा या एनसीपी) के नाम से नई पार्टी बनाई थी।
दरअसल, ये तीनों ही नेता सोनिया गांधी को कांग्रेस पार्टी की कमान सौंपने से नाराज थे। इनके सोनिया विरोधी तेवरों के चलते तीनों को ही कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया।
राकांपा का असर महाराष्ट्र में ही है। संगमा के चलते कुछ समय के लिए पूर्वोत्तर में भी पार्टी का मामूली असर देखा गया। बाद में पवार की सोनिया गांधी से बढ़ती नजदीकियों के चलते संगमा पश्चिम बंगाल की तत्कालीन मुख्यमंत्री और टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी से जुड़ गए थे।
शरद पवार की गिनती महाराष्ट्र के शीर्ष मराठा नेताओं में होती है, यही कारण है कि राज्य में उनकी और राकांपा की पकड़ मजबूत है। महाराष्ट्र में कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना और राकांपा में बराबरी की टक्कर है। हालांकि बाद में पवार की सोनिया को लेकर नाराजगी धीरे-धीरे कम हो गई और वे एक बार फिर कांग्रेस के करीब आ गए। वे कांग्रेस में तो शामिल नहीं हुए लेकिन उनकी पार्टी यूपीए-1 और यूपीए-2 सरकार में शामिल रही।
सितंबर 2018 में राकांपा के संस्थापकों में एक तारिक अनवर भी शरद पवार द्वारा राफेल सौदे पर नरेंद्र मोदी का समर्थन किए जाने से नाराज हो गए और पार्टी छोड़ दी। उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। लोकसभा चुनाव 2014 में राकांपा को 6 सीटें मिली थीं, जबकि 2014 के विधानसभा चुनाव में राकांपा 41 सीटें हासिल कर चौथे स्थान पर रही थी।