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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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व्यंग्य : और मैंने पकड़ लिया चोटी कटवा को!

व्यंग्य : और मैंने पकड़ लिया चोटी कटवा को!
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श्याम यादव

जबसे चोटी कटने की घटनाएं सामने आ रही हैं, मेरी श्रीमती में असुरक्षा की भावनाएं बढ़ गई हैं। वे हरदम एक ही बात से भयभीत रहती हैं कि कहीं कोई उनकी चोटी न काट जाए? इसी वजह से बार-बार वे अपने सिर पर हाथ फेरती रहती हैं और अपनी चोटी की सुनिश्चितता तय करती रहती हैं।
 
चोटी उनकी कोई दूसरा कैसे काट ले जाए, इस बात को लेकर चिंता की उन लकीरों को उनके चेहरे पर मैंने पहली बार देखी था, जो आज तक मुझे कभी नहीं दिखाई दी। बीबी के चेहरे पर आई इस उदासी को मुझसे देखा नहीं गया और मैंने भी शाहरुख खान की स्टाइल में कह ही दिया- 'मैं हूं न...!'
 
बीबी हंसी और बोलीं, चलो हटो, ये मुंह और मसूर की दाल। अरे तुम क्या कर लोगे? करोगे तब न जब उस मुए चोटी कटवे का कोई अता-पता हो। उसका कुछ पता चले। वो नासपीटा किसी को दिखता थोड़े ही है, पता नहीं कहां से आता है और चुपचाप चोटी काट जाता है। 
 
वे आगे बोलीं, अरेऽऽऽ, एक बार पता चल जाए कि वो कौन है? कैसा है? बस एक बार पकड़ में आ जाए तो फिर उसकी ऐसी धुलाई करूंगी, जैसे कि आज तक कभी तुम्हारी भी नहीं की होगी। उसको दादी-नानी भी याद न दिला दूं तो मेरा नाम भी नहीं, श्रीमती अपनी बहादुरी की व्याख्या करते-करते वीर रस से विरक्त होकर भावुक हो गईं। 
 
इसी भावुकता में बहकते हुए वे बोलीं, अरे चोटी कटने का दु:ख क्या होता है, ये तुम मर्द जात क्या जानो? चोटी न रहने का दर्द क्या होता है, ये एक औरत ही समझ सकती है। कहावत सही है- 'वो क्या जाने पीर पराई/ जाके पैर न फटे बिवाई।' 
 
बीबीजी कहती रही और मैं सुनता रहा। मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि इतना बड़ा लेक्चर आखिर मुझे क्यों सुनना पड़ रहा है? न तो मैं चोटी काट रहा था और न काटने की इच्छा रखता था। 
 
मेरे मन में सुपरहीरो बनने का ख्वाब जरूर था कि मैं वाकई 'मि. इंडिया' की तरह उस चोटी काटने वाले अज्ञात चोटी कटवा को पकड़कर सबके सामने ला दूं और अपनी बीबी के सामने सुपर हीरो बन जाऊं ताकि मेरी बीबी भी गर्व से कह सके कि उसे मुझ पर गर्व है। दूर-दूर तक मेरे नाम का डंका बजे और श्रीमती कह सके कि मेरे पति ने इस दौर की महिलाओं को एक बड़े संकट से बचा लिया। अखबारों में मेरी फोटो छप रही थी, बड़े-बड़े महिला संगठन मेरा सम्मान कर रहे थे कि मैंने उनकी आन-बान-शान और सम्मान की रक्षा की थी। और भी पता नहीं क्या-क्या हो रहा था? 
 
तभी श्रीमतीजी चिल्लाते हुई और मुझे झकझोरते हुए बोली- 'अरे क्या सोए पड़े हो? देखो वो मेरी चोटी भी काट ले गया।'

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