Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

तानाशाह गद्दाफी की मौत के दस साल बाद कहां है उनका परिवार

DW
गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021 (15:13 IST)
लीबिया में 2011 में तानाशाह मुआम्मर गद्दाफी को सत्ता से बेदखल कर मौत के घाट उतार दिया गया था। लेकिन उनके परिवार के कई सदस्य विद्रोह में बच गए थे। अब वे कहां हैं?
 
उत्तरी अफ्रीकी देश लीबिया में गद्दाफी की सत्ता को खत्म हुए दस साल हो गए हैं। गद्दाफी के सात बेटे विद्रोह के दौरान ही मारे गए। इनमें मुतासिब भी शामिल था। उसे 20 अक्टूबर 2011 को सिर्ते में उसी दिन मारा गया जब उसके पिता की भीड़ ने पीट पीटकर हत्या कर दी थी। गद्दाफी के एक अन्य बेटे सैफ अल-अरब की अप्रैल 2011 में नाटो के हवाई हमलों में मौत हुई। इसके चार महीने बाद जब लीबिया में विद्रोह चरम पर था, तब एक अन्य बेटे खामिस की भी मौत हो गई।
 
लेकिन इस दौरान गद्दाफी परिवार के कुछ सदस्य बच गए। इनमें उनकी पत्नी साफिया और सबसे बड़ा बेटा मोहम्मद शामिल है जो पहली शादी से पैदा हुआ था। गद्दाफी की बेटी आयशा भी बच गई, जो निर्वासन में रह रही है। लेकिन गद्दाफी के बेटे सैफ अल-इस्लाम को लेकर रहस्य बरकरार है। कभी सैफ अल-इस्लाम को गद्दाफी का उत्तराधिकारी माना जाता था। युद्ध अपराधों के सिलसिले में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय को उसकी तलाश है।
 
दर बदर भटकते
 
अगस्त 2011 में जब राजधानी त्रिपोली पर विद्रोहियों का नियंत्रण हो गया तो साफिया, मोहम्मद और आयशा भागकर पड़ोसी देश अल्जीरिया चले गए। बाद में उन्हें ओमान में इस शर्त पर शरण दे दी गई कि वे कोई राजनीतिक गतिविधियां नहीं चलाएंगे। ओमान के विदेश मंत्री मोहम्मद अब्देल अजीज ने 2013 में एएफपी से बातचीत में यह बात कही थी। आयशा पेशे से वकील है और संयुक्त राष्ट्र की गुडविल एम्बेसेडर रह चुकी है। वह सद्दाम हुसैन का बचाव करने वाली अंतरराष्ट्रीय टीम का हिस्सा रह चुकी है।
 
गद्दाफी के एक और बेटे हनीबाल ने भी अल्जीरिया में शरण मांगी थी। इससे पहले उसने लेबनान में अपनी लेबनानी मॉडल पत्नी अलीने स्काफ के साथ रहने की कोशिश की। लेकिन लेबनानी अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उस पर एक शिया मौलवी मूसा सद्र के बारे में जानकारी छिपाने के आरोप लगे। मूसा सद्र 1978 में अपनी लीबिया यात्रा के दौरान गायब हो गए थे।  हनीबाल और उसकी पत्नी को लेकर 2008 में स्विट्जरलैंड में एक राजनयिक विवाद भी हुआ। उन्हें एक लग्जरी होटल में दो घरेलू कर्मचारियों पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
 
गद्दाफी का एक और बेटा है सादी गद्दाफी, जो अपनी इश्कबाजी के लिए बहुत मशहूर था। वह कभी इटली में पेशेवर फुटबॉलर हुआ करता था। विद्रोह के दौरान वह भागकर नाइजर चला गया, लेकिन बाद में उसे लीबिया प्रत्यर्पित कर दिया गया। वह विद्रोह के दौरान हत्या और दमन के मामलों में वांछित था। अभी वह त्रिपोली की जेल में बंद है और उस पर 2011 में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अपराध के आरोप हैं। इसके अलावा उस पर 2005 में लीबियाई फुटबॉलर शरी अल रायानी की हत्या के भी आरोप हैं।
 
कहां है सैफ अल-इस्लाम
 
नवंबर 2011 में गद्दाफी की मौत के कुछ दिन बाद एक लीबियाई मिलिशिया ने सैफ अल-इस्लाम को पकड़ लिया। चार साल बाद त्रिपोली की एक अदालत ने सैफ अल-इस्लाम की गैर मौजूदगी में उसे विद्रोह के दौरान किए गए अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई। उसे पकड़ने वाले सशस्त्र गुट ने 2017 में घोषणा की कि सैफ अल-इस्लाम को रिहा कर दिया गया है। इस दावे की कभी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो पाई।
 
2019 में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के अभियोजकों ने कहा कि इस बारे में 'पुख्ता' जानकारी है कि सैफ अल-इस्लाम पश्चिमी लीबिया के जिनतान इलाके में है। लेकिन जून 2014 में जिनतान से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए त्रिपोली की अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लेने के बाद से ना तो सैफ अल-इस्लाम को कभी देखा गया है और ना ही उसका कोई बयान सामने आया है।
 
अपने अच्छे दिनों में गद्दाफी खुद को 'क्रांति का नेता' समझते थे और लीबिया को उन्होंने जमाहिरिया यानी 'जनता का राज' घोषित किया था जिसे स्थानीय कमेटियां चलाती हैं। लेकिन गद्दाफी की सत्ता खत्म होने के बाद उनके हजारों समर्थकों ने देश छोड़ दिया और मिस्र और ट्यूनीशिया में जाकर बस गए। इनमें उनके अपने कबीले गदाफा के बहुत से सारे लोग भी थे। 
 
लीबियाई कानून के प्रोफेसर अमानी अल-हेजरिसी कहते हैं, 'यह सुनने में अजीब लगता है लेकिन गद्दाफी के राज में गदाफा कबीले ने बहुत मुश्किल समय देखा। जिन लोगों ने गद्दाफी का विरोध किया, उन्हें जेल में डाल दिया गया। काहिरा में गद्दाफी के समर्थकों ने अल जामाहिरिया टीवी नेटवर्क को फिर से शुरू किया। यह नेटवर्क गद्दाफी के राज में प्रोपेगैंडा फैलाता था। तो क्या निर्वासन में रह रहे गद्दाफी समर्थक लीबिया में राजनीतिक परिदृश्य में अब कोई भूमिका अदा कर रहे हैं। अल-हेजरिसी कहते हैं, 'मुझे तो ऐसा नहीं लगता। लीबिया के ज्यादातर लोग गद्दाफी की सत्ता को भ्रष्टाचार और देश के राजनीतिक तंत्र को तहस नहस होने की असल वजह मानते हैं।
 
एके/आईबी (एएफपी)

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरूर पढ़ें

मेघालय में जल संकट से निपटने में होगा एआई का इस्तेमाल

भारत: क्या है परिसीमन जिसे लेकर हो रहा है विवाद

जर्मनी: हर 2 दिन में पार्टनर के हाथों मरती है एक महिला

ज्यादा बच्चे क्यों पैदा करवाना चाहते हैं भारत के ये राज्य?

बिहार के सरकारी स्कूलों में अब होगी बच्चों की डिजिटल हाजिरी

सभी देखें

समाचार

Maharashtra Election Results 2024 : महाराष्ट्र में 288 में महायुति ने जीती 230 सीटें, एमवीए 46 पर सिमटी, चुनाव परिणाम की खास बातें

Maharashtra elections : 1 लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज करने वालों में महायुति के 15 उम्मीदवार शामिल

प्रियंका गांधी ने वायनाड सीट पर तोड़ा भाई राहुल गांधी का रिकॉर्ड, 4.1 लाख मतों के अंतर से जीत

આગળનો લેખ
Show comments