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संसद के घुसपैठियों की किसने मदद की

DW
गुरुवार, 14 दिसंबर 2023 (15:57 IST)
आमिर अंसारी
13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले की 22वीं बरसी के दिन संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई। दो लोग लोकसभा में दर्शक दीर्घा से कूद गए और सांसदों की सीटों के बीच उतरकर पीले रंग का धुआं छोड़ा, नारेबाजी भी की। यह घटनाक्रम 13 दिसंबर की दोपहर करीब एक बजे शुरू हुआ। इस वक्त लोकसभा में शून्यकाल चल रहा था।
 
घटना में शामिल दोनों आरोपियों, सागर शर्मा और डी मनोरंजन, विजिटर पास लेकर दर्शक दीर्घा पहुंचे थे। सांसदों के बैठने की कतार के बीच रंगीन धुआं छोड़कर उन्होंने लोकसभा स्पीकर की कुर्सी की ओर भागने की कोशिश की, लेकिन सांसदों और सुरक्षाकर्मियों ने दोनों को पकड़ लिया। घटना से जुड़े फुटेज में कुछ सांसद मिलकर आरोपी की पिटाई करते भी नजर आए।
 
सुरक्षा में घुसपैठ करने वाले कौन हैं?
एक ओर जहां लोकसभा के भीतर यह घटना हो रही थी, वहीं संसद भवन के बाहर भी दो लोगों ने लाल और पीले रंग के कनस्तर फोड़े। इनमें एक का नाम नीलम आजाद है। वह हरियाणा के हिसार की रहने वाली है। नीलम के साथ जिस दूसरे आरोपी को संसद भवन परिसर के नजदीक गिरफ्तार किया गया, उसका नाम अमोल शिंदे है और वह महाराष्ट्र के लातूर का रहने वाला है।
 
खबरों के मुताबिक, सागर शर्मा और डी मनोरंजन को भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा के कार्यालय से जारी पास पर संसद में प्रवेश मिला था। प्रताप सिम्हा, कर्नाटक के मैसूर से बीजेपी के सांसद हैं। आरोपी मनोरंजन भी मैसूर का रहना वाला है और दूसरा आरोपी सागर शर्मा लखनऊ का रहने वाला है।
 
पुलिस ने अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है। संसद के अंदर और बाहर प्रदर्शन करने वाले सागर, मनोरंजन, नीलम और अमोल शिंदे दिल्ली जाने से पहले गुरुग्राम में रुके थे। इनके साथ ललित झा नाम का एक शख्स भी था। ये सभी गुरुग्राम के सेक्टर 7 की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले विक्की शर्मा के घर पर रुके थे। विक्की शर्मा मूल रूप से हरियाणा के हिसार का रहने वाला है। विक्की और उसकी पत्नी, दोनों को हिरासत में लिया गया है।
 
अभी तक ललित की यह भूमिका सामने आई है कि उसने संसद के बाहर प्रदर्शन करते वक्त नीलम और अमोल का वीडियो बनाया और उसे इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया। हालांकि वह घटनास्थल से फरार होने में कामयाब हो गया। खबरों के मुताबिक, ललित ने बंगाल में एनजीओ चलाने वाले एक व्यक्ति को भी वीडियो भेजा था।
 
क्या बेरोजगारी है हंगामे की वजह
अभी तक की जांच में यह सामने आया है कि ये सभी लोग ऑनलाइन एक-दूसरे के संपर्क में आए। सभी आरोपी सोशल मीडिया के एक पेज "भगत सिंह फैन क्लब" से जुड़े थे। गिरफ्तार आरोपियों ने कहा कि वे किसी संगठन से नहीं हैं और केवल बेरोजगारी, महंगाई और मणिपुर में हिंसा जैसे मुद्दों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने संसद आए थे। आरोपियों का दावा है कि वे सुनिश्चित करना चाहते थे कि इन मुद्दों पर संसद में चर्चा हो। हालांकि पुलिस ने कहा कि मुख्य साजिशकर्ता कोई और था।
 
सभी आरोपियों की शैक्षिक पृष्ठभूमि अलग है। वे समाज के विभिन्न वर्गों और देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं। उनकी उम्र 20 से लेकर 42 के बीच है। रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि नीलम और अमोल, नौकरी की तलाश में थे और उन्हें नौकरी नहीं मिल रही थी। वहीं लोकसभा में दर्शक दीर्घा से छलांग लगाने वाला 27 साल का सागर, ई-रिक्शा चलाता है। वह घर में बताकर निकला था कि दिल्ली में एक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने जा रहा है।
 
34 साल के मनोरंजन के पास कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बैचलर्स डिग्री है। खबरों के मुताबिक, उसी ने लोकसभा में दाखिल होने के लिए पास का इंतजाम किया था। हालांकि यह साफ नहीं है कि उसने पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी पकड़ी या नहीं।
 
नीलम के बारे में बताया जा रहा है कि वह एम।फिल कर चुकी है और राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा भी पास कर चुकी है। यह परीक्षा शिक्षक की नौकरी के लिए जरूरी होती है। साथ ही, वह हरियाणा सिविल सेवा परीक्षा की भी तैयारी कर रही थी। नीलम के भाई ने मीडियाकर्मियों को बताया कि उसकी बहन अब निरस्त कर दिए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन और महिला पहलवानों के विरोध का भी हिस्सा थी।
 
संसद के बाहर रंगीन धुआं छोड़ने वाला अमोल, पुलिस प्रवेश और सैन्य सेवा परीक्षा में असफल रहा है। आरोपी विक्की ड्राइवर है और एक कंपनी के लिए गाड़ी चलाता है।
 
विपक्ष का सवाल
सांसदों का कहना है कि सदन में दाखिल होने के लिए पांच स्तर की सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है और दर्शक दीर्घा तक जाने के लिए सांसद के कार्यालय से हस्ताक्षर जरूरी है।
 
विपक्ष ने मांग की है कि आरोपियों को पास देने वाले सांसद से पूछताछ की जाए। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "पास देने वाले सांसद से पूछताछ हो"
 
आरजेडी के नेता शिवानंद तिवारी ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए इस घटना को बेरोजगारी से जोड़ा है। उन्होंने कहा है कि देश के नौजवानों की हालत खराब है। उन्होंने कहा, "संसद भवन के बाहर जिस लड़की और लड़के ने प्रदर्शन किया, उस लड़की ने जो कहा है या लड़कों के परिवार के लोगों का कहना है कि इनके पास कोई काम नहीं था। ये बेरोजगार लोग हैं। इनका जीवन हताशा में गुजर रहा है। यूएपीए लगाने की बात बिल्कुल ही बकवास है। ये कोई देशद्रोही लोग नहीं हैं।"
 
शिवानंद तिवारी ने यह भी कहा, "ये सरकार की आदत हो गई है बात-बात पर यूएपीए लगाने की। ये एक तरह का विरोध है। देश की जो हालत है, उसके खिलाफ इन लोगों ने विरोध किया है। ये कोई देश विरोधी नहीं हैं और ऐसा नहीं है कि इन लोगों ने देश को नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसा काम किया है।"
 
वहीं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "इतनी बड़ी घटना हो गई और अभी तक प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से कोई बयान नहीं आया है।" अधीर रंजन चौधरी ने इस घटना पर गहन चर्चा की मांग की।
 
14 दिसंबर को दोनों सदनों में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने हंगामा किया। सदन का अनुशासन तोड़ने के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ'ब्रायन को बाकी सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है।
 
लोकसभा में विपक्षी सांसदों के हंगामे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में कहा, "संसद में कल जो घटना घटी है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी ने उसकी निंदा की है। भविष्य में सारे सांसदों को सावधानी बरतने की जरूर है। जिनको भी हम पास देते हैं, वह ऐसे लोगों को पास न दें, जो ऐसी अराजक स्थिति पैदा कर दें।"
 
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संसद की सुरक्षा व्यवस्था की व्यापक समीक्षा होगी और जरूरी सुधार भी किए जाएंगे। इस बीच लोकसभा सचिवालय ने सुरक्षा में चूक के लिए आठ कर्मियों को निलंबित कर दिया है।
 
संसद के भीतर और बाहर हुए हंगामे की जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सौंपी गई है। दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर यूनिट अब इस मामले की जांच करेगी। पुलिस की कई टीमें दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में छापेमारी कर रही है। बुधवार की घटना के बाद संसद परिसर की सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है।
 

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