Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

मुंबई में नर्स की साठगांठ से शिशुओं का कारोबार

मुंबई में नर्स की साठगांठ से शिशुओं का कारोबार

DW

, बुधवार, 20 जनवरी 2021 (22:52 IST)
भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में पुलिस ने शिशुओं को बेचने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। मुंबई की झुग्गियों में चलने वाले इस गिरोह में नर्स और एजेंट शामिल हैं।

पुलिस ने इस गिरोह के नौ सदस्यों पर शिशुओं की तस्करी के आरोप तय किए हैं। इनमें एक मैटरनिटी अस्पताल में काम करने वाली एक नर्स और एजेंट भी शामिल हैं। बीते पांच साल में यह शहर में इस तरह का दूसरा मामला है। पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार किए गए नौ आरोपियों ने बीते छह साल में कम से कम सात बच्चों की खरीद-फरोख्त की है।

तीन शिशुओं की मांएं और बच्चे को खरीदने वाले एक व्यक्ति को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। बीते दिनों पुलिस को इस गिरोह के बारे में कहीं से जानकारी मिली थी। उसके आधार पर की गई कार्रवाई में नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस इंस्पेक्टर योगेश चव्हाण कहते हैं, हम जांच कर रहे हैं कि कितने बच्चों को इन्होंने बेचा है। हम यह पड़ताल भी कर रहे हैं कि इस इलाके में कितने और एजेंट काम कर रहे हैं?

पुलिस ने तस्करी विरोधी और जुवेनाइल जस्टिस कानूनों के तहत नौ लोगों पर बच्चों की खरीद-फरोख्त के आरोप तय किए हैं। चव्हाण बताते हैं, अपने बच्चों को बेचने वाली मांएं बहुत ही गरीब हैं जबकि उन्हें खरीदने वाले लोग बच्चे के लिए बहुत बेताब थे।

गरीब लोग निशाने पर
अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच से पता चला है कि गिरोह के सदस्य बांद्रा कुरला कॉमप्लेक्स के पास झुग्गी बस्तियों में रहने वाली गरीब गर्भवती महिलाओं को निशाना बनाते थे। फिर अस्पताल में काम करने वासी नर्स बिना बच्चे वाले जोड़ों का संपर्क इन गर्भवती महिलाओं से कराती थी। आरोप है कि संपर्क कराने के लिए यह नर्स बच्चों के लिए तरसने वाले लोगों से एक लाख तक वसूलती थी।

पुलिस का कहना है कि लड़कियों को 70 हजार रुपए में बेचा गया जबकि लड़कों के लिए डेढ़ लाख तक वसूले गए। इससे पहले मुंबई पुलिस ने 2016 में पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया था जिन पर इसी तरह अपने बच्चों को बेचने के आरोप थे।

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत में वर्ष 2019 में बच्चों की तस्करी से जुड़े 1,100 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। 2018 में ऐसे मामलों की संख्या 1,000 के आसपास थी। लेकिन तस्करी के खिलाफ काम करने वाली संस्थाओं का कहना है कि यह आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है।

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि बच्चों की तस्करी में हो रही वृद्धि के कारण उन बच्चों की संख्या घट रही है जिन्हें गोद लिया जा सके। बिना बच्चों वाले बहुत से माता-पिता को इंतजार करना पड़ रहा है।
- एके/आईबी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

विश्व का प्रथम गणतंत्र भारत में जन्मा ना की एथेंस में, जानिए सबूत