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गायों को बचाएं या रोहिंग्याओं को रोकें

गायों को बचाएं या रोहिंग्याओं को रोकें
, शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2017 (11:19 IST)
भारत सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को खतरा बताते हुये उन्हें सीमा पर रोकने के आदेश दिये हैं। लेकिन भारत से बांग्लादेश तस्करी कर भेजी जाने वाली गायों की बड़ी संख्या के चलते इस काम में मुश्किल आ रही है।
 
25 अगस्त को म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा के बाद लगभग 4 लाख रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से बांग्लादेश पलायन कर गए हैं। लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि इनमें से कितने लोग भारत की ओर आए। पिछले महीने भारत ने सख्ती से रोहिंग्या मुसलमानों अपनी सीमा दाखिल होने से रोकने का आदेश दिया था। फिर चाहे इसके लिए चिली स्प्रे या स्टन ग्रेनेड का भी इस्तेमाल क्यों न करना पड़े। लेकिन हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार के एक और आदेश के चलते रोहिंग्या मुसलमानों को सीमा पर रोकने में दुविधा हो रही है। 
 
सरकार ने सीमा पर तैनात सैनिकों को बांग्लादेश तक तस्करी कर पहुंचायी जाने वाली गायों को रोकने के भी आदेश दिये है। आंकड़ों के मुताबिक भारत बांग्लादेश सीमा पर इस तस्करी का बाजार 60 करोड़ डॉलर है।
 
सीमा पर तैनात बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "गायों और इंसानों को एक ही समय पर रोकना बहुत मुश्किल है।" बीएसएफ के लगभग 30 हजार सैनिक इस समय भारत बांग्लादेश की सीमा पर गश्त लगा रहे हैं।
 
उन्होंने कहा, "रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजना और गायों को सीमा पर रोकने का यह दोगुना काम सैनिकों के मनोबल पर नकारात्मक असर डाल रहा है। हमने सरकार के उच्च अधिकारियों तक इस बात को पहुंचा दिया है।" 
 
जिन चार अधिकारियों ने रॉयटर्स से बात की उनमें से एक ने कहा कि सरकार को यह तय करना होगा कि दोनों में से किस काम को प्राथमिकता देनी है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि सीमा पर हो रही मुश्किलों के बारे में बात की जा रही है। इस बीच भारत उन 40 हजार रोहिंग्या मुसलमानों को भी वापस भेजना चाहते हैं जो पिछले कुछ सालों में भारत आ पहुंचे हैं।
 
बांग्लादेश के व्यापारियों का कहना है कि म्यांमार में हुई हिंसा के बाद भारत से आने वाले पशुओं में बढ़ोत्तरी हुई है। बांग्लादेश मीट ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव रबीउल आलम का कहना है, "इन दिनों पशु व्यापार की अड़चनें कुछ कम हो गयी हैं।" कई व्यापारी सीमा पार पशुओं के लेन देन के इस व्यापार को कानूनी भी समझते हैं।
 
इस साल जुलाई के महीने में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पशु व्यापार के बैन को खारिज किया था। इस फैसले के बाद पशु व्यापार में और अधिक बढ़ोत्तरी हुई है। 16 अरब डॉलर सालाना बिक्री वाले इस व्यवसाय को चलाने में ज्यादातर अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लोग हैं।
 
गौमांस के व्यापार पर देश के ज्यादातर हिस्से में पहले ही बैन है। लेकिन मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद गौरक्षक और अन्य कट्टर दक्षिणपंथी समूह गौ व्यापार पर और अधिक कड़े नियमों की मांग कर रहे हैं। लेकिन सीमा पार होने वाली तस्करी को रोका जाना काफी मुश्कल है। बीएसएफ के आंड़कों के मुताबिक इस तस्करी को रोकने में 2015 से अब तक 400 सैनिक गंभीर रूप से घायल हुये हैं और जबकि 6 की मौत हुई।
 
गौ तस्करी को रोकने के लिये सैनिकों को खेतों और तालाबों से होकर गुजरना पड़ता है। गायों को वापस खदेड़ने के लिये उन्हें बांस के डंडे और रस्सियों को साथ लेकर चलना पड़ता है ताकि गायों को बांधकर वापस लौटाया जा सके। पश्चिम बंगाल के एक बीएसएफ अधिकारी आरपी सिंह ने कहा, "सैनिकों को चोट लगना रोज की बात हो गयी है।" पश्चिम बंगाल बांग्लादेश के साथ 2,216 किलोमीटर की सीमा साझा करता है।
 
- एसएस/ओएसजे (रॉयटर्स)

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