Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

सड़क हादसों की कैसे थमेगी रफ्तार?

Webdunia
बुधवार, 26 सितम्बर 2018 (12:04 IST)
देश में हर मिनट एक सड़क दुर्घटना होती है, हर चार मिनट में एक मौत हो जाती है। सालाना करीब 1।35 लाख सड़क हादसों का शिकार होते हैं। सड़क दुर्घटनाओं का यह आंकड़ा दुनिया में सबसे बड़ा है। देश इस बड़ी चुनौती से कैसे निपटेगा?
 
 
तेलंगाना राज्य में कुछ दिनों पहले एक सड़क हादसा हुआ था। राज्य के कोंडागट्टू घाट के पास एक बस पलट गई थी जिसमें 10 बच्चों समेत 61 लोगों की जान चली गई और कई घायल हुए। जिस सड़क पर यह हादसा हुआ था वहां इसके पहले भी ऐसी 11 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें करीब 50 लोग मारे भी गए। अगर रास्ता इतना ही असुरक्षित है तो प्रशासन कोई कदम उठाने में इतनी देरी क्यों कर रहा है।
 
 
हैदराबाद में रोड सेफ्टी अथॉरिटी के महानिदेशक टी कृष्णा प्रसाद ने डीडब्ल्यू को बताया, "सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में अब तक काफी कम काम किया गया है।" उन्होंने बताया, "ये दुर्घटनाएं और हादसे अकसर तब होते हैं जब वाहन संकरे मोड़ पर होते हैं, इन मोड़ पर कोई बैरियर भी नहीं है। अवैज्ञानिक और गलत ढंग से बनी ये सड़कें इन हादसों की सबसे बड़ी वजह हैं।"
 
 
हर चार मिनट में मौत
देश की सड़कों पर आए दिन होने वाले ये हादसे कुछ नए नहीं है। हर मिनट पर देश में एक सड़क दुर्घटना होती है। हर चार मिनट में इसके चलते एक मौत होती है। शराब पीकर गाड़ी चलाना इन सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण हैं। दुर्घटनाओं के मामले में राजधानी दिल्ली सबसे आगे है। यहां हर रोज पांच जानें ऐसे ही चली जाती हैं।
 
 
जान गंवाने वालों में से 72 फीसदी लोग 15 से 44 साल की उम्र के होते हैं। अनुमान के मुताबिक देश में हर साल तकरीबन 1.35 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं की बलि चढ़ते हैं। ये सारे आंकड़ें देश की बिगड़ती परिवहन व्यवस्था और सुरक्षा की चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं।
 
 
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ संजय कुमार सिंह कहते हैं, "सड़क दुर्घटना के मामले न तो केंद्र स्तर पर और न ही राज्य स्तर पर किसी विशिष्ट एजेंसी से जुड़े हुए हैं। वाहन परीक्षण, सड़क डिजाइन और शहरी योजना का काम हर स्तर पर अलग-अलग एजेंसी के पास है।" उन्होंने कहा, "अगर इस दिशा में ठोस कदम और नई पहल नहीं की गई तो रोड एक्सीडेंट के चलते होने वाली मौतों का आंकड़ा साल 2025 तक 2.50 लाख को पार कर जाएगा।" भारत में दुनिया के कुल वाहनों का महज 2 फीसदी हिस्सा है लेकिन सड़क हादसों में इसका हिस्सा 12 फीसदी का है। कुल मिलाकर देश के रोड नेटवर्क को दुनिया में सबसे असुरक्षित करार दिया जा सकता है।
 
 
बुनियादी ढांचे की जरूरत
यूनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पैसिफिक की एक स्टडी के मुताबिक, देश में होने वाली सड़क दुर्घटनाएं जीडीपी पर तकरीबन 3 फीसदी का बोझ डालती है, मतलब 58 अरब डॉलर का नुकसान। केंद्र सरकार ने सड़क सुरक्षा के मद्देनजर साल 1988 के मोटर व्हीकल एक्ट की जगह सड़क परिवहन और सुरक्षा बिल 2014 का मसौदा तैयार कर संसद में पेश किया। लेकिन अब तक इसे संसद की मंजूरी नहीं मिली है।
 
 
तेज रफ्तार, शराब पीकर गाड़ी चलाना, हेलमेट और सीट बेल्ट की अनदेखी इन दुर्घटनाओं में बड़े जिम्मेदार हैं। हालांकि खराब सड़कें, कम रखरखाव वाले वाहन, निम्न दर्जे की सड़क डिजाइन और इंजीनियरिंग क्वालिटी भी ऐसे कई कारण हैं जो इन एक्सीडेंट्स को बढ़ावा देते हैं।
 
 
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट के इंजीनियर विक्रम कुमार कहते हैं, "अगर यह बिल कानून का रूप ले लेता है तो इसमें कठोर दंड का प्रावधान होगा। इसके साथ ही सलाहकारों समेत ठेकेदारों और दूसरी एजेंसियों को गलत डिजाइन और रखरखाव के मसले पर कार्रवाई हो सकेगी। हमें इस कानून की जरूरत है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सड़क सुरक्षा एक बड़ा मसला है जिसमें तमाम सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय आवश्यक है, जो हर सफल सड़क सुरक्षा तंत्र में दिखता है।
 
 
इन सब कारणों से इतर एक्सीडेंट्स की एक बड़ी वजह सड़क पर बढ़ते वाहन भी हैं, लेकिन इसके मुकाबले बुनियादी तंत्र की कमी बनी हुई है। रिसर्च एजेंसी आईएचएस ऑटोमोटिव के मुताबिक, साल 2020 तक भारत दुनिया में चीन और अमेरिका के बाद, सबसे बड़ा कार बाजार बन जाएगा।  
 
रिपोर्ट मुरली कृष्णन
 
 

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरूर पढ़ें

मेघालय में जल संकट से निपटने में होगा एआई का इस्तेमाल

भारत: क्या है परिसीमन जिसे लेकर हो रहा है विवाद

जर्मनी: हर 2 दिन में पार्टनर के हाथों मरती है एक महिला

ज्यादा बच्चे क्यों पैदा करवाना चाहते हैं भारत के ये राज्य?

बिहार के सरकारी स्कूलों में अब होगी बच्चों की डिजिटल हाजिरी

सभी देखें

समाचार

महाराष्ट्र में कौन बनेगा मुख्यमंत्री, सस्पेंस बरकरार, क्या BJP फिर लेगी कोई चौंकाने वाला फैसला

संभल हिंसा पर कांग्रेस का बयान, बताया BJP-RSS और योगी आदित्यनाथ की साजिश

Delhi Pollution : दिल्ली में प्रदूषण घटा, 412 से 318 पर पहुंचा AQI

આગળનો લેખ
Show comments