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मां बनने से सचमुच बदल जाता है महिला का दिमाग

DW
रविवार, 6 अक्टूबर 2024 (07:38 IST)
फ्रेड श्वालर
हम जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान एक मां का शरीर पूरी तरह से बदल जाता है, लेकिन एक नए शोध में मां बनने वाली महिला के दिमाग में कई दिलचस्प बदलाव दिखाए गए हैं। 
 
एक स्वस्थ 38 वर्षीय महिला के दिमाग को दो वर्षों तक स्कैन कर वैज्ञानिकों ने पहली बार गर्भावस्था के दौरान मस्तिष्क में आए बदलावों का एक व्यापक मानचित्र बनाया है। नेचर न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित हुए यह आंकड़े मां के मस्तिष्क के बदलावों की ओर इशारा करते हैं। ऐसे बदलाव जो गर्भावस्था के दौरान पूरी तरह से अलग दिख रहे हैं।
 
मस्तिष्क के लगभग सभी हिस्सों में इस दौरान अपने कार्य और संरचना में बदलाव दिखे। यहां तक कि सामाजिक और भावनात्मक प्रक्रिया में भी कुछ बदलाव आए- जो बच्चे के जन्म के बाद मां में दो वर्षों तक बने रहे।
 
यह शोध महिलाओं की गर्भावस्था पर केंद्रित था। इसमें एक और छोटा सा अध्ययन शामिल था जो मां बनने के सफर के दौरान शरीर में आए बदलावों को देखता था। इस बदलाव को मेट्रेसेंस कहा जाता है जो विकास का एक अगला चरण है।
 
वैज्ञानिक अब यह भी खोज रहे हैं कि गर्भावस्था और मातृत्व के दौरान मस्तिष्क में आए हार्मोनल बदलाव शारीरिक संरचना और कार्य पर किस तरह असर डालते हैं। ऐसा किशोरावस्था और मेनोपॉज के दौरान भी होता है।  
 
अमेरिका के सेंटा बारबरा में यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया में कार्यरत इस शोध की मुख्य लेखक एमिली जेकब्स कहती हैं, "ऐसा लगता है कि गर्भावस्था के दौरान मानव मस्तिष्क एक कोरियोग्राफ किये गए बदलाव से गुजरता है और हम अंततः असल समय में इस तरह के बदलाव को ऑब्जर्व कर पा रहे थे।”
 
गर्भावस्था के दौरान आते हैं बड़े बदलाव
इस शोध के लिए एलिजाबेथ क्रैस्टिल के मस्तिष्क का अध्ययन किया गया है। वे खुद भी यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया, इरविन में एक न्यूरोसाइंटिस्ट हैं। शोधकर्ता क्रैस्टिल के मस्तिष्क को हर कुछ हफ्तों में मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) के जरिए स्कैन करते थे और यह सिलसिला गर्भावस्था के पहले से लेकर बच्चे को जन्म देने के दो साल बाद तक चलता रहा।  
 
क्रैस्टिल ने जेकब्स के साथ मीडिया में दिए एक बयान में कहा, "यह एक बहुत ही गहन कार्य था। हमने पहले 26 स्कैन किये।” शोधकर्ताओं को गर्भावस्था के दौरान सप्ताह-दर-सप्ताह सामने आए मस्तिष्क के न्यूरोएनाटॉमी में पूरी तरह से बदलाव देखने को मिले। क्रैस्टिल के मस्तिष्क के अंदर ग्रे मैटर वॉल्यूम, कॉर्टिकल थिकनेस, व्हाइट मैटर, माइक्रोस्ट्रक्चर और वेंट्रीकल वॉल्यूम सब कुछ बदल चुका था। 
 
अमेरिका के न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी, लैंगोन हेल्थ के न्यूरोसाइंटिस्ट क्लेयर मैककॉरमैक कहते हैं, "इसके निष्कर्ष दिलचस्प थे। यह दिखाते हैं कि कम समय में गर्भावस्था दिमाग को पूरी तरह बदल सकती है, जैसे कि किशोरावस्था के दौरान जीवन में बदलाव के कई स्तर आते हैं।” मैककॉरमैक इस अध्ययन का हिस्सा नहीं थे। 
 
क्रैस्टिल के दिमाग के कुछ व्हाइट मैटर गर्भावस्था के दूसरी तिमाही में बहुत ही मजबूती से विकसित हो गए थे। व्हाइट मैटर दिमाग के अलग अलग जगहों में जानकारियां भेजे जाने वाले रास्ते हैं। व्हाइट मैटर के मजबूत होने का मतलब है कि जानकारी और बेहतर तरीके से एक जगह से दूसरी जगह भेजी जा रही है।
 
क्रैस्टिल ने कहा, "बदलाव पूरे दिमाग में थे। मेरे मस्तिष्क के 80 फीसदी हिस्से में ग्रे मैटर वॉल्यूम में कमी भी देखी गई।” ग्रे मैटर दिमाग के टिश्यू हैं जिनमें न्यूरोसेल बॉडीज (तंत्रिका तंत्र) की बड़ी मात्रा (कॉन्सेन्ट्रेशन) होती है, यहां पर जानकारी प्रोसेस की जाती है। ग्रे मैटर वॉल्यूम में गिरावट कभी-कभी याददाश्त कमजोर होने और कुछ अन्य क्रियाकलाप से जुड़ी हो सकती है।
 
हालांकि अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि ग्रे मैटर में गिरावट गर्भावस्था के दौरान हमेशा गलत नहीं हो सकती। यह मस्तिष्क के लिए एक लहर के जैसी हो सकती है क्योंकि मस्तिष्क स्वयं को मातृत्व के लिए तैयार कर रहा है- उसी तरह जैसे संगमरमर का एक टुकड़ा किसी मूर्ति का आकार ले रहा हो।  
 
जैकब्स कहती हैं, "इस तरह के बदलाव न्यूरल सर्किट में बेहतर ट्यूनिंग को दर्शा सकते हैं। इस तरह की प्रक्रियाएं मस्तिष्क को और अधिक स्पेशलाइज्ड (विशिष्ट) बनाने में मदद करती हैं।” 
 
गर्भावस्था वाले बदलावों को समझने के कई फायदे 
क्रैस्टिल के मस्तिष्क में आए बदलाव एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टरॉन हार्मोन के बदलते स्तर से भी जुड़े थे। लेकिन इस शोध से यह पता नहीं चल पाया है कि इन शारीरिक बदलावों से मां के मानसिक स्वास्थ्य में क्या बदलाव आ रहे हैः क्या दिमाग में आए बदलाव उनके मूड को बदलने या गर्भावस्था के दौरान नींद में परेशानी का कारण बन सकते हैं? कौन से बदलाव मातृत्व प्रेम (वात्सल्य) के बंधन को मजबूत करते हैं? वैज्ञानिकों को अब तक इसका पता नहीं चला है।
 
कई और महिलाओं के साथ अब यह निर्धारित करने के लिए शोध चल रहे हैं कि मस्तिष्क में इस तरह के परिवर्तन मां के मनोविज्ञान और स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डालते हैं। 
 
इसके निष्कर्ष गर्भावस्था के बाद होने वाले पोस्टनेटल डिप्रेशन और प्रीक्लेम्पसिया की स्थिति को समझने में मदद कर सकते हैं। प्रीक्लेम्पसिया गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप को कहा जाता है। 
 
मैककॉरमैक ने डीडब्ल्यू को बताया, "इस शोध में कई महत्वपूर्ण कदम शामिल हैं जो गर्भावस्था के दौरान होने वाले पेरिनेटल मूड और एंजाइटी की परेशानियों को समझ कर इलाज करने में मददगार हो सकते हैं। इससे जन्म देने वाली हर पांच में से एक मां पर असर पड़ता है।” 
 
हालांकि क्रैस्टिल रहती हैं, "वास्तव में यह अध्ययन जवाबों से ज्यादा सवालों को उठाता है। हमने गर्भावस्था के दौरान मस्तिष्क की समझ को देखना बस शुरू किया है।” 
 
गर्भावस्था पर शोध की कमी ‘आश्चर्यजनक'
सबसे ज्यादा "अचंभे" वाली तो यह रही कि गर्भावस्था के दौरान मस्तिष्क में आने वाले बदलावों को लगातार मैप करने वाला यह अपनी तरह का पहला शोध है।  
 
जैकब्स कहती हैं, "यह 2024 है और हम पहली बार इतने बेहतरीन न्यूरोलॉजिकल बदलावों की झलक देख पा रहे हैं। गर्भावस्था की न्यूरोबायोलॉजी के बारे में बहुत कुछ ऐसा है जिसको अभी तक हम समझ नहीं पाए हैं। यह इस बात का उदाहरण है कि बायोसाइंस के इतिहास में अब तक महिलाओं के स्वास्थ्य को नजरअंदाज किया जाता रहा है। ”
 
जैकब्स ने कहा कि पिछले 30 वर्षों में ब्रेन इमेजिंग के जो करीब 50 हजार लेख प्रकाशित हुए लेकिन उनमें गर्भावस्था जैसे महिला स्वास्थ्य के मुद्दों पर केंद्रित लेख एक फीसदी से भी कम थे।
 
अमेरिका के इरविन में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की हॉर्मोन विशेषज्ञ डायना क्रॉउस कहती हैं, "पुरुष और महिला के मस्तिष्क की गतिविधियों में अंतर को क्लीनीशियन या न्यूरोसाइंटिस्ट्स ने पारंपरिक रूप से कभी नहीं सराहा।”
 
क्रॉउस ने डीडब्ल्यू से कहा, "क्यों? एक महिला वैज्ञानिक होने के नाते मुझे इस बात से कोई मतलब नहीं है, लेकिन साफ तौर पर सेक्स और हार्मोन का काफी प्रभाव पड़ता है और यह देखकर अच्छा लग रहा है कि इस तरह के मामलों पर अब ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।”
 
इस नई स्टडी से 'मैटर्नल ब्रेन प्रोजेक्ट' यानि मातृत्व मस्तिष्क प्रोजेक्ट की शुरुआत हो गई है। यह महिला के दिमाग पर प्रेगनेंसी के असर को समझने के लिए चलाया जाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास है। अमेरिका और स्पेन की महिलाएं और उनके साथी एक बड़े पैमाने पर इन अध्ययनों का हिस्सा बन रहे हैं।

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