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इसराइल में सियासी संकट, 2 साल में चौथी बार होंगे चुनाव

इसराइल में सियासी संकट, 2 साल में चौथी बार होंगे चुनाव

DW

, बुधवार, 23 दिसंबर 2020 (19:42 IST)
इसराइली संसद द्वारा बजट पारित करने की समय-सीमा पूरी करने में विफल रहने के बाद बेन्यामिन नेतन्याहू की सरकार गिर गई है। साल 2021 के मार्च में देश चौथी बार चुनाव में जाएगा।
 
बुधवार को इसराइल की संसद को उस समय भंग कर दिया गया, जब बजट पारित करने की समय-सीमा पूरी करने में नेतन्याहू की गठबंधन सरकार विफल रही। सरकार गिरते ही देश पर 4थे चुनाव का साया मंडरा गया। अब इसराइल में 2 साल के भीतर 4थे चुनाव होंगे और चुनाव की तारीख 23 मार्च 2021 तय की गई है। 
नेतन्याहू की लिकुड पार्टी और रक्षामंत्री बेनी गांत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी गठबंधन सरकार चला रही थी लेकिन सरकार मजबूती के साथ नहीं चल पा रही थी। इस कमजोर गठबंधन सरकार का गठन इस साल अप्रैल में हुआ था। नेतन्याहू और गांत्ज बजट को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ बयान दे रहे थे जिसके कारण पहले ही सरकार गिरने की आशंका जताई जा रही थी।
 
राजनीतिक संकट का कारण
 
गांत्ज ने सरकार से देश में स्थिरता बनाए रखने के लिए 2020 और 2021 के बजट को एक साथ मंजूरी देने की मांग की थी, हालांकि नेतन्याहू ने 2021 के बजट को मंजूरी देने से इंकार कर दिया। नेतन्याहू के समर्थकों का कहना है कि गांत्ज का प्रस्ताव सरकार को अस्थिर करने की साजिश थी। वे नेतन्याहू को हटाकर खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। दोनों दलों ने आखिरकार एक बिल पारित करने की मांग की जिससे उन्हें अपना बजट पेश करने के लिए अधिक समय मिल सके। हालांकि संसद ने मंगलवार को इस बिल को खारिज कर दिया जिससे देश में राजनीतिक संकट पैदा हो गया।
 
वादा तोड़ने का आरोप
 
इस साल बनी गठबंधन सरकार को देखते हुए नवंबर 2021 में गांत्ज के नेतन्याहू की जगह लेने में सफल होने की उम्मीद जताई जा रही थी। गांत्ज ने नेतन्याहू पर अपना वादा तोड़ने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि देश में नए चुनाव कराना बेहतर होगा। गांत्ज ने इससे पहले कहा था कि सरकार के गठन के बाद से प्रधानमंत्री ने गठबंधन के लिए अपने वादे नहीं पूरे किए हैं और चीजें इतनी खराब हो गई हैं कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। गांत्ज के मुताबिक अब अगर किसी पर सरकार और गठबंधन को बचाने की जिम्मेदारी है तो वे नेतन्याहू हैं। उन्हें तय करना होगा कि उन्हें क्या चाहिए?
 
मार्च में चुनावों के साथ नेतन्याहू समस्याओं का सामना कर सकते हैं, क्योंकि वे फरवरी में अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में पेश होने वाले हैं। यह स्थिति उनके विरोधियों के लिए फायदेमंद हो सकती है। हालांकि अगर यही चुनाव जून में होते हैं तो ये नेतन्याहू के लिए बहुत लाभकारी हो सकते थे, क्योंकि उस समय तक इसराइल कोरोनावैक्सीन हासिल कर चुका होता और उसकी अर्थव्यवस्था कुछ हद तक ठीक हो गई होती।
 
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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