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गाय या बकरी का नहीं, कीड़ों का दूध बेच रही है यह कंपनी

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बुधवार, 30 मई 2018 (11:38 IST)
दक्षिण अफ्रीका की एक कंपनी एक विशेष प्रकार का दूध बेच रही है, जो खेती वाले कीटों से बना है। कंपनी ने इसे 'एंटोमिल्क' का नाम दिया है।
 
 
गुर्मे ग्रब नाम की यह कंपनी इसे अगला सुपरफूड बता रही है। वेबसाइट पर लिखा गया है, "एंटोमिल्क की कल्पना टिकाऊ, प्रकृति के अनुकूल, पौष्टिक, लैक्टोज मुक्त, स्वादिष्ट और भविष्य के डेयरी विकल्प के रूप में की जा सकती है।" कंपनी के अनुसार एंटोमिल्क का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें बहुत ज्यादा प्रोटीन है और आयरन, जिंक और कैल्शियम जैसे खनिज भी हैं। इस दूध से कंपनी एक खास किस्म की आइसक्रीम बनाती है, जो तीन फ्लेवर में उपलब्ध है: चॉकलेट, पीनट बटर और चाय।
 
 
एंटोमिल्क का नाम एंटोमोफेगी शब्द से आता है। इसका मतलब है कीड़ों को खाने की प्रथा। चूंकि कीड़े प्रोटीन से भरपूर होते हैं, इसलिए पिछले कई सालों से इन्हें आहार का हिस्सा बनाने पर चर्चा चल रही है। दुनिया भर में हो रहे फूड फेस्टिवल में भी कीड़ों से बने तरह तरह के व्यंजन पेश किए जाते हैं, ताकि लोगों में इनके प्रति रुचि बढ़ाई जा सके। बावजूद इसके अब तक कीड़ों वाला खाना दुकानों में बिकना शुरू नहीं हुआ है। एंटोमिल्क के जरिए एक बार फिर इस ओर ध्यान खींचा जा रहा है कि जानवरों के इस्तेमाल से पर्यावरण पर कितना बुरा असर पड़ता है।
 
 
गाय चारा खाने के दौरान मीथेन को हवा में छोड़ती है, जो एक जहरीली गैस है। लंबे समय से पर्यावरणविद् आरोप लगाते आए हैं कि बीफ और दूध के लिए गाय के इस्तेमाल से पर्यावरण में मीथेन की मात्रा बढ़ रही है। ऐसे में एंटोमिल्क को एक ऐसे विकल्प के तौर पर पेश किया जा रहा है, जिससे ना ही मीथेन हवा में घुलेगा और ना ही पानी की अत्यधिक खपत होगी।
 
 
एंटोमिल्क तथाकथित 'कॉकरोच मिल्क' की शुरुआत के दो साल बाद बाजार में आया है। कॉकरोच मिल्क डिप्लोपटेरा पुक्टाटा से बना हुआ है। यह विशेष प्रकार का तिलचट्टा आमतौर पर हवाई जैसे प्रशांत द्वीपों पर पाया जाता है। यह एकमात्र प्रजाति है, जो अंडे देने के बजाय बच्चों को जन्म देती है। इनका दूध प्रोटीन, वसा और शुगर का क्रिस्टल होता है, जो तिलचट्टे के बच्चों की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
 
 
साल 2016 में भारतीय शोधकर्ताओं के एक शोध में तिलचट्टे के दूध में समान द्रव्यमान के गाय के दूध की तुलना में तीन गुना से ज्यादा ऊर्जा होने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि वैज्ञानिकों ने सुपरमार्केट में जल्द तिलचट्टे के दूध आने की उम्मीद नहीं की थी। इसके अलावा, इसके इस्तेमाल में सुरक्षित होने पर भी अभी स्थिति साफ नहीं है।
 
ईशा भाटिया (आईएएनएस)
 

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