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पूर्वोत्तर सीमा पर भारत के जवानों का कोरोना से सामना

पूर्वोत्तर सीमा पर भारत के जवानों का कोरोना से सामना

DW

, बुधवार, 12 अगस्त 2020 (11:19 IST)
रिपोर्ट प्रभाकर मणि तिवारी
 
बांग्लादेश, चीन और म्यांमार की सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों के जवान भी कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हैं। इस समय यह संक्रमण ही इन जवानों का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है। कुछ राज्य तो उनके प्रवेश पर पाबंदी लगा रहे हैं।
  
पूर्वोत्तर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और असम राइफल्स के अलावा सेना के जवानों में भी संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है और यह तादाद करीब 4 हजार तक पहुंच गई है। दरअसल, छुट्टी के बाद देश के दूसरे हिस्सों से ड्यूटी पर लौटने वाले जवानों की वजह से ही यह संक्रमण तेज हुआ है। इसे ध्यान रखते हुए नगालैंड ने जहां सितंबर तक जवानों के बाहर से आने पर कुछ पाबंदियां लगा दी हैं वहीं मिजोरम ने भी केंद्र से 31 अगस्त तक केंद्रीय बलों के जवानों की राज्य में आवाजाही पर पाबंदी लगाने का अनुरोध किया है। राज्य सरकार ने पहले ही 15 अगस्त तक ऐसी पाबंदी लगा दी है।
 
कोरोना के बढ़ते मामले
 
सेना और दूसरे केंद्रीय बलों के जवानों में संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। उग्रवाद प्रभावित नगालैंड में स्थिति ज्यादा गंभीर है। राज्य में कुल कोरोना संक्रमितों में से 1,226 यानी करीब 40 फीसदी लोग सुरक्षा बलों से जुड़े हैं। इसके बाद क्रमश: मणिपुर (823), अरुणाचल प्रदेश (738), त्रिपुरा (360), मिजोरम (350) और मेघालय (300) का स्थान है। कई जवानों के परिजन भी कोरोना की चपेट में हैं। इन जवानों की जांच तो सरकारी लैब में की जा रही है। लेकिन तमाम रेजिमेंट अपना क्वारंटाइन केंद्र चला रही हैं, वहीं संक्रमित जवानों का इलाज भी हो रहा है और आइसोलेशन भी।
 
पूर्वोत्तर में बांग्लादेश के साथ लगी 1,800 किमी लंबी सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवानों पर कोरोना की मार सबसे गंभीर है। इस केंद्रीय बल के 1,000 जवान संक्रमित हो चुके हैं। हालांकि इनमें से कई लोग स्वस्थ होकर अपनी ड्यूटी पर भी लौट गए हैं। बीएसएफ के एक अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि कई अधिकारी और जवान देश के उत्तरी और दक्षिणी राज्यों से संक्रमण लेकर यहां पहुंच रहे हैं। तबादले या छुट्टी से लौटने वाले जवान ट्रेनों या उड़ानों से आने के दौरान ही रास्ते में संक्रमित हो रहे हैं।
 
केंद्रीय बलों में बढ़ते संक्रमण से चिंतित मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र भेजकर 31 अगस्त तक राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों की आवाजाही स्थगित रखने की अपील की है। उनका कहना है कि राज्य में कोविड-19 के कुल मामलों में से 70 फीसदी सेना और अर्द्धसैनिक बलों से संबंधित हैं। केंद्रीय बलों में तेजी से बढ़ता संक्रमण गहरी चिंता का विषय बन गया है। राज्य सरकार ने राजधानी आइजल में एक उच्चस्तरीय बैठक में स्थिति की समीक्षा के बाद प्रधानमंत्री से उक्त अनुरोध किया है। बैठक में मुख्य सचिव लालनूनमाविया चुआंग और पुलिस महानिदेशक एसबीके सिंह भी शामिल थे।
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जांच चौकियों पर एंटीजन टेस्ट
 
मिजोरम के अलावा पड़ोसी मेघालय के संक्रमितों में बीएसएफ के अलावा असम राइफल्स और एनडीआरएफ के जवानों में भी संक्रमण बढ़ रहा है। मेघालय के स्वास्थ्य मंत्री एएल हेक बताते हैं कि राज्य में तैनात अर्द्धसैनिक बलों के जवानों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अब राज्य की सीमा पर बनी 6 जांच चौकियों पर एंटीजन टेस्ट किया जा रहा है ताकि समय रहते संक्रमण का पता लगाया जा सके। राज्य में विभिन्न केंद्रीय बलों के 300 जवान अब तक कोरोना की चपेट में आ चुके हैं।
 
इलाके के सबसे बड़े राज्य असम में भी तस्वीर अलग नहीं है। राज्य की लंबी सीमा बांग्लादेश से लगी है। वहां तैनात बीएसएफ के सैकड़ों जवान भी इस महामारी की चपेट में हैं। असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व व्यवस्था) जीपी सिंह के मुताबिक असम पुलिस के लगभग 2100 जवान अब तक संक्रमित हो चुके हैं।
 
नगालैंड के प्रमुख सचिव (गृह) अभिजीत सिन्हा बताते हैं कि नगालैंड में कुल मामलों में से 40 फीसदी केंद्रीय सुरक्षा बलों से संबंधित हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार और असम राइफल्स के अधिकारियों के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक में परिस्थिति की समीक्षा की गई। असम राइफल्स (नॉर्थ) के आईजी के जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल विन्सेंट पैटन बताते हैं कि बैठक के दौरान हमने सरकार को कोविड-19 से उपजी परिस्थिति के बेहतर प्रबंधन का भरोसा दिया है। हम छुट्टी पर गए जवानों को चरणबद्ध तरीके से बुलाएंगे। इससे क्वारंटाइन केंद्र में जगह की समस्या नहीं होगी।
 
नगालैंड की राजधानी कोहिमा में रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सुमीत कुमार शर्मा बताते हैं कि सेना और अर्द्धसैनिक बल खुद अपने क्वारंटाइन केंद्र चला रहे हैं। इन केंद्रों में उपलब्ध जगह को ध्यान में रखते हुए छुट्टी पर बाहर गए जवानों को चरणबद्ध तरीके से बुलाने का फैसला किया गया है ताकि कोई दिक्कत नहीं हो।
 
जागरूकता अभियान की जरूरत
 
मणिपुर के स्वास्थ्य मंत्री एल. जयंतकुमार सिंह बताते हैं कि राज्य में सुरक्षा बलों में कोरोना के काफी मामले सामने आए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने अर्द्धसैनिक बलों के राज्य में प्रवेश पर कुछ पाबंदियां लगा दी हैं। यहां आने वाले जवानों व अधिकारियों को कोविड-19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करना होगा। मणिपुर में 800 से ज्यादा जवान संक्रमित हैं। अरुणाचल प्रदेश की स्थिति भी अलग नहीं हैं। स्वास्थ्य मंत्री आलो लिबांग कहते हैं कि हमारी सीमा चीन से लगी है इसलिए हम सुरक्षा बलों के राज्य में प्रवेश पर पाबंदी नहीं लगा सकते। लेकिन राज्य में आने वाले इन जवानों और अधिकारियों में संक्रमण का पता लगाने के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट किया जा रहा है। राज्य में सामने आए 1,948 में से 738 मामले सेना और सुरक्षा बलों के ही हैं।
 
कोलकाता में रहने वाले बीएसएफ की त्रिपुरा फ्रंटियर के पूर्व डीआईजी समीर कुमार मित्र बताते हैं कि बीएसएफ के जवानों और सीमावर्ती इलाकों में रहने वालों को कोरोना महामारी के प्रति सचेत करने के लिए संबंधित अधिकारियों को बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। गश्त के दौरान बीएसएफ के जवानों का नियमित रूप से सीमापार के घुसपैठियों, तस्करों और भारतीय सीमा के पास रहने वाले ग्रामीणों से पाला पड़ता है। ऐसे में उनके लिए फेस मास्क, सैनिटाइजर और दूसरे सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल अनिवार्य किया जाना चाहिए।

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