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ऑस्ट्रेलिया के पहले निजी उपग्रह में भारत की भूमिका

ऑस्ट्रेलिया के पहले निजी उपग्रह में भारत की भूमिका

DW

, शुक्रवार, 8 मार्च 2024 (11:45 IST)
-विवेक कुमार
 
बुधवार को ऑस्ट्रेलिया का अब तक का सबसे बड़ा निजी उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा। ऑस्ट्रेलियाई कंपनी का उपग्रह अमेरिकी कंपनी के यान पर अंतरिक्ष पहुंचा, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि में भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की बढ़ती ताकत है। ऑस्ट्रेलिया की स्टार्टअप स्पेस मशीन्स कंपनी (SMC) का उपग्रह ऑप्टिमस बुधवार को पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया। यह ऑस्ट्रेलिया का अब तक का सबसे बड़ा निजी उपग्रह है जिसके लक्ष्यों में से एक पृथ्वी की कक्षा से कचरा हटाना भी है।
 
ऑप्टिमस को अमेरिका के कैलिफॉर्निया स्थित वैंडनबर्ग स्पेस स्टेशन से इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट पर भेजा गया था। इसके साथ कई निजी कंपनियों के उपकरण भेजे गए हैं जिनमें एचईओ का रोबोटिक्स होम्स इमेजर, एस्पर का ओवर द रेनबो इमेजर और स्पाइरल ब्लू कंपनी का एसई-1 कम्प्यूटर शामिल हैं।
 
बैकग्राउंड में भारत
 
ऑप्टिमस को भले ही एक ऑस्ट्रेलियन कंपनी ने बनाया है और अमेरिकी कंपनी ने अंतरिक्ष तक पहुंचाया है, लेकिन भारत इस पूरे अभियान की पृष्ठभूमि में शामिल रहा है। जिस स्पेस मशींस कंपनी ने ऑप्टिमस को बनाया है, उसका रिसर्च एंड डेवलपमेंट का काम भारत में होता है।
 
कंपनी के सीईओ भारतीय मूल के रजत कुलश्रेष्ठ हैं। इस कंपनी ने पिछले साल सितंबर में ही भारतीय कंपनी अनंत टेक्नोलॉजीज के साथ समझौता किया था जिसके बाद ये मिलकर काम कर रही हैं। पिछले साल ही कंपनी ने भारत के बेंगलुरू में अपना दफ्तर भी खोला था।
 
ऑप्टिमस के सफल प्रक्षेपण पर भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ने भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों की उपलब्धि बताया। सोशल मीडिया साइट एक्स पर उन्होंने लिखा, 'स्पेस मशीन कंपनी को अपने पहले उपग्रह प्रक्षेपण पर बधाई। यह एक बेहतरीन मिसाल है कि भारत में और भारत के साथ काम कर रही एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जो उपग्रहों का जीवन लंबा करेगी और अंतरिक्ष में कचरा भी घटाएगी।'
 
भारत में एसएमसी
 
एसएमसी और अनंत टेक्नोलॉजीज के बीच सितंबर 2022 में समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत दोनों कंपनियां अंतरिक्ष अभियानों, तकनीकी विकास, परीक्षण और सप्लाई चेन में एक-दूसरे के साथ सहयोग करने को राजी हुई थीं।
 
साथ ही, एसएमसी ने बेंगलुरु में अपना दफ्तर भी खोला था। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की टेस्ट फैसिलिटी के करीब स्थित इस दफ्तर में 10 से ज्यादा विशेषज्ञ रिसर्च और डिवेलपमेंट का काम कर रहे हैं। इस दफ्तर को लेकर कंपनी काफी उत्साहित है। एक बयान में कंपनी ने कहा कि स्पेस मशींस के पहले मिशन के विकास में इस दफ्तर की अहम भूमिका रही है और आने वाले समय में दोनों देशों के बीच मिलकर काम करने के कई मौके यहां से पैदा होंगे।
 
बुधवार को ऑप्टिमस के प्रक्षेपण के बाद एसएमएसी के सीईओ रजत कुलश्रेष्ठ ने कहा, 'ऑप्टिमस का सफल प्रक्षेपण उपग्रहों के प्रक्षेपण और संचालन की दिशा में नए रास्ते खोलता है। हमारा मानना है कि यह अंतरिक्ष उद्योग के ढांचागत खर्च में बड़ा बदलाव आएगा।'
 
अंतरिक्ष में भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध
 
भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की ताकत उसका कम खर्चीला होना ही है। पूरी दुनिया इसका लाभ उठाना चाहती है। ऑस्ट्रेलिया ने तो 2022 में जारी अपनी अंतरिक्ष रणनीति में भारत को खास जगह दी थी।
 
ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया, 'अभी 440 अरब डॉलर के अंतरिक्ष उद्योग में भारत का हिस्सा अभी सिर्फ दो फीसदी है। लेकिन हाल के दिनों में भारत सरकार द्वारा निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष उद्योग के लिए खोलने को लेकर जो 52 सुधार किए गए हैं, वे दिखाते हैं कि घरेलू अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ाने की कोशिश हो रही है।'
 
भारत में लगभग 200 स्टार्टअप कंपनियां हैं, जो अंतरिक्ष उद्योग में काम कर रही हैं। 2022 से 2023 के बीच ही इनकी संख्या दोगुनी हो चुकी थी। कंसल्टेंसी कंपनी डेलॉइट के मुताबिक 2021 और 2022 के बीच निजी अंतरिक्ष उद्योग में निवेश 77 फीसदी बढ़ा है।
 
यही वजह है कि अंतरिक्ष क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ संबंध और गाढ़े करना चाहता है। भारत और ऑस्ट्रेलिया ऐतिहासिक रूप से अंतरिक्ष उद्योग में मिलकर काम करते रहे हैं। दक्षिणी गोलार्ध में स्थित ऑस्ट्रेलिया की भोगौलिक स्थिति उसे हर अंतरिक्ष अभियान के लिए अहम बना देती है। चंद्रयान अभियान में भी ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष एजेंसी ने अहम भूमिका निभाई थी।
 
ऑप्टिमस के प्रक्षेपण से ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच तो अंतरिक्ष-उद्योग में साझेदारी का नया अध्याय शुरू हुआ ही है, बाकी दुनिया को भी भारत की संभावनाओं की स्पष्ट तस्वीर मिल गई है।(प्रतीकात्मक चित्र)

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