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तो क्या इंसान 140 साल तक जी सकेगा?

तो क्या इंसान 140 साल तक जी सकेगा?
, मंगलवार, 5 दिसंबर 2017 (12:20 IST)
पिछली एक सदी में इंसान की जीवन प्रत्याशा बड़ी तेजी से बढ़ी है लेकिन फिर भी इंसान की अधिकतम आयु मोटे तौर पर 115 के आस पास ही बनी हुई है। एक नई शोध का दावा है कि यह बदलने वाली है।
 
दुनिया में सबसे अधिक उम्र के इंसान के रूप में 122 साल की एक फ्रेंच महिला का नाम दर्ज है जिनकी मौत 20 साल पहले हो गयी। इस्रायली रिसर्चरों का मानना है कि मानव शरीर पर उम्र के प्रभाव में देरी ला कर उसकी उम्र 140 साल तक की जा सकती है। बार लान यूनिवर्सिटी के कोहेन लैब ऑफ मॉलिक्यूलर मेकेनिज्म ऑफ एजिंग के प्रोफेसर हाइम कोहेन का कहना है, "पहले 70 फीसदी इंसान की मौत संक्रमण के कारण होती थी लेकिन अब 70 फीसदी लोग बुढ़ापे की वजह से होने वाली मौत के शिकार हो रहे हैं। अगर हम उम्र के असर में अपने आप होने वाला हेरफेर ला सकें तो अधिकतम जीवन प्रत्याशा बढ़ाई जा सकती है।"
 
कोहेन और नौ दूसरे रिसर्चरों के साथ मिल कर किए गए रिसर्च के नतीजे द जर्नल्स ऑफ गेरोंटोलॉजी में छपे हैं जिसमें कहा गया है कि औसत जीवन प्रत्याशा पिछली सदी के दौरान बीमारियों के इलाज की वजह से काफी बढ़ी है लेकन इंसान की अधिकतम उम्र अब भी 115 साल पर ही ठहरी हुई है। यह उम्र भी समाज के महज 10 फीसदी लोगों के लिए ही है।
 
रिसर्चरों ने सैकड़ों प्रयोग करके देखे जो सीधे तौर पर यीस्ट, कीड़ों, मक्खियों और चूहों में उम्र के असर से जुड़े थे। इन प्रयोगों में उन्होंने देखा कि जीवन प्रत्याशा लगातार बढ़ती गयी। उन्होंने 1990 के बाद से इंसान की मृत्यु के कारणों की भी पड़ताल की। इसमें उन्हें पता चला कि पहले संक्रमण से होने वाली मौतों की जगह अब उम्र के कारण होने वाली मौतों ने ले ली है।
 
इन रिसर्चरों की दलील है कि अगर उम्र के साथ होने वाले असर को रोकने वाला इलाज इंसानों के लिए भी विकसित कर लिया जाए तो जीवन प्रत्याशा 30 फीसदी तक बढ़ाई जा सकीत है। कोहने के रिसर्च के नतीजे अल्बर्ट आइनस्टाइन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के रिसर्चरों के नतीजे से बिल्कुल अलग है जिसमें कहा गया है कि अधिकतम जीवन प्रत्याशा प्राकृतिक रूप से अपनी अंतिम सीमा तक पहुंच चुकी है जो 115 साल है।
 
जर्मनी के माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फऑर डेमोग्राफिक रिसर्च के निदेशक जेम्स डब्ल्यू फाउपेल कोहेन की खोज का समर्थन करते हैं। उनका कहना है कि अधिकतम उम्र 115 साल पर सीमित करने से वे सहमत नहीं हैं। समाचार एजेंसी डीपीए से बातचीत में उन्होंने कहा, "यह लेख सावधानी से पूरे रिसर्च के बाद लिखा गया है।" कोहेन ने उम्मीद जताई है कि उनका रिसर्च स्वस्थ जीवन के विस्तार की ओर जायेगा। उन्होंने कहा, "उद्देश्य है कि लोग लंबे समय तक स्वस्थ रहें ना कि केवल लंबे समय तक जिएं।"
 
एनआर/ओएसजे (डीपीए)

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