भारतीय अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए खपत बढ़ाना जरूरी है। कई जानकार हालिया बजट को दूरदर्शी और रोजगार के नए अवसर खोलने वाला बता रहे हैं, लेकिन कितने रोजगार पैदा किए जाएंगे, इसका जिक्र बजट में नहीं है।
भारत में बेरोजगारी दर और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को लेकर लंबे अर्से से बहस छिड़ी है। सरकार कहती है कि देश सही रास्ते पर चल रहा है और आर्थिक विकास हो रहा है लेकिन विपक्ष सरकार की दलीलों से सहमत नहीं है। उद्योग जगत के जानकार कहते हैं कि सरकार कम समय में विकास दर बढ़ाने की कोशिश कर रही है। जानकारों का कहना है कि सरकार ने बजट में तेज आर्थिक विकास की बुनियाद रखी है।
वहीं कुछ आलोचकों का कहना है कि वृद्धि दर और निजी क्षेत्र का सेंटीमेंट 6 साल के सबसे निचले स्तर पर है। सरकार ने अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए 2.10 लाख करोड़ रुपए का विनिवेश लक्ष्य रखा है। अपने दूसरे बजट भाषण में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में 10 फीसदी आर्थिक विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
बजट पेश करने के बाद सीतारमण ने पत्रकारों से कहा कि भारत जैसी दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था को सिर्फ एक इंजन आगे नहीं बढ़ा सकता है। इसे आगे बढ़ाने के लिए सभी तरह के इंजनों को एकसाथ लगाना होगा। उनके मुताबिक सभी सेक्टरों को एकसाथ मिलकर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना होगा जिसमें सरकार, निजी क्षेत्र, विदेशी निवेशक और आम जनता शामिल हैं।
एसोचेम के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट विनीत अग्रवाल के मुताबिक टैक्स दरों में बदलाव कर सरकार ने कोशिश की है कि लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा जाए, पैसा ज्यादा रहेगा तो वह खपत में जाएगा। खपत में पैसा जाने से मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ेगा। साथ ही हम चाहेंगे कि जो भी सरकार की नीति है, वह एक समान रहे ताकि भारतीय कंपनियों के अलावा विदेशी कंपनियां जो यहां निवेश के लिए आ रही हैं, वे अगले 5-10 साल की योजना बना पाएं।
बेरोजगारी पर स्पष्टता की कमी
देश में इस वक्त सबसे ज्यादा आबादी युवाओं की है और जो रोजगार के क्षेत्र में अवसर की तलाश में हैं। सरकार ने बजट में कौशल विकास के लिए 3,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया है। देश में शिक्षकों, नर्सों, पैरा मेडिकल स्टाफ और देखभाल करने वालों के लिए विदेशी मांग को पूरा किया जाएगा।
सरकार ने माना है कि भारतीय युवाओं का कौशल कमजोर है। हालांकि सरकार ने बजट में रोजगार के आंकड़े को लेकर कोई संख्या नहीं बताई है और न ही यह बताया कि कितने लोगों को अगले वित्त वर्ष तक सरकार नौकरी देने जा रही है। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में निर्मला सीतारमण ने कहा कि मान लीजिए कि आज मैं एक आंकड़ा बोल दूं- 1 करोड़ फिर 15 महीने बाद राहुल गांधी पूछेंगे कि आपने 1 करोड़ नौकरियों का कहा था, क्या हुआ?
सीतारमण के इसी बयान पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि वित्तमंत्रीजी, मेरे सवालों से मत डरिए। मैं यह सवाल देश के युवाओं की ओर से पूछ रहा हूं जिन्हें जवाब देना आपकी जिम्मेदारी है। देश के युवाओं को रोजगार की जरूरत है और आपकी सरकार उन्हें रोजगार देने में बुरी तरह नाकाम साबित हुई है।
वैसे उद्योग जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि रोजगार के प्रति सरकार का दृष्टिकोण सही है। ऑक्टस एडवाइजर्स के सौरभ सिंघल कहते हैं कि रोबोटिक्स, क्वांटम तकनीक, मशीन लर्निंग, मैन्युफैक्चरिंग तकनीक ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आने वाले सालों में रोजगार पैदा होंगे। इस लिहाज से सरकार का फोकस ठीक है। नीति की घोषणा के साथ ही रोजगार पैदा नहीं होने वाले हैं। यह लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है। सरकार को अपना फोकस लंबे समय के लिए तय रखना होगा।
वे कहते हैं कि सरकार को देखना होगा कि किस क्षेत्र में नौकरी मिल सकती है और कैसे कौशल विकास किया जा सकता है? सरकार को यह भी देखना चाहिए कि हम जो भी पढ़ा रहे हों, वह नौकरी पाने या कौशल सीखने के लिए पढ़ा रहे हों। सरकार ने क्वांटम तकनीक और एप्लीकेशन पर राष्ट्रीय मिशन की घोषणा की है। अगले 5 वर्षों में क्वांटम एप्लीकेशन पर 8 हजार करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है।