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यूरोप में रोके नहीं रुक रहा है कोरोना का संकट

यूरोप में रोके नहीं रुक रहा है कोरोना का संकट
, शुक्रवार, 20 मार्च 2020 (12:33 IST)
यूरोप में कोरोना को रोकने की कोशिशें अब तक कोई खास असर नहीं दिखा सकी हैं। बुधवार का दिन इटली के लिए काफी भयानक साबित हुआ, जब एक ही दिन में 475 मरीजों की जान चली गई।
 
इटली में कोरोना वायरस से कुल प्रभावितों की संख्या 35,000 से ज्यादा है। यूरोप में सबसे ज्यादा वायरस का असर इटली, स्पेन और फ्रांस में नजर आया है। स्पेन में 14,000 से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आए हैं। कोरोना के कारण मरने वालों की संख्या 638 तक पहुंच गई है। फ्रांस में 243 लोगों की मौत हुई है और 9,000 से ज्यादा लोग प्रभावित हैं।
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कुल मिलाकर इटली की हालत सबसे ज्यादा खराब है और यहां इस वायरस के कारण मरने वालों की संख्या के चीन से आगे निकल जाने की आशंका है। संयुक्त राष्ट्र ने इटली की बुरी हालत के पीछे कई कारण बताए हैं। इटली में जापान के बाद सबसे बड़ी बुजुर्ग आबादी है। इटली में वायरस के कारण मौत के शिकार बने 87 फीसदी लोगों की उम्र 70 साल से ज्यादा है। इटली में पीड़ितों की देखभाल के लिए चीन से स्वास्थ्यकर्मियों की एक टीम आई है।
 
गुरुवार सुबह 10 बजे तक जर्मनी में कोरोना पीड़ितों की संख्या 12,327 थी। यहां अब तक इस बीमारी के कारण 28 लोगों की मौत हुई है। कोरोना वायरस को रोकने के काम में मदद के लिए जर्मनी ने अपने रिजर्व सैनिकों को बुलाया है। गुरुवार को रक्षामंत्री आनेग्रेट क्रांप कारेनबावर ने इसकी जानकारी दी।

 
कारेनबावर ने बताया कि जर्मनी में करीब 75,000 रिजर्व सैनिक है जिनका संपर्क सेना के पास मौजूद है। सरकार की पुकार पर करीब 2,300 रिजर्व सैनिकों ने जवाब दिया है। इनमें 900 ऐसे लोग भी हैं, जो स्वास्थ्य सेवाओं में तैनात किए जा सकते हैं। रक्षामंत्री ने आशंका जताई है कि जर्मनी में बड़ी संख्या में लोग बीमार हो सकते हैं, ऐसे में मौजूदा स्वास्थ्यकर्मियों और अस्पतालों के जरिए उनका इलाज कर पाना मुमकिन नहीं होगा।
ऑस्ट्रिया में सार्वजनिक जीवन पर रोक लगने के बाद से वहां सार्वजनिक यातायात 90 फीसदी और निजी यातायात 45 फीसदी घट गया है। ऑस्ट्रिया से स्विट्जरलैंड जाने वाली ट्रेनें बंद कर दी गई हैं और जर्मनी जाने वाली ट्रेनों में भी केवल जर्मन यात्रियों को ले जाया जा रहा है। इन सारे उपायों के बावजूद यहां कोरोना वायरस के नए पीड़ितों की संख्या 1 दिन में 25 फीसदी बढ़ गई है।
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इन सबका असर यूरोपीय देशों पर भी पड़ा है। बुधवार को यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने यूरोपीय देशों के लिए एक बड़े आर्थिक पैकेज का ऐलान किया। 750 अरब यूरो के इस पैकेज का इस्तेमाल सरकारी और कॉर्पोरेट बॉन्ड खरीदने में किया जाएगा ताकि इस संकट का सामना करने के लिए सरकारों और कंपनियों के पास पैसा रहे। यूरोपीय नेताओं ने ईसीबी के इस फैसले का स्वागत किया है।
इस खबर के आने के बाद गुरुवार को यूरोपीय शेयर बाजारों में सुधार का रुख देखा गया। यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने ट्वीट कर कहा कि #कोविड 19 को रोकने और हमारी अर्थव्यवस्थाओं को और नुकसान से बचाने के लिए कोई भी कोशिश बाकी नहीं रखी जाएगी। मैं ईसीबी के इमर्जेंसी पर्चेज प्रोग्राम का स्वागत करता हूं। यूरोपीय संघ के कई और नेताओं ने इसी तरह के उत्साहभरे शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया जताई है।
 
जर्मनी ने सरकार समर्थित कर्ज के लिए 550 अरब यूरो की रकम निकाली है, जो स्टार्टअप्स को मुहैया कराई जाएगी। इसके अलावा कंपनियों के दिवालिया घोषित किए जाने के लिए कुछ शर्तों में ढील दी गई है। इसी तरह ब्रिटेन ने 355 अरब यूरो की रकम निकाली है, जो कारोबारियों को कर्ज देने के लिए इस्तेमाल की जाएगी। फ्रांस ने भी इस मद में 300 अरब यूरो की रकम की घोषणा की है और इसके साथ ही 45 अरब यूरो की रकम कारोबार और कर्मचारियों की मदद के लिए दी जाएगी।
 
यूरोप में स्पेन ने भी व्यापार जगत की मदद के लिए 100 अरब यूरो की रकम देने का वादा किया है। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह स्विस फ्रांक को स्थिर करने के लिए दखल देगा। रूस अपने विदेशी मुद्रा के भंडार का इस्तेमाल तेल उत्पादक कंपनियों की मदद के लिए कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें 25 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चली गई हैं।
 
जर्मनी की एयरलाइन लुफ्थांसा ने गुरुवार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार को उद्योग जगत को कोरोना संकट से बचाने के लिए आगे आना होगा। लुफ्थांसा के 763 विमानों में से 700 विमान फिलहाल अस्थायी रूप से खड़े कर दिए गए हैं। विमान यात्रा में आई भारी गिरावट और दुनियाभर में लागू की गई बंदिशों और तालाबंदियों के चलते ऐसा हुआ है।
 
लुफ्थांसा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कार्स्टन स्पोर का कहना है कि संकट जितना लंबा खिंचेगा, इस बात की आशंका उतनी ज्यादा होगी कि विमानन क्षेत्र का भविष्य बिना सरकारी मदद के नहीं बचेगा। उनका कहना है कि फिलहाल लुफ्थांसा के लिए मदद जरूरी नहीं है लेकिन कंपनी सरकार के साथ बातचीत कर रही है कि लंबे समय के लिए एयरलाइन को कैसे बचाया जाए?
 
अंतरराष्ट्रीय वायु यातायात संघ ने गुरुवार को कहा कि दुनियाभर की एयरलाइनों को बचाए रखने के लिए कम से कम 200 अरब डॉलर की जरूरत होगी।
 
एनआर/एमजे (एएफपी, डीपीए, रॉयटर्स)

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