भारत के ज्यादातर हिस्सों में कोरोना संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं और इसकी वजह से लगी पाबंदियों में ढील दी जा रही है। वहीं पूर्वोत्तर भारत में संक्रमण की मौजूदा स्थिति ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
भारत सरकार ने बुधवार को आयोजित एक वर्चुअल बैठक में इन राज्यों की स्थिति की समीक्षा की और हालात पर काबू पाने के लिए कई सुझाव दिए। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीमें इलाके की जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए तीन पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर गई थी। देश के जिन 77 जिलों में कोरोना की पाजिटिविटी दर सबसे ज्यादा है उनमें से 62 प्रतिशत यानी 48 जिले इसी इलाके में हैं।
इससे पहले पूर्वोत्तर मामलों के मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भी इलाके में संक्रमण की स्थिति की समीक्षा की थी। उस दौरान पाया गया था कि मेघालय में संक्रमण दर अब भी काफी चिंताजनक बनी हुई है। राज्य की एक जेल में अचानक कई मामलों के सामने आने के बाद हालात बिगड़ गए हैं।
अरुणाचल, त्रिपुरा और मेघालय पर चिंता
केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को संक्रमण पर आयोजित एक वर्चुअल बैठक में खासकर अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और मणिपुर की हालत पर चिंता जताई गई। बैठक में केंद्रीय टीम की रिपोर्ट के आधार पर संक्रमण से निपटने के लिए आधारभूत सुविधाओं मसलन अस्पताल में बिस्तरों की तादाद, एम्बुलेंस, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की उपलब्धता के अलावा टीकाकरण अभियान की समीक्षा की और इसे और तेज करने की सिफारिश की गई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि पूर्वोत्तर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामले अब भी सरकार के लिए चिंता का विषय हैं। उनका कहना था कि पांच जुलाई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान देश के 73 जिलों में 10 फीसदी से अधिक पॉजिटिविटी रेट आई है। इसमें पूर्वोत्तर के ज्यादातर जिले शामिल हैं। महामारी राष्ट्रीय स्तर कम हो रही है लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में अभी भी मामले बढ़ रहे हैं। अग्रवाल ने बताया कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर अभी जारी है। जैसे-जैसे पाबंदियों में ढील दी जा रही है, लोग कोरोना प्रोटोकॉल का सही तरीके से पालन नहीं कर रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में इसके नकारात्मक नतीजे देखने को मिलेंगे।
डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते मामले
पूर्वोत्तर में खासकर मणिपुर, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते मामलों ने सरकार के लिए नई चिंता पैदा कर दी है। इलाके के छोटे और अपेक्षाकृत कम आबादी वाले राज्यों में कोरोना के मामलों में तेजी बेहद चिंता का विषय है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन और पाबंदियों में ढील के बाद जिस तरह लोगों का आवागमन अचानक बढ़ा है और बाजारों में भीड़ हो रही है, उसकी वजह से संक्रमण फैल रहा है।
अनुमान है कि त्रिपुरा और मणिपुर में सीमापार से आवाजाही होने के कारण भी संक्रमण बढ़ रहा हो। लेकिन अरुणाचल प्रदेश के सुदूर इलाकों में कोरोना का बढ़ता संक्रमण चिंता और हैरानी की बात है। दुर्गम इलाका होने की वजह से वहां पर्याप्त तादाद में कोरोना की जांच भी नहीं हो पा रही है। इसके अलावा लोग वैक्सीन भी लगाने के लिए तैयार नहीं हैं। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन। बीरेन सिंह ने कहा है कि नए मरीजों में डेल्टा वेरिएंट ही सबसे ज्यादा मिल रहा है। स्थिति बेहद चिंताजनक है क्योंकि राज्य में कोरोना का तेजी से हो रहा फैलाव डेल्टा वेरिएंट की वजह से है। मणिपुर में कोरोना से अब तक 1175 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 5960 लोग अस्पताल में भर्ती है।
अरुणाचल में 200 से ज्यादा मौतें
दूसरी ओर, अरुणाचल प्रदेश में भी यही हाल है। राज्य में अब तक करीब 200 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि कुल मामलों की तादाद 40 हजार के करीब पहुंच गई है। प्रदेश के लांगडिंग में पॉजिटिविटी दर 26 फीसदी दर्ज की गई है जबकि पूरे राज्य में यह औसतन 6 फीसदी है। जनवरी में शुरू हुए टीकाकरण अभियान के बाद से अभी तक राज्य में 5.90 लाख से अधिक लोगों को टीके लगाए गए हैं। अरुणाचल प्रदेश में पूर्वी कामेंग में सबसे ज्यादा 86.67 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट दर्ज की गई है। इसी तरह चांगलांग जिले में यह दर 80.86 प्रतिशत है।
दस प्रतिशत से ज्यादा पाजिटिविटी रेट वाले जिलों को चिंता का विषय माना जाता है। अरुणाचल प्रदेश में ऐसे 19 जिले हैं यानी वहां हर 100 में से 10 व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हैं। मणिपुर में ऐसे 8 जिले हैं जबकि मेघालय में सात, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में ऐसे 4-4 जिले हैं। असम में ऐसे 2 जिले ही हैं।