Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

फू करते ही पता चलेगा कैंसर

Webdunia
शनिवार, 4 फ़रवरी 2017 (11:19 IST)
पेट और आहार नाल जैसे घातक कैंसर का पता बहुत अंत में चलता है। लेकिन अब एक मशीन फूंक मारते ही इनका पता कर सकेगी, वो भी शुरुआती स्टेज में।

 
लंदन के इंपीरियल कॉलेज के रिसर्चरों ने ब्रीद टेस्ट के जरिये कैंसर का पता लगाने वाली मशीन बनाई है। इस मशीन के जरिये पेट और आहार नाल के खतरनाक कैंसर का काफी जल्दी पता लगाया जा रहा है। ट्रायल के दौरान 300 लोगों पर इसका टेस्ट किया गया। मशीन ने 85 फीसदी सटीक नतीजे दिये।
 
पेट और आहार नाल के कैंसर को बेहद जानलेवा माना जाता है। इनका पता लगाने के लिए एंडोस्कोपी की जाती है। एंडोस्कोपी में कैमरा लगे एक पाइप को मुंह में डाला जाता है और आहार नाल से नीचे ले जाते हुए पेट तक पहुंचाया जाता है। तब जाकर कैंसर का पता लग पाता है और तब तक बहुत देर हो जाती है। मरीज के पास पांच साल से भी कम समय बचता है।
 
2017 के यूरोपियन कैंसर कांग्रेस के दौरान लीड रिसर्चर डॉक्टर शेराज मारकर ने कहा, "एंडोस्कोपी की प्रक्रिया महंगी और शरीर में दखल देने वाली है। इसमें जटिलता का जोखिम भी रहता है। ब्रीद टेस्ट शरीर के भीतर दखल नहीं देता है। इस टेस्ट के जरिये शुरुआत में कई बार की जाने वाली एंडोस्कोपी को टाला जा सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि इससे कैंसर का जल्द पता लगेगा और इलाज किया जा सकेगा। बचने की संभावना ज्यादा होगी।"
 
ट्रायल के दौरान पता चला कि पेट और आहार नाल के कैंसर के जूझ रहे लोगों के पेट में खास रसायनों का अलग स्तर होता है। स्वस्थ लोगों के पेट में इन रसायनों का अनुपात अलग होता है। मशीन में फूंक मारने से इन रसायनों के स्तर का पता चल जाता है।
 
रिसर्च टीम ने लंदन के तीन अस्पतालों से 335 लोगों के सांस के नमूने लिये। मशीन ने बता दिया कि इनमें से 163 लोग पेट या आहार नाल के कैंसर से जूझ रहे हैं। जबकि एंडोस्कोपी में कैंसर का कोई सबूत नहीं मिला। इसके बाद जब और गहराई से टेस्ट किये गए तो पता चला कि सांस का विश्लेषण करने वाली मशीन एंडोस्कोपी से ज्यादा जल्दी कैंसर का पता लगा रही है। ब्रीद एनालाइजिंग मशीन पेट में मौजूद गैसों और रसायनों में आए मामूली अंतर को भी पकड़ रही है।
 
डॉक्टर मारकर के मुताबिक मशीन का ट्रायल तीन साल और चलेगा। लेकिन नतीजों की सफलता के आधार पर वे कहते हैं, "शोध दिखाता है कि हम सांस के टेस्ट में सामने आए अंतर के आधार पर संकेत दे सकते हैं कि किन रोगियों को पेट और आहार नाल का कैंसर है और किन को नहीं।"
 
रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी
सभी देखें

जरूर पढ़ें

साइबर फ्रॉड से रहें सावधान! कहीं digital arrest के न हों जाएं शिकार

भारत: समय पर जनगणना क्यों जरूरी है

भारत तेजी से बन रहा है हथियार निर्यातक

अफ्रीका को क्यों लुभाना चाहता है चीन

रूस-यूक्रेन युद्ध से भारतीय शहर में क्यों बढ़ी आत्महत्याएं

सभी देखें

समाचार

आईआईटियन्स ने वैश्विक स्तर पर बनाई अपनी विशेष पहचान- राष्ट्रपति

सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कहा, फर्जी बम धमकियों की सूचना को तत्काल हटाएं

भाजपा का आरोप, प्रियंका गांधी ने नहीं दिया संपत्ति का पूरा विवरण

આગળનો લેખ
Show comments