सांकेतिक फोटो
एक बल्ब पिछले 117 साल से जल रहा है। वह कभी फ्यूज नहीं हुआ। लेकिन इस जगमगाहट ने बल्ब कंपनियों को परेशान कर दिया। और इसका असर सारे उद्योगों पर पड़ा।
कैलिफोर्निया के लिवरमोर शहर में 1901 में एक बल्ब लगाया गया। बल्ब लिवरमोर के एक दमकल केंद्र में लगाया गया। तब से अब तक यह बल्ब लगातार जल रहा है। चार वॉट बिजली से चलने वाला यह बल्ब कभी फ्यूज नहीं हुआ। दिन में यह चौबीसों घंटे जला रहता है।
दमकलकर्मियों के मुताबिक 1937 में पहली बार बिजली की लाइन बदलने की वजह से बल्ब को बंद किया गया था। तार बदलने के बाद बल्ब फिर जगमगाने लगा। 2001 में संगीत और पार्टी के साथ बल्ब का 100वां जन्मदिन मनाया गया। बल्ब के सीधे प्रसारण को दिखाने के लिए वहां एक वेबकैमरा भी लगा दिया गया। पिछले तीन दशकों से लगातार बड़ी संख्या में लोग इस बल्ब को देखने जाते हैं। यह बल्ब अपने आप में एक म्यूजियम बन चुका है।
2013 में सीधे प्रसारण के दौरान बल्ब बुझ गया। तब खबर आई कि बल्ब आखिरकार फ्यूज हो गया है। लेकिन बाद में पता चला कि बल्ब बिल्कुल सही सलामत था, जबकि उस तक बिजली पहुंचाने वाली 76 साल पुरानी लाइन खराब हो गयी थी। लाइन की मरम्मत के बाद लिवरमोर सेंटेनियल लाइट बल्ब फिर रोशन हो गया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल यह बल्ब अब भी जगमगा रहा है।
1,000 घंटे जलते हैं आज के बल्ब
2010 में एक फ्रेंच-स्पेनिश डॉक्यूमेंट्री में इस बल्ब का जिक्र किया गया। डॉक्यूमेंट्री के मुताबिक इस बल्ब को बनाने के बाद कंपनी को लगा कि अगर सारे बल्ब बहुत ही लंबे समय तक चलते रहे तो लोगों को बल्ब बदलने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी और बिक्री थम जाएगी। फिर बल्बों की उम्र घटाई गई। 1920 के दशक तक एक बिजली का बल्ब औसतन 2,500 घंटे जलता था। आज एक बिजली का बल्ब 1,000 घंटे से ज्यादा नहीं चलता।
डॉक्यूमेंट्री के मुताबिक 1924 में बल्ब कंपनियों के बीच एक गोपनीय बैठक हुई। उस बैठक में बल्ब की उम्र घटाने पर सहमति बनी। धीरे धीरे बाकी कंपनियों ने भी यही रास्ता अपना लिया। अब बाजार में 10-15 साल तक चलने वाली टिकाऊ चीजें बहुत कम मिलती हैं। ज्यादातर प्रोडक्ट्स की बेहद सीमित उम्र होती है और उसके बाद वे बेकार हो जाती हैं।