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यूएन: एआई से कर्मचारियों को नुकसान के बजाय फायदा होगा

यूएन: एआई से कर्मचारियों को नुकसान के बजाय फायदा होगा

DW

, बुधवार, 23 अगस्त 2023 (10:50 IST)
AI: अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट में पाया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artificial intelligence) नौकरियां खत्म करने के बजाय कुछ कामों में मदद कर सकती है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पूरा काम करने के बजाय केवल कुछ ही काम में मदद कर सकती है। हालांकि क्लर्क के रूप में काम करने वाले लोगों को अभी भी ऑटोमेशन के खतरे का सामना करना पड़ेगा।
 
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की ओर से सोमवार को जारी एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि हो सकता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ज्यादातर लोगों की नौकरियां खत्म नहीं करेगी बल्कि कुछ कार्यों को स्वचालित बनाने में मदद करेगी। जेनरेटिव एआई की मदद से हम टेक्स्ट, तस्वीर, ऑडियो, वीडियो, एनिमेशन, 3डी मॉडल और अन्य डाटा बना सकते हैं जिसका इस्तेमाल संभावित रूप से कुछ कार्यों को पूरा करने या उन्हें सुधारने और विस्तारित करने के लिए किया जा सकता।
 
जेनरेटिव एआई को लिखित आदेश देकर टेक्स्ट लिखवा सकते हैं या फिर इमेज, वीडियो भी बनवा सकते हैं यानी यह जरूरी नहीं है कि जिस माध्यम में आउटपुट चाहिए, आदेश का माध्यम भी वही हो।
 
संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश नौकरियां और उद्योग ऑटोमेशन से आंशिक रूप से प्रभावित होते हैं और इस प्रकार पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निर्भर हो जाते हैं। इसके बजाय अतिरिक्त सहयोग की संभावना अधिक है।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका मतलब है कि प्रौद्योगिकी से काम या उत्पादकता बढ़ने की संभावना है। आईएलओ का अनुमान है कि उच्च आय वाले देशों में 5.5 प्रतिशत नौकरियां संभावित रूप से जेनरेटिव एआई के संपर्क में हैं जबकि कम आय वाले देशों में यह 0.4 प्रतिशत है।
 
क्लर्कों की नौकरी पर सबसे ज्यादा खतरा
 
हालांकि शोध रिपोर्ट में पाया गया कि क्लर्क का काम करने वाले कर्मचारियों को जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से प्रभावित होने का सबसे अधिक खतरा है। आईएलओ के मुताबिक लगभग एक चौथाई क्लर्क संभावित ऑटोमेशन से प्रभावित होंगे। इसका सबसे ज्यादा असर खासतौर पर अमीर देशों में रहने वाली महिलाओं पर पड़ेगा।
 
आईएलओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इसलिए नीति निर्माताओं को हमारी शोध रिपोर्ट को पढ़ने और उसे एक तरफ रखने के बजाय आने वाले दिनों में हम सभी पर तकनीकी परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए नीतियां विकसित करने पर विचार करना चाहिए।
 
पारंपरिक एआई अमूमन कोई विशिष्ट कार्य करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। फिर वे चाहे किसी डाटा का विश्लेषण करना हो या स्वयं संचालित कार को चलने में मदद। अगर जेनरेटिव एआई की बात करें तो इसका इस्तेमाल नया कंटेंट बनाने के लिए किया जाता है।
 
मशीन ले लेंगी नौकरियां?
 
मई महीने में ब्राजीलियन मूल के अमेरिकी शोधकर्ता बेन गोएर्त्सेल ने दावा किया था आने वाले कुछ ही सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसान से 80 प्रतिशत तक नौकरियां ले सकती है। हालांकि उन्होंने कहा है कि यह अच्छी बात होगी। गोएर्त्सेल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में बड़ा नाम हैं और उन्हें 'एआई गुरु' भी कहा जाता है।
 
56 साल के गणितज्ञ और एक मशहूर रोबोट विज्ञानी गोएर्त्सेल शोध संस्थान 'सिंग्युलैरिटीएनईटी' के संस्थापक हैं। उन्होंने यह संस्थान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में इंसान जैसी समझ (एजीआई) विकसित करने के लिए शोध करने के वास्ते स्थापित किया था।
 
उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा था आने वाले सालों में बड़ी संख्या में इंसानी काम एआई कर रहा होगा। वे कहते हैं कि आप बिना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में इंसान जैसी समझ के 80 फीसदी इंसानी कामों को तो खत्म ही समझिएगा। चैटजीपीटी जैसा अभी है, उससे नहीं लेकिन अगले कुछ सालों में विकसित होने वाले सिस्टम के जरिए। लेकिन यह कोई खतरा नहीं है। यह एक फायदा है। लोग रोजी-रोटी कमाने के बजाय कुछ बेहतर काम कर पाएंगे। जो भी काम कागज पर होता है, वो सब ऑटोमेट हो जाना चाहिए।
 
-एए/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)

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